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तीन साल बाद पैराशूट एयरड्रॉप का सफल परीक्षण: सुरक्षित सैन्य अभ्यास क्षेत्र होने के नाते चुना गया बबीना रेंज
सार
भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन में बबीना फायरिंग रेंज भी अहम भूमिका निभा रहा है। तीन साल बाद दोबारा विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) ने बबीना फायरिंग रेंज को ही इंटीग्रेटेड मैन पैराशूट एयरड्रॉप टेस्ट के लिए चुना। यह टेस्ट सफल रहा।
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पैराशूट का सफल परीक्षण
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विस्तार
भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन में बबीना फायरिंग रेंज भी अहम भूमिका निभा रहा है। तीन साल बाद दोबारा विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) ने बबीना फायरिंग रेंज को ही इंटीग्रेटेड मैन पैराशूट एयरड्रॉप टेस्ट के लिए चुना। यह टेस्ट सफल रहा। इसके पहले 18 नवंबर 2022 को बबीना में ही इसका सफल परीक्षण हुआ था। यह दोनों परीक्षण गगनयान मिशन के लिए काफी अहम माने जा रहे हैं।
गगनयान मिशन भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम है। इसके जरिये तीन अंतरिक्ष यात्रियों के दल को पृथ्वी की निचली कक्षा में 400 किलोमीटर ऊंचाई पर तीन दिनों के लिए भेजना और उनको सुरक्षित वापस लाना है। इसके लिए मुख्य पैराशूट सिस्टम का परीक्षण किया जा रहा है। इसरो वैज्ञानिकों के मुताबिक तीन नवंबर को बबीना फायरिंग रेंज में इंटीग्रेडेड मैन पैराशूट एयरड्रॉप टेस्ट का परीक्षण किया गया। यह परीक्षण सफल रहा।
विशेषज्ञों ने बताया परीक्षण के दौरान करीब पांच टन के डमी को 2.5 किलोमीटर ऊंचाई से विमान से नीचे गिराया जाता है। बबीना रेंज के विस्तृत क्षेत्र होने की वजह से यहां दुर्घटनाओं की संभावना काफी कम रहती है। सटीक डेटा संग्रह के लिए यह स्थान उपयोगी है। सेना की रेंज होने से लॉजिस्टिक्स एवं सुरक्षा भी आसान रहती है। इस वजह से भी इसका चुनाव होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि गगनयान के क्रू मॉड्यूल के 10 पैराशूट वाले डिकेलरेशन सिस्टम को विभिन्न स्थितियों के लिए परखा जा रहा है। देश के अलग-अलग दस स्थानों पर यह परीक्षण हो रहा है।
बबीना फायरिंग रेंज देश की चुनिंदा फायरिंग रेंज में शुमार है। अत्यंत विस्तृत क्षेत्र होने के नाते यहां कई देशों के साथ संयुक्त युद्ध अभ्यास भी सेना कर चुकी है।
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गगनयान मिशन भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम है। इसके जरिये तीन अंतरिक्ष यात्रियों के दल को पृथ्वी की निचली कक्षा में 400 किलोमीटर ऊंचाई पर तीन दिनों के लिए भेजना और उनको सुरक्षित वापस लाना है। इसके लिए मुख्य पैराशूट सिस्टम का परीक्षण किया जा रहा है। इसरो वैज्ञानिकों के मुताबिक तीन नवंबर को बबीना फायरिंग रेंज में इंटीग्रेडेड मैन पैराशूट एयरड्रॉप टेस्ट का परीक्षण किया गया। यह परीक्षण सफल रहा।
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विशेषज्ञों ने बताया परीक्षण के दौरान करीब पांच टन के डमी को 2.5 किलोमीटर ऊंचाई से विमान से नीचे गिराया जाता है। बबीना रेंज के विस्तृत क्षेत्र होने की वजह से यहां दुर्घटनाओं की संभावना काफी कम रहती है। सटीक डेटा संग्रह के लिए यह स्थान उपयोगी है। सेना की रेंज होने से लॉजिस्टिक्स एवं सुरक्षा भी आसान रहती है। इस वजह से भी इसका चुनाव होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि गगनयान के क्रू मॉड्यूल के 10 पैराशूट वाले डिकेलरेशन सिस्टम को विभिन्न स्थितियों के लिए परखा जा रहा है। देश के अलग-अलग दस स्थानों पर यह परीक्षण हो रहा है।
बबीना फायरिंग रेंज देश की चुनिंदा फायरिंग रेंज में शुमार है। अत्यंत विस्तृत क्षेत्र होने के नाते यहां कई देशों के साथ संयुक्त युद्ध अभ्यास भी सेना कर चुकी है।