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UP election 2022: In seats where MLA ticket will be cut, candidate of same community will fight, BJP changed strategy
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UP election 2022: जिन सीटों पर विधायक का टिकट कटेगा, वहां उसी बिरादरी का प्रत्याशी, भाजपा ने बदली रणनीति
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर
Published by: प्रभापुंज मिश्रा
Updated Fri, 14 Jan 2022 08:45 PM IST
सार
विधानसभा चुनाव 2022 की घोषणा के बाद भाजपा से एक के बाद जा रहे विधायकों ने पार्टी को चिंता में डाल दिया है। ऐसे में पिछड़ी और अनुसूचित जाति के मतदाताओं के बिखराव के डर से भाजपा ने रणनीति में बदलाव किया है।
बीजेपी पार्टी।
- फोटो : amar ujala
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कानपुर में पिछड़ी और अनुसूचित जाति के विधायकों का टिकट कटने के बाद इन जातियों के मतदाताओं का भाजपा से मोहभंग होने की चर्चा तेज हो गई है। स्वामी प्रसाद मौर्य समेत आधा दर्जन से अधिक विधायकों के सपा का दामन थामने के बाद इसे और बल मिला है।
भाजपा ने इसे खतरे की घंटी मानते हुए दोनों बिरादरी के लोगों को पार्टी से जोड़े रखने के लिए घेरेबंदी शुरू कर दी है। पार्टी ने तय किया है कि जिस सीट पर जिस विधायक का टिकट कटेगा, वहां उसी बिरादरी के दूसरे नेता को प्रत्याशी बनाया जाएगा।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, रणनीति में यह बदलाव इसलिए किया गया है, जिससे संबंधित बिरादरी के मतदाताओं में गलत संदेश न जाए। पहले यह सूचना आई थी कि प्रदेशभर में भाजपा के जितने विधायक हैं, उनमें से करीब 60 का टिकट काटा जाएगा।
इसके बाद से लगातार विधायकों के बागी होने और दूसरे दलों में जाने का सिलसिला शुरू गया है। यह देख डैमेज कंट्रोल में जुटी पार्टी अब कह रही है कि बहुत कम विधायकों का टिकट कटेगा। अकेले कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र की बात करें तो यहां पर भाजपा के 47 में से मात्र दो प्रतिशत विधायकों के ही टिकट कटेंगे। पहले पांच फीसदी विधायकों का टिकट कटना था।
विस्तार
कानपुर में पिछड़ी और अनुसूचित जाति के विधायकों का टिकट कटने के बाद इन जातियों के मतदाताओं का भाजपा से मोहभंग होने की चर्चा तेज हो गई है। स्वामी प्रसाद मौर्य समेत आधा दर्जन से अधिक विधायकों के सपा का दामन थामने के बाद इसे और बल मिला है।
भाजपा ने इसे खतरे की घंटी मानते हुए दोनों बिरादरी के लोगों को पार्टी से जोड़े रखने के लिए घेरेबंदी शुरू कर दी है। पार्टी ने तय किया है कि जिस सीट पर जिस विधायक का टिकट कटेगा, वहां उसी बिरादरी के दूसरे नेता को प्रत्याशी बनाया जाएगा।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, रणनीति में यह बदलाव इसलिए किया गया है, जिससे संबंधित बिरादरी के मतदाताओं में गलत संदेश न जाए। पहले यह सूचना आई थी कि प्रदेशभर में भाजपा के जितने विधायक हैं, उनमें से करीब 60 का टिकट काटा जाएगा।
इसके बाद से लगातार विधायकों के बागी होने और दूसरे दलों में जाने का सिलसिला शुरू गया है। यह देख डैमेज कंट्रोल में जुटी पार्टी अब कह रही है कि बहुत कम विधायकों का टिकट कटेगा। अकेले कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र की बात करें तो यहां पर भाजपा के 47 में से मात्र दो प्रतिशत विधायकों के ही टिकट कटेंगे। पहले पांच फीसदी विधायकों का टिकट कटना था।
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