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Kushinagar News: भंते नंदका म्यांमार बुद्ध विहार के उत्तराधिकारी, भिक्षु संघ ने दी सहमति
संवाद न्यूज एजेंसी, कुशीनगर
Updated Thu, 13 Nov 2025 01:53 AM IST
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भंते नंदका।स्रोत-सोशल मीडियास्रोत-
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संवाद न्यूज एजेंसी
पकवा इनार। कुशीनगर स्थित म्यांमार बुद्ध विहार के उत्तराधिकारी (विहाराधिपति) भंते नंदका हैं। इस पर कुशीनगर भिक्षु संघ और म्यांमार भिक्षु संघ ने मुहर लगा दी है। ये बातें बुधवार की शाम बातचीत में कुशीनगर भिक्षु संघ के जनरल सेक्रेटरी भिक्षु नंद ने कही। उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म में विनय के अनुसार उतराधिकारी बनाने की परंपरा है। इसमें सगे-संबंधी व रिश्तेदार होने का कोई मतलब नहीं होता है।
विहार में जो शिष्य गुरु के सानिध्य में रहते हुए सेवा करता है। उसे ही उतराधिकारी बनाया जाता है। भिक्षु ने बताया कि यही नहीं विहार के गुरु किसी शिष्य को अगर मौखिक अथवा लिखित घोषित कर देते हैं तो उसे ही उनके निर्वाण के बाद उतराधिकारी बनाए जाने की परंपरा कायम है। उन्होंने यह भी बताया कि वरिष्ठता का भी ध्यान रखा जाता है, वैसे मौजूदा समय में सबसे वरिष्ठ मैं ही हूं, लेकिन गुरु भदंत ज्ञानेश्वर की सेवा करने का मुझे लंबा अवसर नहीं मिल पाया।
वर्तमान में संकिसा म्यांमार बुद्धिस्ट टेंपल का विहाराधिपति हूं। भदंत एबी ज्ञानेश्वर ने वर्ष 2011 में बुद्ध जयंती के अवसर पर भंते नंदका के उतराधिकारी होने के नाम की घोषणा कर दी थी। इसलिए म्यांमार बुद्ध विहार के उतराधिकारी भंते नंदका हैं। अभी गुरु जी के निधन से पूरा बौद्ध समाज मर्माहत है। बौद्ध रीति रिवाजों व संस्कृति के अनुसार उसके लिए आयोजन किया जाएगा। इस पर विचार आगे किया जाएगा।
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विहार में जो शिष्य गुरु के सानिध्य में रहते हुए सेवा करता है। उसे ही उतराधिकारी बनाया जाता है। भिक्षु ने बताया कि यही नहीं विहार के गुरु किसी शिष्य को अगर मौखिक अथवा लिखित घोषित कर देते हैं तो उसे ही उनके निर्वाण के बाद उतराधिकारी बनाए जाने की परंपरा कायम है। उन्होंने यह भी बताया कि वरिष्ठता का भी ध्यान रखा जाता है, वैसे मौजूदा समय में सबसे वरिष्ठ मैं ही हूं, लेकिन गुरु भदंत ज्ञानेश्वर की सेवा करने का मुझे लंबा अवसर नहीं मिल पाया।
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वर्तमान में संकिसा म्यांमार बुद्धिस्ट टेंपल का विहाराधिपति हूं। भदंत एबी ज्ञानेश्वर ने वर्ष 2011 में बुद्ध जयंती के अवसर पर भंते नंदका के उतराधिकारी होने के नाम की घोषणा कर दी थी। इसलिए म्यांमार बुद्ध विहार के उतराधिकारी भंते नंदका हैं। अभी गुरु जी के निधन से पूरा बौद्ध समाज मर्माहत है। बौद्ध रीति रिवाजों व संस्कृति के अनुसार उसके लिए आयोजन किया जाएगा। इस पर विचार आगे किया जाएगा।