कानपुर में जीका संक्रमितों की संख्या 108 हो गई है और अभी तक प्रभावित क्षेत्रों से 116 मच्छरों के सैंपल जांच के लिए भेजे गए। इनमें एक मच्छर के पेट में ही जीका मिला है। इससे सवाल पैदा होता है कि एक ही मच्छर में जीका है तो इतने संक्रमित कैसे हो गए?
क्या एजिप्टाई के अलावा अब एडीज की दूसरी प्रजाति एल्बोपिक्टस भी जीका फैलाने लगी है? इस पर महामारी और संचारी विशेषज्ञों ने अध्ययन शुरू कर दिया है। दिल्ली और लखनऊ के विशेषज्ञों की टीमें संक्रमण फैलने के स्रोत के साथ इस बात भी चिंतन कर रही हैं कि क्या एडीज एजिप्टाई के अलावा एल्बोपिक्टस भी जीका फै ला सकता है।
हालांकि अभी तक यही कहा जाता रहा है कि ये दोनों मच्छर डेंगू, यलो फीवर, जापानी इंसेफ्लाइटिस फैला सकते हैं। लेकिन जीका फैलाने के संबंध में अभी एडीज एजिप्टाई का तथ्य ही स्थापित हो पाया है। चकेरी क्षेत्र से पहली खेप में 50 मच्छर भेजे गए, जिनमें एक में जीका मिला था।
सैंपल अलग-अलग क्षेत्रों के रहे हैं। बाकी एडीज एजिप्टाई में जीका नहीं रहा। शक है कि एल्बोपिक्टस ने भी जीका की क्षमता विकसित न कर ली हो। जीएसवीएम मेडिकल कालेज की मेडिकल रिसर्च यूनिट भी इस पर काम करेगी। कालेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने बताया कि शोध की तैयारी की जा रही है। वहीं अपर निदेशक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डॉ. जीके मिश्रा का कहना है कि जीका के विभिन्न पहलुओं पर मंथन चल रहा है। अभी प्राथमिकता संक्रमण रोकना है।
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कानपुर में जीका संक्रमितों की संख्या 108 हो गई है और अभी तक प्रभावित क्षेत्रों से 116 मच्छरों के सैंपल जांच के लिए भेजे गए। इनमें एक मच्छर के पेट में ही जीका मिला है। इससे सवाल पैदा होता है कि एक ही मच्छर में जीका है तो इतने संक्रमित कैसे हो गए?
क्या एजिप्टाई के अलावा अब एडीज की दूसरी प्रजाति एल्बोपिक्टस भी जीका फैलाने लगी है? इस पर महामारी और संचारी विशेषज्ञों ने अध्ययन शुरू कर दिया है। दिल्ली और लखनऊ के विशेषज्ञों की टीमें संक्रमण फैलने के स्रोत के साथ इस बात भी चिंतन कर रही हैं कि क्या एडीज एजिप्टाई के अलावा एल्बोपिक्टस भी जीका फै ला सकता है।
हालांकि अभी तक यही कहा जाता रहा है कि ये दोनों मच्छर डेंगू, यलो फीवर, जापानी इंसेफ्लाइटिस फैला सकते हैं। लेकिन जीका फैलाने के संबंध में अभी एडीज एजिप्टाई का तथ्य ही स्थापित हो पाया है। चकेरी क्षेत्र से पहली खेप में 50 मच्छर भेजे गए, जिनमें एक में जीका मिला था।
सैंपल अलग-अलग क्षेत्रों के रहे हैं। बाकी एडीज एजिप्टाई में जीका नहीं रहा। शक है कि एल्बोपिक्टस ने भी जीका की क्षमता विकसित न कर ली हो। जीएसवीएम मेडिकल कालेज की मेडिकल रिसर्च यूनिट भी इस पर काम करेगी। कालेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने बताया कि शोध की तैयारी की जा रही है। वहीं अपर निदेशक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डॉ. जीके मिश्रा का कहना है कि जीका के विभिन्न पहलुओं पर मंथन चल रहा है। अभी प्राथमिकता संक्रमण रोकना है।