Hathras News: विदेशी बाजार में हाथरसी उत्पादों की लगातार घट रही मांग, निर्यातकों की बढ़ी चिंता
रूस-यूक्रेन युद्ध, मध्य पूर्व में तनाव सहित कई अंतरराष्ट्रीय झगड़ों ने यूरोप और एशिया के बाजारों में आयात क्षमता को कमजोर कर दिया है। पहले जहां यूरोप और अमेरिका से बड़े पैमाने पर ऑर्डर आते थे, वहीं अब ये ऑर्डर 40 से 50 प्रतिशत तक कम हो गए हैं। इससे हाथरस के मेटल हैंडीक्राफ्ट और कालीन उद्योग को सीधा झटका लगा है।
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हाथरस जिले के पारंपरिक उत्पादों की विदेशी बाजारों में मांग लगातार घटती जा रही है, जिससे जिले के हैंडीक्राफ्ट और उद्योगों से जुड़े हजारों कारीगरों व उद्यमियों की चिंता बढ़ गई है। विदेशी बाजारों में हाथरस की पहचान रहे मेटल हैंडीक्राफ्ट, कारपेट, ग्लास तथा अन्य उत्पादों की मांग में चिंताजनक गिरावट आई है।
उत्तर प्रदेश निर्यात संवर्धन परिषद से जारी आंकड़ों के अनुसार पिछले चार वित्तीय वर्षों में हाथरस से होने वाला निर्यात 261 करोड़ रुपये से घटकर 175 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। यह गिरावट न केवल जिले की आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित कर रही है, बल्कि रोजगार के अवसरों पर भी प्रत्यक्ष प्रभाव डाल रही है। व्यापार मंडल और निर्यातकों का कहना है कि अगर अंतरराष्ट्रीय माहौल में स्थिरता नहीं आई और विदेशी नीतियों में राहत नहीं मिली, तो आने वाले समय में हाथरस के निर्यात में और गिरावट देखने को मिल सकती है। कारोबारियों ने सरकार से राहत पैकेज, सब्सिडी और निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं को मजबूत करने की मांग की है।
जगजाहिर है कि पूरा एक्सपोर्ट यूरोपीय देशों और अमेरिका को होता है और यहां इन-दिनों बहुत ज्यादा तनाव है। इस समय सारा यूरोप यूक्रेन के चक्कर में फंसा पड़ा है और अमेरिका की अर्थव्यवस्था भी सही नहीं। उनका सारा पैसा इसी में खर्च हो रहा है, लोगों के पास खरीदारी करने के लिए पैसा ही नहीं है। अब जब खरीद नहीं हो रही तो माल भी कम जा रहा है।-राजकुमार खेतान, कालीन निर्माता।
कोरोनाकाल से पहले हम एक्सपोर्ट करते थे, लेकिन अब हम लोकल आयटम से ही काम चला रहे हैं। बाहर के एक्सपोर्टर के मार्फत जो माल जा रहा है, वह भी काफी कम है। इस समय ऐसे हालात नहीं हैं कि पूरी क्षमता के साथ उत्पादन किया जाए। मेटल हैंडीक्राफ्ट के अंतर्गत पूरे उद्योग को इस दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। माल की मांग युद्ध के कारण काफी कम हो गई है।-नरेशचंद्र वर्मा, हैंडीक्राफ्ट उद्यमी।
ऐसा नहीं है कि इस साल भी आंकड़े गिर रहे हैं। अब काफी कुछ बेहतर हो रहा है। यह रिपोर्ट वित्तीय वर्ष 2024-25 में नवंबर माह तक की है। अब तक के आंकड़े जब सामने आएंगे तो कारोबार की स्थिति काफी बेहतर सामने आएगी।-अजलेश कुमार, उपायुक्त, जिला उद्योग केंद्र, हाथरस।
40 से 50 फीसदी तक कम हुए ऑर्डर
रूस-यूक्रेन युद्ध, मध्य पूर्व में तनाव सहित कई अंतरराष्ट्रीय झगड़ों ने यूरोप और एशिया के बाजारों में आयात क्षमता को कमजोर कर दिया है। पहले जहां यूरोप और अमेरिका से बड़े पैमाने पर ऑर्डर आते थे, वहीं अब ये ऑर्डर 40 से 50 प्रतिशत तक कम हो गए हैं। इससे जिले के मेटल हैंडीक्राफ्ट और कालीन उद्योग को सीधा झटका लगा है।
विदेशी नीतियों में बदलाव से बढ़ीं मुश्किलें
कई देशों ने आयात पर नए नियम लागू किए हैं। पर्यावरण मानकों की कड़ी शर्तें, अधिक निरीक्षण, बढ़े हुए आयात शुल्क और बदलती टैक्स नीतियों के कारण हाथरस के उद्योगपतियों और निर्यातकों के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार से मुकाबला करना कठिन हो रहा है। बड़ी कंपनियों ने ऑर्डर कम कर दिए हैं और छोटी कंपनियां बढ़ती लागत के कारण प्रतिस्पर्धा में पिछड़ रही हैं।
स्थानीय उद्योग पर असर
हाथरस का मेटल उद्योग, होम डेकोर, कारपेट, ब्रास आइटम, ग्लास उत्पाद विदेशी खरीदारों के बीच काफी लोकप्रिय थे। गिरती मांग ने कारीगरों की आमदनी कम कर दी है। कई छोटे यूनिट बंद होने की कगार पर हैं, जबकि श्रमिकों का पलायन भी बढ़ रहा है।
यह हैं हाथरस से निर्यात के आंकड़े
वित्तीय वर्ष कारोबार
2021-22 2,61,05,29,500 रुपये
2022-23 2,26,09,65,240 रुपये
2023-24 1,99,59,93,149 रुपये
2024-25 1,75,43,46,260 रुपये