झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की फर्जी वेबसाइट के जरिए प्रवेश कराकर जालसाज छात्रों के साथ खूब ठगी कर रहे हैं। देश के कई राज्यों में सेंटर भी खोले गए हैं। इन सेंटरों पर ही परीक्षाएं कराई जाती हैं। फिर असली मार्कशीट जैसे हूबहू नकली अंकपत्र बनाकर छात्रों को थमा दिया जाता है। नौकरी पाने के बाद सत्यापन होने पर कई मामले पकड़ में आ रहे हैं।
बीयू की असली वेबसाइट www.bujhansi.ac.in है। मगर वेबसाइट के नाम से मिलती-जुलती कई फर्जी वेबसाइट भी चल रही हैं। इस मामले में विश्वविद्यालय सूचना प्रसारण मंत्रालय को भी पत्र लिखकर बंद करने की मांग कर चुका है। कुछ वेबसाइट बंद भी हुई हैं। मगर जालसाज नई-नई वेबसाइटें बना लेते हैं। बताया गया कि देश भर में जालसाजों ने अपना रैकेट बना रखा है। ये लोग सेंटर की जगह भी लगातार बदलते रहते हैं। परीक्षा कराने के बाद जालसाज फर्जी वेबसाइट पर डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के विकल्प पर जाकर नकली अंकपत्र का सत्यापन भी कराते हैं। ताकि, छात्र को कोई शक न हो। इन फर्जी मार्कशीट के जरिए छात्र-छात्राएं नौकरी पा लेते हैं। मगर जब कंपनी या विभाग द्वारा बीयू से सत्यापन कराया जाता तो मामले का खुलासा हो जाता है। बीयू में हर महीने चार-पांच मार्कशीट फर्जी मिल रही हैं। इसमें अधिकांश अंकपत्र सरकारी विभागों में नौकरी पाने वाले छात्र-छात्राओं के हैं।
केस-1
फर्जी मार्कशीट लगा जीएसटी विभाग में पाई नौकरी
बीयू में शुक्रवार को सत्यापन के दौरान जीएसटी विभाग में नौकरी पा चुके युवक की मार्कशीट फर्जी निकली। छात्र को 2006 में इंजीनियरिंग की फर्जी वेबसाइट बनाकर दी गई। बीयू ने विभाग को सत्यापन रिपोर्ट भेज दी है।
केस-2
बिहार में शिक्षाधिकारी बनने के बाद सत्यापन में पकड़ा
कुछ समय पहले बीयू में बिहार में शिक्षाधिकारी बनने वाले व्यक्ति की सत्यापन के दौरान मार्क्सशीट फर्जी मिली। नौकरी पाने के बाद बीयू में सत्यापन के लिए मार्क्सशीट भेजी गई थी। मगर उसका कोई रिकॉर्ड नहीं मिला।
सत्यापन के दौरान हर महीने चार-पांच मार्कशीट फर्जी निकलती हैं। इसमें ज्यादातर अंकपत्र सरकारी विभागों में नौकरी पा चुके विद्यार्थियों के होते हैं। अब कई प्राइवेट कंपनियां भी मार्क्सशीट का सत्यापन करा रही हैं। निजी कंपनियों के कई कर्मियों के अंकपत्र भी फर्जी मिले हैं। - राजबहादुर, परीक्षा नियंत्रक, बीयू।
कुछ साल पहले सूचना प्रसारण मंत्रालय को पत्र भेजकर बीयू के नाम से चलने वाली फर्जी वेबसाइटों को बंद करने की मांग की गई। कुछ वेबसाइट बंद भी हुईं। मगर जालसाज नई-नई फर्जी वेबसाइट भी बना लेते हैं। ऐसे में छात्र-छात्राओं को सावधान रहने की जरूरत है। - प्रो. एसपी सिंह, प्रवेश सेल समन्वयक, बीयू।
झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की फर्जी वेबसाइट के जरिए प्रवेश कराकर जालसाज छात्रों के साथ खूब ठगी कर रहे हैं। देश के कई राज्यों में सेंटर भी खोले गए हैं। इन सेंटरों पर ही परीक्षाएं कराई जाती हैं। फिर असली मार्कशीट जैसे हूबहू नकली अंकपत्र बनाकर छात्रों को थमा दिया जाता है। नौकरी पाने के बाद सत्यापन होने पर कई मामले पकड़ में आ रहे हैं।
बीयू की असली वेबसाइट www.bujhansi.ac.in है। मगर वेबसाइट के नाम से मिलती-जुलती कई फर्जी वेबसाइट भी चल रही हैं। इस मामले में विश्वविद्यालय सूचना प्रसारण मंत्रालय को भी पत्र लिखकर बंद करने की मांग कर चुका है। कुछ वेबसाइट बंद भी हुई हैं। मगर जालसाज नई-नई वेबसाइटें बना लेते हैं। बताया गया कि देश भर में जालसाजों ने अपना रैकेट बना रखा है। ये लोग सेंटर की जगह भी लगातार बदलते रहते हैं। परीक्षा कराने के बाद जालसाज फर्जी वेबसाइट पर डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के विकल्प पर जाकर नकली अंकपत्र का सत्यापन भी कराते हैं। ताकि, छात्र को कोई शक न हो। इन फर्जी मार्कशीट के जरिए छात्र-छात्राएं नौकरी पा लेते हैं। मगर जब कंपनी या विभाग द्वारा बीयू से सत्यापन कराया जाता तो मामले का खुलासा हो जाता है। बीयू में हर महीने चार-पांच मार्कशीट फर्जी मिल रही हैं। इसमें अधिकांश अंकपत्र सरकारी विभागों में नौकरी पाने वाले छात्र-छात्राओं के हैं।
केस-1
फर्जी मार्कशीट लगा जीएसटी विभाग में पाई नौकरी
बीयू में शुक्रवार को सत्यापन के दौरान जीएसटी विभाग में नौकरी पा चुके युवक की मार्कशीट फर्जी निकली। छात्र को 2006 में इंजीनियरिंग की फर्जी वेबसाइट बनाकर दी गई। बीयू ने विभाग को सत्यापन रिपोर्ट भेज दी है।
केस-2
बिहार में शिक्षाधिकारी बनने के बाद सत्यापन में पकड़ा
कुछ समय पहले बीयू में बिहार में शिक्षाधिकारी बनने वाले व्यक्ति की सत्यापन के दौरान मार्क्सशीट फर्जी मिली। नौकरी पाने के बाद बीयू में सत्यापन के लिए मार्क्सशीट भेजी गई थी। मगर उसका कोई रिकॉर्ड नहीं मिला।
सत्यापन के दौरान हर महीने चार-पांच मार्कशीट फर्जी निकलती हैं। इसमें ज्यादातर अंकपत्र सरकारी विभागों में नौकरी पा चुके विद्यार्थियों के होते हैं। अब कई प्राइवेट कंपनियां भी मार्क्सशीट का सत्यापन करा रही हैं। निजी कंपनियों के कई कर्मियों के अंकपत्र भी फर्जी मिले हैं। - राजबहादुर, परीक्षा नियंत्रक, बीयू।
कुछ साल पहले सूचना प्रसारण मंत्रालय को पत्र भेजकर बीयू के नाम से चलने वाली फर्जी वेबसाइटों को बंद करने की मांग की गई। कुछ वेबसाइट बंद भी हुईं। मगर जालसाज नई-नई फर्जी वेबसाइट भी बना लेते हैं। ऐसे में छात्र-छात्राओं को सावधान रहने की जरूरत है। - प्रो. एसपी सिंह, प्रवेश सेल समन्वयक, बीयू।