{"_id":"69142a92a54cad80b60cdb2b","slug":"health-know-these-symptoms-of-pneumonia-before-you-get-affected-2025-11-12","type":"story","status":"publish","title_hn":"स्वास्थ्य: चपेट में आने से पहले जान लीजिए निमोनिया के यह लक्षण, बच्चे और उम्रदराज इस तरह रखें ख्याल","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
स्वास्थ्य: चपेट में आने से पहले जान लीजिए निमोनिया के यह लक्षण, बच्चे और उम्रदराज इस तरह रखें ख्याल
अमर उजाला नेटवर्क, झांसी
Published by: दीपक महाजन
Updated Wed, 12 Nov 2025 12:16 PM IST
सार
मौसम ठंड की तरफ करवट ले रहा है। ऐसे में बच्चों और उम्रदराज लोगों का ख्याल रखें। लापरवाही से इन्हें निमोनिया हो सकता है। ध्यान रखें कि तीन-चार दिन से बुखार और खांसी-जुकाम है।
विज्ञापन
निमोनिया
- फोटो : Adobe Stock
विज्ञापन
विस्तार
मौसम ठंड की तरफ करवट ले रहा है। ऐसे में बच्चों और उम्रदराज लोगों का ख्याल रखें। लापरवाही से इन्हें निमोनिया हो सकता है। ध्यान रखें कि तीन-चार दिन से बुखार और खांसी-जुकाम है। बच्चा जल्द-जल्द सांस ले रहा है या बड़ों के सीने में दोनों तरफ दर्द है तो डॉक्टर को दिखाएं। ये निमोनिया के लक्षण हैं। डॉक्टरों का कहना है कि निमोनिया का समय से उपचार न कराने पर जान को खतरा हो सकता है।
डॉक्टरों का कहना है कि अधिकांश लोगों को वायरल संक्रमण की वजह से निमोनिया होता है। वैसे तो बैक्टीरिया संक्रमण, प्रदूषित हवा और फंगल के संक्रमण से भी निमोनिया होता है। बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ. ओमशंकर चौरसिया ने बताया कि ओपीडी में आने वाले बीमार बच्चों में 45 फीसदी को बुखार, खांसी-जुकाम की शिकायत है। वे बताते हैं कि जानकारी के अभाव में परिजनों को पता नहीं चल पाता कि उनका बच्चा निमोनिया की चपेट में आ गया है।
उन्होंने बताया कि यदि समय से लक्षण के आधार पर निमोनिया की पहचान कर ली जाए तो बिना भर्ती किए बच्चा स्वस्थ हो सकता है। बच्चा मां का दूध पीना बंद कर देता है क्योंकि निमोनिया की वजह से सांस नहीं ले पाता है। वहीं, मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. रामबाबू सिंह ने बताया कि बड़ों में भी निमोनिया के शुरुआती लक्षण तेज बुखार के साथ खांसी-जुकाम दिखता है। बड़े लोगों में सांस फूलने से हफनी की स्थिति बनी रहती है। डॉ. अशुतोष मिश्रा ने बताया कि निमोनिया में फेफड़ों के एयर ट्रैक पर सूजन हो जाती है। इससे सांस लेने में दिक्कत होती है। निमोनिया गंभीर बीमारी है मगर रोकथाम योग्य है। समय पर जांच व दवा से जिंदगी बचा सकते हैं।
बाल रोग व मेडिसिन में भर्ती हुए 22 रोगी
मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग और मेडिसिन विभाग में मंगलवार को निमोनिया के करीब 22 रोगियों को भर्ती कराया गया है। इनकी हालात में सुधार है।
निमोनिया के लक्षण
बड़ों को तीन-चार दिन बुखार, खांसी-जुकाम होने के साथ सीने में दर्द होता है।
दो माह से कम उम्र का बच्चा एक मिनट में 50 बार से ज्यादा सांस लेता है।
दो माह से 14 माह तक का बच्चा एक मिनट में 40 बार से ज्यादा सांस लेता है।
एक से पांच वर्ष तक का बच्चा एक मिनट में 35 बार से ज्यादा सांस लेता है।
छह से 12 वर्ष तक का बच्चा एक मिनट में 30 बार से ज्यादा सांस लेता है।
बच्चे की पसलियों के पास सांस लेते समय गड्ढा भी नजर आता है।
Trending Videos
डॉक्टरों का कहना है कि अधिकांश लोगों को वायरल संक्रमण की वजह से निमोनिया होता है। वैसे तो बैक्टीरिया संक्रमण, प्रदूषित हवा और फंगल के संक्रमण से भी निमोनिया होता है। बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ. ओमशंकर चौरसिया ने बताया कि ओपीडी में आने वाले बीमार बच्चों में 45 फीसदी को बुखार, खांसी-जुकाम की शिकायत है। वे बताते हैं कि जानकारी के अभाव में परिजनों को पता नहीं चल पाता कि उनका बच्चा निमोनिया की चपेट में आ गया है।
विज्ञापन
विज्ञापन
उन्होंने बताया कि यदि समय से लक्षण के आधार पर निमोनिया की पहचान कर ली जाए तो बिना भर्ती किए बच्चा स्वस्थ हो सकता है। बच्चा मां का दूध पीना बंद कर देता है क्योंकि निमोनिया की वजह से सांस नहीं ले पाता है। वहीं, मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. रामबाबू सिंह ने बताया कि बड़ों में भी निमोनिया के शुरुआती लक्षण तेज बुखार के साथ खांसी-जुकाम दिखता है। बड़े लोगों में सांस फूलने से हफनी की स्थिति बनी रहती है। डॉ. अशुतोष मिश्रा ने बताया कि निमोनिया में फेफड़ों के एयर ट्रैक पर सूजन हो जाती है। इससे सांस लेने में दिक्कत होती है। निमोनिया गंभीर बीमारी है मगर रोकथाम योग्य है। समय पर जांच व दवा से जिंदगी बचा सकते हैं।
बाल रोग व मेडिसिन में भर्ती हुए 22 रोगी
मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग और मेडिसिन विभाग में मंगलवार को निमोनिया के करीब 22 रोगियों को भर्ती कराया गया है। इनकी हालात में सुधार है।
निमोनिया के लक्षण
बड़ों को तीन-चार दिन बुखार, खांसी-जुकाम होने के साथ सीने में दर्द होता है।
दो माह से कम उम्र का बच्चा एक मिनट में 50 बार से ज्यादा सांस लेता है।
दो माह से 14 माह तक का बच्चा एक मिनट में 40 बार से ज्यादा सांस लेता है।
एक से पांच वर्ष तक का बच्चा एक मिनट में 35 बार से ज्यादा सांस लेता है।
छह से 12 वर्ष तक का बच्चा एक मिनट में 30 बार से ज्यादा सांस लेता है।
बच्चे की पसलियों के पास सांस लेते समय गड्ढा भी नजर आता है।