पति की हत्या: पुलिस कर्मियों पर आरोप, ससुर-देवर की मौत, 48 साल की पैरवी में टूट गई राधा, न्यायालय पर टिकी आस
मृतक कल्लू की पत्नी राधा देवी अब 72 वर्ष की हो चुकी हैं। आज भी वह पुलिस की बर्बरता को याद कर सिहर उठती हैं। स्वास्थ्य कारणों से वह फिलहाल अंबाला में अपने बेटे के पास रह रही हैं। उनके ससुर जयराम इस मामले की पैरवी करते रहे, उनकी भी 35 साल पहले मृत्यु हो चुकी है।
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48 साल पहले राधा देवी के पति कल्लू की हत्या हुई, आरोप पुलिस कर्मियों पर था, जिन्हें पुलिस न्यायालय में पेश नहीं कर पाई। मुकदमा चलता रहा, पहले पैरवी करने वाले ससुर की मौत हुई, फिर देवर की। राधा देवी ने खुद पैरवी शुरू की तो उन पर भी आरोपी पुलिसकर्मियों ने दबाव बनाया। आखिरकार राधा देवी की हिम्मत टूट गई, अब न्यायालय पर ही आस टिकी है।
जिस समय यह घटना हुई, उस समय हाथरस अलीगढ़ जिले का हिस्सा था। पीड़ित पक्ष के अनुसार हाथरस जंक्शन थाना पुलिस ने 29 दिसंबर 1978 की रात गांव रामपुर से कल्लू को लूट के आरोप में घर से उठाकर ले गई थी। दो जनवरी 1979 को अलीगढ़ कारागार में कल्लू की मौत हो गई थी। परिवार ने आरोप लगाया था कि थानाध्यक्ष व अन्य पुलिस कर्मियों ने घर में घुसकर कल्लू को पहले घर में पीटा, उसके बाद थाने में बेरहमी से पिटाई की गई, जिससे उसकी मौत हो गई। तत्कालीन सांसद रामप्रसाद देशमुख ने मामले को उठाया तो 1982 में पुलिस कर्मियों पर रिपोर्ट दर्ज हुई।
सीबीसीआईडी ने जांच की और 1997 में आठ पुलिस कर्मियों के खिलाफ घर में घुसकर मारपीट, षडयंत्र व हत्या की धारा में चार्जशीट दाखिल की। इसमें तत्कालीन थानाध्यक्ष रामपाल सिंह, एसआई भरत सिंह व हरीशचंद्र, सिपाही रामपाल सिंह, सुखदेव सिंह, विजय सिंह, रणधीर सिंह व रतन सिंह आरोपी बनाया गया था। मृतक कल्लू की पत्नी राधा देवी अब 72 वर्ष की हो चुकी हैं। आज भी वह पुलिस की बर्बरता को याद कर सिहर उठती हैं। स्वास्थ्य कारणों से वह फिलहाल अंबाला में अपने बेटे के पास रह रही हैं। उनके ससुर जयराम इस मामले की पैरवी करते रहे, उनकी भी 35 साल पहले मृत्यु हो चुकी है।
मामला गंभीर है। पूरे प्रकरण की जानकारी कर गवाहों को न्यायालय में हाजिर कराया जाएगा।-अतुल वत्स, डीएम
उन्होंने बताया कि परिजनों और रिश्तेदारों में पति के मौत के बाद देवर विजय कुमार से शादी करा दी थी। विजय कुमार मामले की पैरवी करते रहे, लेकिन कुछ समय बाद उनकी भी मौत हो गई। परिवार में पैरवी करने वाला कोई नहीं रहा तो राधादेवी ने न्यायालय के चक्कर काटे, लेकिन आरोपियों के हाजिर न होने और पुलिस के अत्यधिक दबाव के कारण उनकी हिम्मत टूट गई।
राधादेवी का कहना है कि पुलिस अपने ही विभाग के कर्मचारियों को नहीं ढूंढ पाई। कई गवाहों की भी मृत्यु हो गई। वह पुलिस से उम्मीद छोड़ चुकी हैं। अब केवल न्यायालय से आस है। वह इस साल आठ मई को न्यायालय पहुंची थी और अपने अंतिम बयान दर्ज कराए थे।
कोर्ट ने किया अवसर समाप्त
आरोपी पुलिस कर्मियों के हाजिर न होने से नाराज कोर्ट ने नवंबर माह में इनके साक्ष्य का अवसर समाप्त कर दिया है। अगली तिथि 15 दिसंबर लगी है। कोर्ट ने डीएम एसपी को 28 नवंबर 2024, 4 जनवरी 2025 व 5 मार्च 2025 को पत्र लिखे थे, लेकिन पुलिस ने लापता गवाह व आरोपी पुलिस कर्मियों को खोजने में कोई रुचि नहीं दिखाई गई।
एक दारोगा कर रहा तारीख
चार्जशीट दाखिल होने के बाद कुछ तारीखों तक विजय व रणधीर सिंह आदलत में हाजिर हुए, लेकिन जमानत लेने के बाद ये भी फिर कोर्ट में नहीं दिखे। केवल एसआई भरत सिंह आज तक तारीखों पर आ रहे हैं। 29 नवंबर को भी वे कोर्ट पहुंचे। अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता ने बताया बाकी सात आरोपी कहां और किस हालत में हैं, इसकी कोई सूचना न्यायालय को नहीं दी गई है, जबकि इनकी कुर्की वारंट तक हो चुके हैं।