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Maharajganj News: देवदह सरोवर के विकास और सुंदरीकरण कार्य को समय सीमा में पूरा करने का निर्देश
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पूरी परियोजना को नेचुरोपैथी एंड वेलनेस सेंटर के रूप में विकसित किए जाने की कार्ययोजना बनाने का निर्देश दिया
जिलाधिकारी ने निष्कर्षों और दूसरे चरण के उत्खनन कार्यों की ली जानकारी
देवदह में मुख्य स्तूप की खोदाई में प्राप्त हुए हैं शुंग, कुषाण और मौर्य कालीन अवशेष
लक्ष्मीपुर। जिलाधिकारी संतोष कुमार शर्मा ने सोमवार को बनरसिया कला स्थित देवदह स्तूप और पर्यटन परियोजनाओं का निरीक्षण किया। जिलाधिकारी ने सबसे पहले देवदह स्तूप के उत्खनन कार्य को देखा और क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी से उत्खनन से प्राप्त निष्कर्षों और दूसरे चरण के उत्खनन कार्य की जानकारी ली। क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी ने बताया कि राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा कुल 88 एकड़ भूमि को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है। मुख्य स्तूप की खोदाई में शुंग, कुषाण और मौर्य कालीन अवशेष प्राप्त हुए हैं। प्रमुख पुरातत्विक अवशेष गुप्तकालीन मृदभांड के टुकड़े, मनके और ताम्र सिक्के शामिल हैं। जिलाधिकारी ने देवदह सरोवर के विकास और सुंदरीकरण कार्य को समय सीमा के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया।
समुद्रगुप्त कालीन दंडधारी प्रकार का स्वर्ण सिक्का विशेष रूप से उल्लेखनीय है। कुषाणकालीन पुरावशेष में पक्की ईंटों की आवासीय संरचना, रिंगवेल, तांबे के सिक्के, मिट्टी के उपकरण और स्टोरेज ज़ार आदि शामिल हैं। क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी कृष्ण मोहन दुबे ने बताया कि प्रथम चरण के उत्खनन से प्राप्त निष्कर्ष उत्साहवर्धक हैं। इसीलिए राज्य पुरातत्व विभाग ने दूसरे चरण का उत्खनन शीघ्र शुरू कराएगा। इसके अलावा वर्तमान वित्तीय वर्ष में पुरास्थल पर चहारदीवारी का कार्य, पाथवे निर्माण का कार्य और उत्खनित संरचनाओं के अनुरक्षण का कार्य प्रस्तावित है। दूसरे चरण के उत्खनन से पूर्व लोक निर्माण विभाग द्वारा सर्वे किया जाना है।
जिलाधिकारी ने सहायक पर्यटक अधिकारी को अधिशासी अभियंता के साथ समन्वय कर सर्वे कराने के लिए निर्देशित किया। उन्होंने पर्यटन विभाग द्वारा निर्मित विपश्यना केंद्र का अवलोकन किया। विपश्यना केंद्र का सोलर सिस्टम खराब मिलने पर कार्यदाई संस्था यूपीपीसीएल को तत्काल सोलर सिस्टम की मरम्मत के लिए निर्देशित किया। उपनिदेशक पर्यटन ने बताया कि केंद्र को पुरातत्व विभाग को हस्तांतरित कर दिया गया है, किंतु विभाग की ओर अब तक संचालन शुरू नहीं किया जा सका है। जिलाधिकारी ने केंद्र के संचालन और अनुरक्षण के लिए प्रस्ताव जिला पर्यटन और संस्कृति परिषद की बैठक में रखने का निर्देश दिया। जिलाधिकारी ने पूरी परियोजना को नेचुरोपैथी एंड वेलनेस सेंटर के रूप में विकसित किए जाने की कार्ययोजना बनाने का निर्देश दिया।
जिलाधिकारी ने उन्होंने कार्यदाई संस्था को सरोवर में जल के आगमन और निकासी का उचित प्रबंधन करने का निर्देश दिया। साथ ही सरोवर की सफाई के लिए निर्देशित किया। जिलाधिकारी ने कहा कि समस्त कार्य गुणवत्तापूर्ण हों। उन्होंने देवदह परियोजना को एकीकृत तरीके से विकसित करने के लिए निर्देशित किया। इस संदर्भ में उन्होंने उपनिदेशक पर्यटन को आवश्यकतानुसार भूमि क्रय का प्रस्ताव शासन को भेजने के लिए निर्देशित किया। परियोजना स्थल पर भगवान बुद्ध की प्रतिमा स्थापना के लिए राज्य ललित कला अकादमी को पत्र भेजने के लिए भी कहा। निरीक्षण के दौरान एसडीएम नौतनवा नवीन प्रसाद, उपनिदेशक पर्यटन गोरखपुर मंडल राजेंद्र प्रसाद, सहायक पर्यटक अधिकारी प्रभाकर मणि त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।
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जिलाधिकारी ने निष्कर्षों और दूसरे चरण के उत्खनन कार्यों की ली जानकारी
देवदह में मुख्य स्तूप की खोदाई में प्राप्त हुए हैं शुंग, कुषाण और मौर्य कालीन अवशेष
लक्ष्मीपुर। जिलाधिकारी संतोष कुमार शर्मा ने सोमवार को बनरसिया कला स्थित देवदह स्तूप और पर्यटन परियोजनाओं का निरीक्षण किया। जिलाधिकारी ने सबसे पहले देवदह स्तूप के उत्खनन कार्य को देखा और क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी से उत्खनन से प्राप्त निष्कर्षों और दूसरे चरण के उत्खनन कार्य की जानकारी ली। क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी ने बताया कि राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा कुल 88 एकड़ भूमि को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है। मुख्य स्तूप की खोदाई में शुंग, कुषाण और मौर्य कालीन अवशेष प्राप्त हुए हैं। प्रमुख पुरातत्विक अवशेष गुप्तकालीन मृदभांड के टुकड़े, मनके और ताम्र सिक्के शामिल हैं। जिलाधिकारी ने देवदह सरोवर के विकास और सुंदरीकरण कार्य को समय सीमा के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया।
समुद्रगुप्त कालीन दंडधारी प्रकार का स्वर्ण सिक्का विशेष रूप से उल्लेखनीय है। कुषाणकालीन पुरावशेष में पक्की ईंटों की आवासीय संरचना, रिंगवेल, तांबे के सिक्के, मिट्टी के उपकरण और स्टोरेज ज़ार आदि शामिल हैं। क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी कृष्ण मोहन दुबे ने बताया कि प्रथम चरण के उत्खनन से प्राप्त निष्कर्ष उत्साहवर्धक हैं। इसीलिए राज्य पुरातत्व विभाग ने दूसरे चरण का उत्खनन शीघ्र शुरू कराएगा। इसके अलावा वर्तमान वित्तीय वर्ष में पुरास्थल पर चहारदीवारी का कार्य, पाथवे निर्माण का कार्य और उत्खनित संरचनाओं के अनुरक्षण का कार्य प्रस्तावित है। दूसरे चरण के उत्खनन से पूर्व लोक निर्माण विभाग द्वारा सर्वे किया जाना है।
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जिलाधिकारी ने सहायक पर्यटक अधिकारी को अधिशासी अभियंता के साथ समन्वय कर सर्वे कराने के लिए निर्देशित किया। उन्होंने पर्यटन विभाग द्वारा निर्मित विपश्यना केंद्र का अवलोकन किया। विपश्यना केंद्र का सोलर सिस्टम खराब मिलने पर कार्यदाई संस्था यूपीपीसीएल को तत्काल सोलर सिस्टम की मरम्मत के लिए निर्देशित किया। उपनिदेशक पर्यटन ने बताया कि केंद्र को पुरातत्व विभाग को हस्तांतरित कर दिया गया है, किंतु विभाग की ओर अब तक संचालन शुरू नहीं किया जा सका है। जिलाधिकारी ने केंद्र के संचालन और अनुरक्षण के लिए प्रस्ताव जिला पर्यटन और संस्कृति परिषद की बैठक में रखने का निर्देश दिया। जिलाधिकारी ने पूरी परियोजना को नेचुरोपैथी एंड वेलनेस सेंटर के रूप में विकसित किए जाने की कार्ययोजना बनाने का निर्देश दिया।
जिलाधिकारी ने उन्होंने कार्यदाई संस्था को सरोवर में जल के आगमन और निकासी का उचित प्रबंधन करने का निर्देश दिया। साथ ही सरोवर की सफाई के लिए निर्देशित किया। जिलाधिकारी ने कहा कि समस्त कार्य गुणवत्तापूर्ण हों। उन्होंने देवदह परियोजना को एकीकृत तरीके से विकसित करने के लिए निर्देशित किया। इस संदर्भ में उन्होंने उपनिदेशक पर्यटन को आवश्यकतानुसार भूमि क्रय का प्रस्ताव शासन को भेजने के लिए निर्देशित किया। परियोजना स्थल पर भगवान बुद्ध की प्रतिमा स्थापना के लिए राज्य ललित कला अकादमी को पत्र भेजने के लिए भी कहा। निरीक्षण के दौरान एसडीएम नौतनवा नवीन प्रसाद, उपनिदेशक पर्यटन गोरखपुर मंडल राजेंद्र प्रसाद, सहायक पर्यटक अधिकारी प्रभाकर मणि त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।