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Kannauj News: भारत पर्व में महकी इत्रनगरी की खुशबू

Kanpur	 Bureau कानपुर ब्यूरो
Updated Wed, 12 Nov 2025 11:18 PM IST
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The fragrance of the perfume city spreads during the Bharat festival.
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कन्नौज। गुजरात में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के पास केवड़िया में भारत पर्व 2025 का आयोजन किया गया। इसमें उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग की ओर से बुधवार को विभिन्न झांकियां प्रस्तुत की गईं जिसमें कन्नौज के इत्र और उसके गौरवशाली इतिहास को भी दर्शाया गया। पर्यटन मंत्रालय ने एक भारत, श्रेष्ठ भारत के तहत इत्र का चयन किया था। इसमें आसवन विधि से पुरातन इत्र बनाने की विधि और उसके इतिहास का भी चित्रण किया गया। इसे दुनिया भर से आए लोगाें ने देखा।
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केवड़िया में उत्तर प्रदेश दिवस मनाया गया। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री योगी, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक, विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना आदि की उपस्थिति रही। इस दौरान एक भारत, श्रेष्ठ भारत को समर्पित एवं देखो अपना देश पहल के अंतर्गत यूपी की विशेष सांस्कृतिक प्रस्तुतियां हुई। मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि कन्नौज के इत्र की झांकी सबसे आकर्षक रही। इसमें भभका और डेग आसवन विधि से पुरातन इत्र बनाने और उसके इतिहास का चित्रण किया गया।
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वैश्विक पटल पर इत्र के साथ कन्नौज को पर्यटन हब के रूप में विकसित करने लिए सरकार प्रयत्नशील है। वर्ष 2025 की पहली छमाही (जनवरी से जून) तक जिले में पर्यटकों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। इसके अलावा अयोध्या के श्रीराम मंदिर, वाराणसी के श्री काशी विश्वनाथ धाम, मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर, बौद्ध सर्किट, स्पिरिचुअल ट्रायंगल, दीपोत्सव, देव दीपावली, रंगोत्सव आदि को दर्शकों के समक्ष प्रदर्शित किया गया है। साथ ही ईको टूरिज्म स्थलों और ग्रामीण पर्यटन से संबंधित जानकारी भी आगंतुकों को दी जा रही है। जिला पर्यटन अधिकारी डॉ. मोहम्मद मकबूल ने बताया कि इत्र को प्रदर्शित किए जाने का उद्देश्य जिले में पर्यटन को बढ़ावा देना है। निश्चित रूप से यह सरकार की सार्थक पहल है, जिसके सकारात्मक परिणाम आएंगे।
5000 वर्ष पुरानी है इत्र बनाने की परंपरा
कन्नौज में इत्र बनाने की परंपरा 5000 साल पुरानी है। ऐसा कई ग्रंथों में उल्लेख है कि कन्नौज के आसपास फूलों की खेती होती थी और कारीगर यहां पर ही प्राचीन भभका व डेग विधि से भाप को ठंडा कर इत्र निकालते थे। आज भी इसी प्रकार से इत्र बनाया जा रहा है जबकि आधुनिक तकनीक के युग में कई प्रकार मशीनें भी आ चुकी हैं। भभका से प्राकृतिक इत्र निकलता है जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में अधिक डिमांड है। भारत पर्व में भभका और डेग विधि का ही प्रदर्शन किया गया। यूनेस्को ने भी भभका व डेग को विश्व धरोहर के रूप में शामिल किया है।
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