दिल्ली ब्लास्ट केस: SGPGI छोड़ कार्डियोलॉजी में क्यों लिया था डॉ. आरिफ ने प्रवेश, प्रबंधन ने दिया ऐसा जवाब
Kanpur News: एलपीएस कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट के डीएम प्रथम वर्ष के छात्र डॉ. मो. आरिफ मीर को जांच एजेंसियों ने हिरासत में लिया है। एसजीपीजीआई लखनऊ छोड़कर कानपुर को चुनने वाले डॉ. आरिफ को इंस्टीट्यूट ने सामान्य स्वभाव का बताया है, जबकि उनकी अन्य गतिविधियों की जानकारी न होने की बात कही है।
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दिल्ली में लाल किला ब्लास्ट केस में जांच एजेंसियों ने एलपीएस कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट के डॉक्टरेट ऑफ मेडिसिन (डीएम) के प्रथम वर्ष के छात्र डॉ. मो. आरिफ मीर को हिरासत में लिया है। डॉ. आरिफ के मामले में नाम आने से इंस्टीट्यूट के डॉक्टर और स्टॉफ स्तब्ध रह गया। डॉ. आरिफ की मेडिकल की अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा नीट सुपर स्पेशियलिटी में देश में 1008वीं रैंक रही है।
उसने एसजीपीजीआई लखनऊ को छोड़कर कार्डियोलॉजी में डीएम कोर्स में प्रवेश लिया है। सवाल उठ रहा है कि क्या कारण रहा होगा, जो पीजीआई जैसे संस्थान को छोड़ उसने कार्डियोलॉजी को चुना। इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. राकेश कुमार वर्मा, कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. उमेश्वर पांडेय, वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अवधेश कुमार वर्मा ने पत्रकारों को बताया कि डॉ. आरिफ को प्रवेश लिए चार महीने हुए थे।
लखनऊ के एसजीपीजीआई में मिला था प्रवेश
गुरुवार को उसने दिन में ओपीडी की और शाम को इमरजेंसी में ड्यूटी के बाद घर गया था। जांच एजेंसियों के उसे हिरासत में लेने की अधिकारिक सूचना इंस्टीट्यूट को नहीं है। सारी जानकारी मीडिया से मिली है। उन्होंने बताया कि पहली काउंसलिंग में उसे लखनऊ के एसजीपीजीआई में प्रवेश मिला था। दूसरी काउंसलिंग में उसने एसजीपीजीआई छोड़कर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट को चुना और अगस्त 2025 में प्रवेश लिया।
इस समय कश्मीर के चार छात्र पढ़ रहे हैं
डॉ. शर्मा ने बताया कि डॉ. आरिफ का स्वभाव सामान्य था और वह सामान्य डॉक्टर की तरह काम करता था। डॉ. शर्मा ने बताया कि इंस्टीट्यूट में इस समय कश्मीर के चार छात्र पढ़ रहे हैं। तीन छात्र पढ़ाई पूरी करके जा चुके हैं। हर साल जम्मू-कश्मीर से सुपर स्पेशियलिटी कोर्स में डीएम और एमसीएच के एक-दो छात्र प्रवेश लेते हैं। इनका चयन नीट-सुपर स्पेशियलिटी टेस्ट से होता है।
इंस्टीट्यूट में उसका चाल-चलन ठीक रहा
उन्होंने बताया कि सभी छात्रों के लिए अभी छात्रावास की व्यवस्था नहीं है, तो शुरू में छात्र बाहर किराये का कमरा लेकर रहते हैं। डॉ. आरिफ अशोकनगर में रहता है। उसके साथ में उसका सहपाठी डॉ. अभिषेक भी रहता है। इंस्टीट्यूट में उसका चाल-चलन ठीक रहा है, लेकिन अन्य गतिविधियों की जानकारी नहीं है। उसके पिता का नाम गुलाम हसन मीर है। वह खागुंड, सादीवाड़ा वेरिनाग, अनंतनाग का रहने वाला है।