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Hapur News: मधुमेह से जूझ रहे 41 हजार लोग, घर घर फैल रही बीमारी
संवाद न्यूज एजेंसी, हापुड़
Updated Thu, 13 Nov 2025 10:10 PM IST
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हापुड़। जिले में 30 साल से अधिक उम्र के करीब 39 हजार लोग मधुमेह (डायबिटीज) की चपेट में हैं, इससे कम उम्र के दो हजार युवा भी बीमारी से लड़ रहे हैं। अस्पतालों में दवा, इंसुलिन की मांग पिछले सालों से डेढ़ गुना तक बढ़ गई है। हर रोज 200 से ज्यादा मरीज दवा लेने अस्पताल आ रहे हैं। अब विभाग ने मरीजों की काउंसलिंग भी शुरू करा दी है।
सीएमओ डॉ.सुनील त्यागी ने बताया कि प्रीडायबिटीज ऐसी स्थिति हैं जहां ब्लड शुगर का लेवल सामान्य से अधिक तो होता है, लेकिन इतना नहीं कि उसे पूरी तरह से डायबिटीज (टाइप 2) कहा जा सके। यह स्थिति इस बात का स्पष्ट संकेत है कि शरीर इंसुलिन रेजिस्टेंस विकसित कर रहा है। यदि समय रहते जीवनशैली और आहार में बदलाव कर लिया जाए तो डायबिटीज से बचा जा सकता है।
लेकिन जिले के लोग इस स्टेज में पहुंचने पर कोई सावधानी नहीं बरतते, जिस कारण बीमारी का शिकायत हो जाते हैं। फिर भी सही काउंसलिंग नहीं लेते, बल्कि मेडिकल स्टोरों से दवाएं लेकर खाते हैं। जबकि शुरुआती बीमारी होने पर उससे बाहर निकला जा सकता है।
जिले में स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो वर्तमान में करीब 41 हजार मरीज डायबिटीज से जूझ रहे हैं। इनमें 60 फीसदी से अधिक की दवाएं सरकारी अस्पतालों से ही चल रही हैं। महिलाओं में रोग अधिक है, सीएचसी और जिला अस्पताल की ओपीडी में आने वाले मधुमेह के मरीजों में 60 फीसदी महिलाएं हैं, जबकि 40 फीसदी पुरुष हैं।
गांवों में तेजी से फैल रही बीमारी
गांवों का जीवन पहले स्वस्थ माना जाता था, लेकिन अब गांवों में भी घर घर में मधुमेह के मरीज है। पिछले एक साल में जन आरोग्य मंदिरों पर पांच हजार से अधिक मरीजों में डायबिटीज मिला है। इन मरीजों की दवाएं शुरू कराई गई हैं।
महिलाएं गर्भ के दौरान बरतें सावधानी
सरकारी अस्पतालों में कुछ केश ऐसे भी दर्ज किए गए हैं, जिनमें चार से दस साल के बच्चों को भी डायबिटीज है। इनमें कुछ अभी से ही इंसुलिन पर हैं। चिकित्सकों का मानना है कि यदि गर्भवती मां को मधुमेह है तो उसे गर्भ के दौरान चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए, इससे गर्भस्थ शिशु में बीमारी बढ़ने का खतरा कम हो जाता है।
-डायबिटीज से सेहत को हैं खतरे
सीएमओ डॉ. सुनील त्यागी ने बताया कि प्रीडायबिटीज को पहचानना इसलिए जरूरी है क्योंकि यह अक्सर बिना किसी स्पष्ट लक्षण के धीरे-धीरे पनपती है और यह डायबिटीज के साथ आने वाले सभी जोखिमों जैसे हृदय रोग, स्ट्रोक और किडनी डैमेज को बढ़ाना शुरू कर देती है। प्री डायबिटीज के जोखिम कारणों को जानना और इसे नियंत्रित करना सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।
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इसलिए खतरनाक है प्रीडायबिटीज
प्रीडायबिटीज वह स्थिति है जब आपकी कोशिकाएं इंसुलिन (हार्मोन जो शुगर को ऊर्जा में बदलता है) के संकेतों को ठीक से नहीं पहचानती हैं, जिसे इंसुलिन रेजिस्टेंस कहते हैं। इस वजह से, शुगर रक्त में जमा होने लगती है। यह स्थिति खतरनाक है क्योंकि यह बिना लक्षण के शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देती है और यह एक स्पष्ट संकेत है कि आप डायबिटीज के दरवाज़ै पर खड़े हैं। इसे आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
ये हैं डायबिटीज के लक्षण--
डायबिटीज के शुरुआती में लोगों को गर्दन या बगल में त्वचा का काला पड़ना, अत्यधिक प्यास लगना या बार-बार पेशाब आना, अत्यधिक थकान होना, धुंधला दिखना जैसे हल्के लक्षण दिख सकते हैं। अगर किसी को ये लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से दिखाकर इसकी पुष्टि के लिए फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट या ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट कराएं।
बचाव के आसान उपाय
प्री डायबिटीज को ठीक किया जा सकता है। इसके लिए अपनी जीवनशैली में तीन बदलाव जरूरी हैं। पहला अपने शरीर के वजन का कम से कम 5 से 7 प्रतिशत घटाएं। दूसरा रोजाना 30 मिनट की मध्यम कसरत करें। तीसरा रिफाइंड काब्र्स (मैदा, चीनी, प्रोसेस्ड फूड्स) को डाइट से हटाकर फाइबर (साबुत अनाज, सब्जियां) और प्रोटीन को डाइट में शामिल करें।
कोट -दिनचर्या और खानपान में बदलाव से मधुमेह के खतरे को कम किया जा सकता है। समस्त अस्पताल, उप स्वास्थ्य केंद्रों पर डायबिटीज के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है। समस्त अस्पतालों में काउंसलिंग भी भी व्यवस्था कराई गई है।-- डॉ.वेदप्रकाश, एसीएमओ।
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सीएमओ डॉ.सुनील त्यागी ने बताया कि प्रीडायबिटीज ऐसी स्थिति हैं जहां ब्लड शुगर का लेवल सामान्य से अधिक तो होता है, लेकिन इतना नहीं कि उसे पूरी तरह से डायबिटीज (टाइप 2) कहा जा सके। यह स्थिति इस बात का स्पष्ट संकेत है कि शरीर इंसुलिन रेजिस्टेंस विकसित कर रहा है। यदि समय रहते जीवनशैली और आहार में बदलाव कर लिया जाए तो डायबिटीज से बचा जा सकता है।
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लेकिन जिले के लोग इस स्टेज में पहुंचने पर कोई सावधानी नहीं बरतते, जिस कारण बीमारी का शिकायत हो जाते हैं। फिर भी सही काउंसलिंग नहीं लेते, बल्कि मेडिकल स्टोरों से दवाएं लेकर खाते हैं। जबकि शुरुआती बीमारी होने पर उससे बाहर निकला जा सकता है।
जिले में स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो वर्तमान में करीब 41 हजार मरीज डायबिटीज से जूझ रहे हैं। इनमें 60 फीसदी से अधिक की दवाएं सरकारी अस्पतालों से ही चल रही हैं। महिलाओं में रोग अधिक है, सीएचसी और जिला अस्पताल की ओपीडी में आने वाले मधुमेह के मरीजों में 60 फीसदी महिलाएं हैं, जबकि 40 फीसदी पुरुष हैं।
गांवों में तेजी से फैल रही बीमारी
गांवों का जीवन पहले स्वस्थ माना जाता था, लेकिन अब गांवों में भी घर घर में मधुमेह के मरीज है। पिछले एक साल में जन आरोग्य मंदिरों पर पांच हजार से अधिक मरीजों में डायबिटीज मिला है। इन मरीजों की दवाएं शुरू कराई गई हैं।
महिलाएं गर्भ के दौरान बरतें सावधानी
सरकारी अस्पतालों में कुछ केश ऐसे भी दर्ज किए गए हैं, जिनमें चार से दस साल के बच्चों को भी डायबिटीज है। इनमें कुछ अभी से ही इंसुलिन पर हैं। चिकित्सकों का मानना है कि यदि गर्भवती मां को मधुमेह है तो उसे गर्भ के दौरान चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए, इससे गर्भस्थ शिशु में बीमारी बढ़ने का खतरा कम हो जाता है।
-डायबिटीज से सेहत को हैं खतरे
सीएमओ डॉ. सुनील त्यागी ने बताया कि प्रीडायबिटीज को पहचानना इसलिए जरूरी है क्योंकि यह अक्सर बिना किसी स्पष्ट लक्षण के धीरे-धीरे पनपती है और यह डायबिटीज के साथ आने वाले सभी जोखिमों जैसे हृदय रोग, स्ट्रोक और किडनी डैमेज को बढ़ाना शुरू कर देती है। प्री डायबिटीज के जोखिम कारणों को जानना और इसे नियंत्रित करना सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।
इसलिए खतरनाक है प्रीडायबिटीज
प्रीडायबिटीज वह स्थिति है जब आपकी कोशिकाएं इंसुलिन (हार्मोन जो शुगर को ऊर्जा में बदलता है) के संकेतों को ठीक से नहीं पहचानती हैं, जिसे इंसुलिन रेजिस्टेंस कहते हैं। इस वजह से, शुगर रक्त में जमा होने लगती है। यह स्थिति खतरनाक है क्योंकि यह बिना लक्षण के शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देती है और यह एक स्पष्ट संकेत है कि आप डायबिटीज के दरवाज़ै पर खड़े हैं। इसे आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
ये हैं डायबिटीज के लक्षण
डायबिटीज के शुरुआती में लोगों को गर्दन या बगल में त्वचा का काला पड़ना, अत्यधिक प्यास लगना या बार-बार पेशाब आना, अत्यधिक थकान होना, धुंधला दिखना जैसे हल्के लक्षण दिख सकते हैं। अगर किसी को ये लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से दिखाकर इसकी पुष्टि के लिए फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट या ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट कराएं।
बचाव के आसान उपाय
प्री डायबिटीज को ठीक किया जा सकता है। इसके लिए अपनी जीवनशैली में तीन बदलाव जरूरी हैं। पहला अपने शरीर के वजन का कम से कम 5 से 7 प्रतिशत घटाएं। दूसरा रोजाना 30 मिनट की मध्यम कसरत करें। तीसरा रिफाइंड काब्र्स (मैदा, चीनी, प्रोसेस्ड फूड्स) को डाइट से हटाकर फाइबर (साबुत अनाज, सब्जियां) और प्रोटीन को डाइट में शामिल करें।
कोट -दिनचर्या और खानपान में बदलाव से मधुमेह के खतरे को कम किया जा सकता है। समस्त अस्पताल, उप स्वास्थ्य केंद्रों पर डायबिटीज के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है। समस्त अस्पतालों में काउंसलिंग भी भी व्यवस्था कराई गई है।