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UP: दुष्कर्म हुआ मूकबधिर किशोरी से, बयान दर्ज कर लिए मां के, अपर जिला जज ने विवेचक को फटकारा, पढ़ें पूरा मामला

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, हरदोई Published by: हिमांशु अवस्थी Updated Fri, 14 Nov 2025 10:20 AM IST
सार

Hardoi News: अपर जिला जज ने पत्रावली देखी, तो इसमें किशोरी के धारा 180 के बयान (पुलिस के समक्ष बयान) दर्ज नहीं थे। इस पर विवेचक ने कहा कि किशोरी की मां के बयान दर्ज हैं। इस पर अपर जिला जज ने विवेचक को फटकार लगाते हुए नियम और कानून पढ़ने की सलाह दी।

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Hardoi A deaf and mute teenager was raped her mothers statement was recorded
सांकेतिक - फोटो : amar ujala
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विस्तार
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हरदोई जिले में मूकबधिर किशोरी से हुई दुष्कर्म की घटना में विवेचना को लेकर अपर जिला जज यशपाल ने देहात कोतवाल विनोद यादव को जमकर फटकारा। दरअसल, किशोरी के पुलिस के समक्ष बयान कराए बिना ही उसे न्यायालय में बयान के लिए बृहस्पतिवार को हाजिर कर दिया गया। अपर जिला जज ने देहात कोतवाल को नियम और कानून का हवाला देते हुए पुलिस अधीक्षक को भी विवेचना किसी सक्षम अधिकारी से कराने के निर्देश दिए।

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बीती तीन नवंबर को देहात कोतवाली क्षेत्र की एक कॉलोनी में मानसिक रूप से कमजोर मूकबधिर किशोरी के साथ दुष्कर्म हुआ था। सीओ सिटी अंकित मिश्रा के नेतृत्व में घटना का खुलासा पुलिस ने किया था। आरोपी रोहित कश्यप को मुठभेड़ के बाद पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। इस मामले में किशोरी के बीएनएसएस की धारा 183 (मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान) के बयान दस दिन बाद भी नहीं हो पाए हैं। मामले के विवेचक देहात कोतवाल विनोद यादव बृहस्पतिवार को किशोरी का बयान दर्ज कराने के लिए कोर्ट पहुंचे।

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नियम और कानून पढ़ने की सलाह दी
स्पेशल पॉक्सो कोर्ट के अपर जिला जज अवकाश पर थे। इस कारण इसकी सुनवाई अपर जिला जज कोर्ट संख्या चार यशपाल ने की। अपर जिला जज ने पत्रावली देखी, तो इसमें किशोरी के धारा 180 के बयान (पुलिस के समक्ष बयान) दर्ज नहीं थे। इस पर विवेचक ने कहा कि किशोरी की मां के बयान दर्ज हैं। इस पर अपर जिला जज ने विवेचक को फटकार लगाते हुए नियम और कानून पढ़ने की सलाह दी। किशोरी का बयान स्पेशल एजुकेटर के माध्यम से कराने का कोई प्रयास न करने पर भी अपर जिला जज ने विवेचक से नाराजगी जताई। पूरे मामले में पहले धारा 180 के बयान दर्ज कराने और इसके बाद 183 के बयान कराने की नसीहत विवेचक को दी।

सक्षम अधिकारी से कराएं विवेचना ताकि बनी रही सुचिता
अपर जिला जज ने पुलिस अधीक्षक को पत्र भेजा है। इसमें कहा कि विवेचक से उक्त प्रकरण के बारे में कई प्रश्न किए गए लेकिन किसी का भी संतोषजनक जवाब नहीं मिला। नाराजगी जताते हुए अपर जिला जज ने यह भी लिखा है कि विधि विरुद्ध बाल कल्याण समिति के माध्यम से स्पेशल एजुकेटर की मांग की गई जबकि प्रकरण में संबंधित समिति का कोई रोल ही नहीं है। पुलिस अधीक्षक से अपेक्षा की कि इस मामले में सक्षम अधिकारी से विवेचना कराएं ताकि सुचिता बनी रहे।

पत्रावली में नहीं लगा था दिव्यांगता प्रमाण पत्र
मूकबधिर से दुष्कर्म जैसे गंभीर मामले में भी विवेचक ने घोर लापरवाही की। किशोरी का दिव्यांगता प्रमाण पत्र ही पत्रावली में नहीं लगाया। हद तो यह कि केस डायरी के पर्चा नंबर सात में विवेचक ने खुद ही लिखा कि पीड़िता का दिव्यांगता प्रमाण पत्र सीएमओ कार्यालय से बनवाया जाए। इसके बाद ही आगे की कार्रवाई किया जाना संभव होगा। अपर जिला जज ने इस पर भी सवाल उठाए।

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