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Mysterious fever in Kanpur: Death audit report did not reveal the secret of deaths, liver failure and TB deaths
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कानपुर में रहस्यमय बुखार: डेथ ऑडिट रिपोर्ट में भी नहीं खुला मौतों का राज, लिवर की खराबी और टीबी से मौतें
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर
Published by: प्रभापुंज मिश्रा
Updated Mon, 27 Sep 2021 09:22 AM IST
सार
कुरसौली में बुखार आने के बाद हुई मौतों को शुरू से ही गंभीरता से नहीं लिया गया। उसी का नतीजा है कि जीएसवीएम मेडिकल कालेज के विशेषज्ञों की डेथ ऑडिट रिपोर्ट ढाक के तीन पात साबित हुई।
हैलट ओपीडी में लगी भीड़
- फोटो : amar ujala
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कानपुर के कुरसौली में रोगियों की मौतें किस रोग से हुई हैं? यह पता नहीं चला है। जीएसवीएम मेडिकल कालेज की टीम ने हर मौत का अलग-अलग कारण बताया है। हालांकि रोगी जब बीमार पड़े तो उनमें शुरुआती लक्षण एक जैसे रहे हैं। बुखार आने के बाद रोगियों के ब्लीडिंग भी हुई। लेकिन विशेषज्ञों ने डेथ ऑडिट की जो रिपोर्ट सीएमओ को सौंपी है, उसमें खानापूरी नजर आ रही है।
वायरल फीवर से सिर्फ तीन-चार मौत ही बताई गई हैं। कुरसौली में बुखार आने के बाद हुई मौतों को शुरू से ही गंभीरता से नहीं लिया गया। उसी का नतीजा है कि जीएसवीएम मेडिकल कालेज के विशेषज्ञों की डेथ ऑडिट रिपोर्ट ढाक के तीन पात साबित हुई। रोगी निजी अस्पतालों में भर्ती हुए, जहां उनकी पूरी जांचें नहीं हुईं।
हल्ला मचने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग ने जाकर निजी अस्पतालों से ब्यौरा नहीं लिया। टीम ने जांच के दौरान बताया कि मरने वाले सभी रोगियों के अभिलेख नहीं मिल रहे हैं। मर्ज गंभीर होने के बाद सिर्फ सीबीसी की ही जांच कराई गई। संक्रमण किस बीमारी का था? यह बताने के बजाए बीमारी से खराब होने वाले अंग को मौत का कारण बताकर इतिश्री कर ली गई।
रोगी तो दुनिया से चले गए, अब जांचें हो भी नहीं पाएंगी। डेथ ऑडिट रिपोर्ट के संबंध में सीएमओ डॉ. नैपाल सिंह ने बताया कि किसी रोगी की मौत लिवर खराब होने, किसी की टीबी और किसी की फेफड़ों में पानी भरने से बताई गई है। तीन-चार की मौत बुखार से बताई गई। उनका कहना है कि हो सकता है कि बुखार की वजह से रोगी का पुराना रोग बिगड़ गया हो।
गांव में अब तक 38 डेंगू रोगी मिले
कुरसौली की डेथ ऑडिट रिपोर्ट में 13 मौतों को शामिल किया गया है। बुखार से यहां 11 मौतें हुई थीं। लेकिन पैर में चोट लगने के बाद सेप्टीसीमिया से एक और लिवर फेल होने से हुई एक मौत को शामिल करके कुल 13 मौतों का ऑडिट किया गया। गांव में डेंगू के 38 रोगी मिले हैं। सीएमओ का कहना है कि डेंगू से एक भी मौत नहीं है।
विस्तार
कानपुर के कुरसौली में रोगियों की मौतें किस रोग से हुई हैं? यह पता नहीं चला है। जीएसवीएम मेडिकल कालेज की टीम ने हर मौत का अलग-अलग कारण बताया है। हालांकि रोगी जब बीमार पड़े तो उनमें शुरुआती लक्षण एक जैसे रहे हैं। बुखार आने के बाद रोगियों के ब्लीडिंग भी हुई। लेकिन विशेषज्ञों ने डेथ ऑडिट की जो रिपोर्ट सीएमओ को सौंपी है, उसमें खानापूरी नजर आ रही है।
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वायरल फीवर से सिर्फ तीन-चार मौत ही बताई गई हैं। कुरसौली में बुखार आने के बाद हुई मौतों को शुरू से ही गंभीरता से नहीं लिया गया। उसी का नतीजा है कि जीएसवीएम मेडिकल कालेज के विशेषज्ञों की डेथ ऑडिट रिपोर्ट ढाक के तीन पात साबित हुई। रोगी निजी अस्पतालों में भर्ती हुए, जहां उनकी पूरी जांचें नहीं हुईं।
हल्ला मचने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग ने जाकर निजी अस्पतालों से ब्यौरा नहीं लिया। टीम ने जांच के दौरान बताया कि मरने वाले सभी रोगियों के अभिलेख नहीं मिल रहे हैं। मर्ज गंभीर होने के बाद सिर्फ सीबीसी की ही जांच कराई गई। संक्रमण किस बीमारी का था? यह बताने के बजाए बीमारी से खराब होने वाले अंग को मौत का कारण बताकर इतिश्री कर ली गई।
रोगी तो दुनिया से चले गए, अब जांचें हो भी नहीं पाएंगी। डेथ ऑडिट रिपोर्ट के संबंध में सीएमओ डॉ. नैपाल सिंह ने बताया कि किसी रोगी की मौत लिवर खराब होने, किसी की टीबी और किसी की फेफड़ों में पानी भरने से बताई गई है। तीन-चार की मौत बुखार से बताई गई। उनका कहना है कि हो सकता है कि बुखार की वजह से रोगी का पुराना रोग बिगड़ गया हो।
गांव में अब तक 38 डेंगू रोगी मिले
कुरसौली की डेथ ऑडिट रिपोर्ट में 13 मौतों को शामिल किया गया है। बुखार से यहां 11 मौतें हुई थीं। लेकिन पैर में चोट लगने के बाद सेप्टीसीमिया से एक और लिवर फेल होने से हुई एक मौत को शामिल करके कुल 13 मौतों का ऑडिट किया गया। गांव में डेंगू के 38 रोगी मिले हैं। सीएमओ का कहना है कि डेंगू से एक भी मौत नहीं है।
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