दयाराम का दर्द: 48 वर्ष में भी कागजों में नाबालिग, तीन साल तहसील के काट रहे चक्कर, बोला- अब तक नहीं मिला न्याय
Kanpur News: नरवल तहसील क्षेत्र के 48 वर्षीय दयाराम कोरी 2002 से लेकर अब तक चार बीघा पैतृक जमीन में हिस्सा पाने के लिए खुद को कागजों में बालिग साबित करने की लड़ाई लड़ रहे हैं। हालांकि, तहसीलदार की तैनाती न होने के कारण उनकी संशोधन फाइल तीन वर्षों से अटकी पड़ी है।
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कानपुर में नरवल तहसील क्षेत्र के सुनहैला गांव निवासी दयाराम कोरी (48) पुत्र मोहन पिछले तीन वर्षों से तहसीलदार कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं। उनकी संशोधन फाइल लगातार लंबित पड़ी हुई है। दयाराम तीन भाइयों में से एक हैं, जिनमें शिवराम और रामप्रसाद शामिल थे। रामप्रसाद की मौत हो चुकी है। दयाराम के परिवार में दो बेटे और दो बेटियां हैं।
इनमें से एक बेटे की शादी भी हो चुकी है। पीड़ित ने बताया कि पिता मोहन जी की चार बीघे जमीन उस समय दोनों भाइयों के नाम कर दी गई थी। जब दयाराम नाबालिग थे, तब से लेकर आज तक वे खुद को बालिग साबित करने के लिए तहसील में न्याय की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन फाइल आगे नहीं बढ़ रही है।
नरवल तहसील में कई साल से चक्कर काट रहे हैं
पीड़ित का कहना है कि वर्षों से लगातार प्रयास करने के बावजूद उन्हें न्याय नहीं मिल पा रहा है और परिवार के भरण पोषण के लिए उन्हें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2002 से इस मामले को लेकर सदर तहसील में चक्कर काट रहे थे, लेकिन नरवल तहसील बनने के बाद अब यहां कई साल से चक्कर काट रहे हैं।
आज तक न्याय नहीं मिल पाया है
उम्र 48 की हो गई है, लेकिन कागजों में अभी भी वे नाबालिग दर्ज हैं। इसी को लेकर वे तहसीलदार कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं। पीड़ित ने बताया कि कई जगह से फाइल आकर अब तहसीलदार कोर्ट में अटक गई है, लेकिन तहसील में तहसीलदार की तैनाती न होने से समस्या और बढ़ गई है। इन्हीं कारणों से आज तक उन्हें न्याय नहीं मिल पाया है।