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Kasganj News: नातिया बहारिया मुशायरे में शायरों की सजी महफिल
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कासगंज। गंगा-जमुनी अदबी संगम का आयोजन हसनैन अहमद शाद बिलरामी के आवास पर किया गया। इसमें नातिया-बहारिया मुशायरे की महफिल सजी। शायरों ने अपनी चुनिंदा रचनाओं से श्रोताओं के हृदय को आनंदित कर दिया।
कार्यक्रम अध्यक्ष हाजी मुहम्मद इलियास, संचालक अब्दुल कदीर जिया ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया। शायर तौसीफ अहमद तौसीफ ने पढ़ा कि ऐ मेरे गीतों की सरगम मेरी गजलों का निखार। तेरी यादों से ही कायम है मेरे फन में बहार।
शायर हसनैन शाद बिलरामी ने पढ़ा कि ऐ अहले वतन प्यार की शमाओं को जलाकर, नफरत को हर इक दिल से मिटा क्यूं नहीं देते। शायर डॉ. मुहम्मद मियां वफा उझयानवी ने पढ़ा कि देखा मुझको तो दौड़ कर आए...। शायर आतिश सोलंकी ने पढ़ा कि इमदाद कर रहे हो यही सोचकर करना, रब पालता है सबको कोई पालता नहीं। शायर मुहम्मद साजिद कुरैशी ने पढ़ा कि होता कभी न आज का फिरऔन मुसल्लत, जो कौम अगर दीन से गाफिल नहीं होती। शायर शमशुद्दीन शमश कासगंजवी ने कहा कि झुका के दर पे तुम्हारे हम जो अपना सर रखते, बिल यकीं अपनी दुआओं में कुछ असर रखते।
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कार्यक्रम अध्यक्ष हाजी मुहम्मद इलियास, संचालक अब्दुल कदीर जिया ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया। शायर तौसीफ अहमद तौसीफ ने पढ़ा कि ऐ मेरे गीतों की सरगम मेरी गजलों का निखार। तेरी यादों से ही कायम है मेरे फन में बहार।
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शायर हसनैन शाद बिलरामी ने पढ़ा कि ऐ अहले वतन प्यार की शमाओं को जलाकर, नफरत को हर इक दिल से मिटा क्यूं नहीं देते। शायर डॉ. मुहम्मद मियां वफा उझयानवी ने पढ़ा कि देखा मुझको तो दौड़ कर आए...। शायर आतिश सोलंकी ने पढ़ा कि इमदाद कर रहे हो यही सोचकर करना, रब पालता है सबको कोई पालता नहीं। शायर मुहम्मद साजिद कुरैशी ने पढ़ा कि होता कभी न आज का फिरऔन मुसल्लत, जो कौम अगर दीन से गाफिल नहीं होती। शायर शमशुद्दीन शमश कासगंजवी ने कहा कि झुका के दर पे तुम्हारे हम जो अपना सर रखते, बिल यकीं अपनी दुआओं में कुछ असर रखते।