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धर्म की व्याख्याएं इतिहास का हिस्सा नहीं, एक पड़ाव : प्रो. ओपी
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नगर के भुजौटी स्थित राहुल सांकृत्यायन सृजन पीठ के सभागार में रविवार शाम अभिनंदन समारोह एवं इतिहासकार के कर्तव्य एवं दायित्व: एक विमर्श विषयक पर राष्ट्रीय संवाद का आयोजन किया गया। प्रो. ओपी श्रीवास्तव ने कहा कि हर आस्था इतिहास नहीं हो सकती है। धर्म की व्याख्याएं इतिहास का हिस्सा नहीं हो सकते, बल्कि इतिहास का एक पड़ाव हो सकती है।
प्रो. जयप्रकाश ने कहा कि साहित्य और इतिहास एक दूसरे के पूरक हैं। हर समय के साहित्य का अपना एक बड़ा इतिहास होता है। जिसकी झलक साहित्यिकारों की कृतियों में झलकती है। प्रो. एसएनआर रिजवी ने कहा मैंने जीवन पर्यंत इतिहास लिखा नहीं बल्कि इतिहास बनाया, इतिहास हमेशा सत्य की कसौटी पर खड़ा उतरना चाहिए। प्रो.रिजवी ने कहा कि इतिहास प्रमाणिक और मूल श्रोतों पर आधारित होना चाहिए। विद्यार्थी के रूप डॉ. रामविलास भारती से सीख लेने की जरूरत हैं। जिन्होंने अपना सबकुछ समाज के लिए समर्पित कर दिया है।
अंत में डॉ. रामविलास भारती ने सभी इतिहासविदों एवं अपने गुरु प्रो. रिजवी के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन बृजेश यादव ने किया। कार्यक्रम में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रो. एसएनआर रिजवी द्वारा लिखित एक इतिहासकार की आत्मकथा पुस्तक का विमोचन इतिहासकार प्रो.ओपी श्रीवास्तव, प्रो.मुकुंद शरण त्रिपाठी, प्रो.केके पाण्डेय, प्रो.मोहम्मद आरिफ़, प्रो.अशोक सिंह, प्रो.जियाउल्लाह, प्रो.जयप्रकाश धूमकेतु द्वारा किया गया। इस दौरान डॉ. रामविलास भारती ने सभी को स्मृति चिह्न एवं अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया।
इस अवसर पर प्रो.जियाउल्लाह,प्रो. मुकंद शरण त्रिपाठी, अशोक सिंह, डॉ. आलोक रंजन डॉ.गोपेश त्रिपाठी, डॉ. रामप्रताप यादव, राघवेंद्र, अरविंद मूर्ति, लोकतंत्र सेनानी राम अवध राव, तारकेश्वर राव टंडन आदि उपस्थित रहे।
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प्रो. जयप्रकाश ने कहा कि साहित्य और इतिहास एक दूसरे के पूरक हैं। हर समय के साहित्य का अपना एक बड़ा इतिहास होता है। जिसकी झलक साहित्यिकारों की कृतियों में झलकती है। प्रो. एसएनआर रिजवी ने कहा मैंने जीवन पर्यंत इतिहास लिखा नहीं बल्कि इतिहास बनाया, इतिहास हमेशा सत्य की कसौटी पर खड़ा उतरना चाहिए। प्रो.रिजवी ने कहा कि इतिहास प्रमाणिक और मूल श्रोतों पर आधारित होना चाहिए। विद्यार्थी के रूप डॉ. रामविलास भारती से सीख लेने की जरूरत हैं। जिन्होंने अपना सबकुछ समाज के लिए समर्पित कर दिया है।
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अंत में डॉ. रामविलास भारती ने सभी इतिहासविदों एवं अपने गुरु प्रो. रिजवी के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन बृजेश यादव ने किया। कार्यक्रम में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रो. एसएनआर रिजवी द्वारा लिखित एक इतिहासकार की आत्मकथा पुस्तक का विमोचन इतिहासकार प्रो.ओपी श्रीवास्तव, प्रो.मुकुंद शरण त्रिपाठी, प्रो.केके पाण्डेय, प्रो.मोहम्मद आरिफ़, प्रो.अशोक सिंह, प्रो.जियाउल्लाह, प्रो.जयप्रकाश धूमकेतु द्वारा किया गया। इस दौरान डॉ. रामविलास भारती ने सभी को स्मृति चिह्न एवं अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया।
इस अवसर पर प्रो.जियाउल्लाह,प्रो. मुकंद शरण त्रिपाठी, अशोक सिंह, डॉ. आलोक रंजन डॉ.गोपेश त्रिपाठी, डॉ. रामप्रताप यादव, राघवेंद्र, अरविंद मूर्ति, लोकतंत्र सेनानी राम अवध राव, तारकेश्वर राव टंडन आदि उपस्थित रहे।