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108 सेवा : हर दिन आ रही तीन से चार झूठी शिकायतें, नौ महीने में 255 जगहों पर जब एंबुलेंस पहुंची तो वहां मरीज नहीं थे

Varanasi Bureau वाराणसी ब्यूरो
Updated Thu, 13 Nov 2025 12:18 AM IST
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108 service: Three to four false complaints are being received daily; in nine months, when ambulances arrived at 255 locations, there were no patients.
जिला अस्पताल में खड़ी 108 एम्बुलेंस - फोटो : नारखी पुलिस की मुठभेड़ में गिरफ्तार अपराधी। स्रोतः पुलिस
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रजनीकांत पांडेय
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मऊ। जिले में 108 एंबुलेंस सेवा पर हर दिन तीन से चार झूठी कॉल्स आ रही है। कोई नशे में बुला देता है तो कोई मजाक में डायल कर देता है।इससे एंबुलेंस कर्मचारियों का परेशानी हो रही है। इसके कारण वास्तविक और जरूरतमंद मरीजों एंबुलेंस का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
इस साल ही जनवरी से अब तक 255 से अधिक ऐसी कॉल्स आई, हैं जिनकी सूचना पर एबुलेंस कर्मियों को मौके पर बीमार मरीज नहीं मिला। इस दौरान कई फोन कॉलर तो नशे में ही फोन लगा दिए। कुछ ने एंबुलेंस को मजाक में बुला दिया। लेकिन इस बीच जिले के नौ ब्लॉक के सीएचसी पर तैनात 108 एंबुलेंस पायलट और इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन को इससे दिक्कत नहीं हुई बल्कि कई जरूरतमंदों तक एंबुलेंस सेवा पहुंचाने में बाधा आई।
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एंबुलेंस सेवा प्रदाता कंपनी जीआरएमईके के प्रोग्राम मैनेजर मजहर अहमद ने बताया कि जिले में 108 एंबुलेंस सेवा की 23 जबकि 102 एंबुलेंस की 27 एंबुलेंस के अलावा तीन लाइफ एडवांस सपोर्ट एंबुलेंस चलती है। नोडल अधिकारी और एसीएमओ डॉ. आरएन सिंह ने बताया कि 108 एंबुलेंस सेवा से जुड़े लोग मजाकिया और फर्जी कॉल्स करने वालों से बहुत परेशान हैं। नौ माह में 500 से ज्यादा कॉल ऐसे मिले, जो न तो किसी मरीज के लिए थे और न किसी आपात स्थिति के लिए। इन शरारती कॉल्स की वजह से न केवल कॉल सेंटर का स्टाफ उलझा रहता है, बल्कि ऐसी हरकतों से एंबुलेंस के एक से डेढ़ घंटे व्यर्थ में चले गए, जो असली मरीजों की जिंदगी बचाने में काम आ सकते थे। हाल में ऐसे कुछ नंबर जिनके द्वारा बार-बार गलत सूचना देकर एबुलेंस को बुलाया गया, लेकिन मौके पर मरीज नहीं मिला। उन नंबरों को चिह्नित करके ब्लॉक कर दिया गया है। बताया कि सकारात्मक बात है कि बीते दो तीन महीने से फर्जी फोन काॅल की समस्या बेहद कम हुई है।
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वर्जन
जीवीईएमआरआई सेवा प्रदाता कंपनी की 108 एंबुलेंस सेवा इमरजेंसी सेवा है जबकि 102 गर्भवती महिलाओं और दो वर्ष के बच्चों के लिए दी जाती है। वर्तमान में 108 से रोजाना 120 से अधिक मरीजों को जिले के 13 सरकारी अस्पतालों में पहुंचाया जा रहा है। 102 से यह संख्या 300 से अधिक है।
डॉ. आरएन सिंह,नोडल अधिकाारी
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केस-1
शराब पीकर मारपीट, सत्यापन के लिए जब फोटो खींचा तो कर दिया मना
दो महीने पहले रानीपुर प्राथमिक स्कूल के पास एक फोन कॉल करके मारपीट में घायल होने की सूचना पर 108 एंबुलेंस जब पहुंची तो वहां सत्यापन के लिए जैसे ही मरीज की फोटो ली तो युवक ने मना कर दिया। दरअसल दो युवक शराब के नशे में एक दूसरे से मारपीट के बाद इलाज के लिए फोन तो कर दिए लेकिन फोटो खिंचता देख भड़क गए। एंबुलेंस सेवा के कर्मचारियों से अभद्रता की।
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केस-2
रतनपुरा का नंबर ही ब्लॉक करना पड़ा
रतनपुरा में एक युवक ने कई बार एंबुलेंसकर्मियों को फोन कर आने की सूचना दी, मौके पर जब एंबुलेंसकर्मी पहुंचे तो उन्हें थोड़ा आगे कहा, लेकिन इसके बाद भी किसी का पता नहीं चला। उधर इस नंबर से ऐसी तीन से चार बार भ्रामक सूचना मिलने के बाद नंबर को ही ब्लॉक कर दिया गया। इससे संसाधनों की बर्बादी होती है।
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फोन करके बुलाया, घर पहुंचने पर कोई नहीं मिला
नवंबर माह में ही देवारा के एक व्यक्ति ने कॉल सेंटर पर फोन कर कहा कि एंबुलेंस भेज दीजिए। उसकी तबीयत खराब है। एंबुलेंस टीम जब 15 मिनट में उसके बताए पते पर घर पहुंची, लेकिन वहां कोई नहीं मिला। जब कॉल बैक किया तो उसने कहा अब इसकी जरूरत नहीं है। इस कॉल से भी एंबुलेंस कर्मियों को परेशानी हुई।
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