सुप्रीम कोर्ट सख्त: शास्त्रीनगर-जागृति विहार के 1468 अवैध निर्माण चिन्हित, अफसरों ने पूछा-ये कब होंगे ध्वस्त?
मेरठ के शास्त्रीनगर और जागृति विहार में 1468 अवैध निर्माणों पर कार्रवाई न होने पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया। कोर्ट ने मेरठ प्रशासन और आवास विकास परिषद को दो माह के अंदर सभी अवैध निर्माण ध्वस्त कर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। एक कॉम्प्लेक्स पर पहले ही बुलडोजर चल चुका है।
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मेरठ के शास्त्रीनगर और जागृति विहार के अवैध निर्माणों पर कार्रवाई न होने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है। मेरठ प्रशासन और आवास विकास परिषद की तरफ से सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में शास्त्रीनगर सेंट्रल मार्केट के भूखंड 661/6 पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट शपथ-पत्र के साथ प्रस्तुत की। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों से पूछा कि बाकी अवैध निर्माण कब ध्वस्त होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने सभी 1468 अवैध निर्माणों पर कार्रवाई कर दो माह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
आवास विकास परिषद की आवासीय काॅलोनी शास्त्रीनगर और जागृति विहार में लोगों ने आवासीय भूखंडों का स्वरूप बदलकर कॉमर्शियल भवनों का निर्माण कर लिया है। इन्हीं अवैध निर्माणों में शास्त्रीनगर सेंट्रल मार्केट के भूखंड 661/6 कॉम्लेक्स भी शामिल था। इस कॉम्प्लेक्स में बनी 22 दुकानों पर आवास विकास परिषद के अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बुलडोजर चला दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस कॉम्प्लेक्स सहित शास्त्रीनगर और जागृति विहार के 1468 आवासीय भूखंडों पर कॉमर्शियल गतिविधि होने के कारण अवैध करार देते हुए कार्रवाई के आदेश दिए थे। सोमवार को आवास विकास और मेरठ प्रशासन की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए अधिकारी व अधिवक्ता पहुंचे।
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता तुषार जैन ने बताया कि मेरठ प्रशासन और आवास विकास की तरफ से जो रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर असंतोष जाहिर करते हुए प्रशासन और आवास विकास शास्त्रीनगर और जागृति विहार के सभी अवैध निर्माणों को दो माह में गिराने और कार्रवाई की रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
तो नए कानूनों का भी नहीं मिलेगा लाभ
शास्त्रीनगर सेंट्रल मार्केट के 661/6 कॉम्प्लेक्स को गिराने के बाद जिला प्रशासन, आवास विकास परिषद और जनप्रतिनिधियों ने अन्य अवैध निर्माणों को राहत दिलाने के प्रयास किए थे। आवास विकास परिषद के अधिकारियों ने उप्र भवन निर्माण एवं विकास उपविधि-2025 के संशोधित नियमों का भी अध्ययन किया था।
आवासीय कॉलोनी में बनीं दुकानों को बाजार स्ट्रीट की पहचान देने की बात कही गई थी। इसमें ऐसे भवन स्वामियों को राहत की उम्मीद जगी थी। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती से साफ हो गया है कि आवासीय भूखंडों पर बनाए गए कॉमर्शियल भवनों को राहत नहीं मिलने वाली है।
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लटकी ध्वस्तीकरण की तलवार, बाजार स्ट्रीट के प्रस्ताव पर अभी निर्णय नहीं
सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख के बाद सेंट्रल मार्केट के बाकी अवैध निर्माणों पर फिर ध्वस्तीकरण की तलवार लटक गई है। तत्कालीन मंडलायुक्त और जनप्रतिनिधियों द्वारा सुझाए बाजार स्ट्रीट के प्रस्ताव पर भी अभी तक कोई निर्णय नहीं हो सका है।
क्षेत्र को बाजार स्ट्रीट घोषित करने के लिए आवास एवं विकास परिषद की बोर्ड बैठक से प्रस्ताव को पास करना होगा। इसके बाद मेडा (मेरठ विकास प्राधिकरण) की बोर्ड बैठक में इसके लिए मास्टर प्लान 2031 में संशोधन किया जाएगा। तब जाकर बाजार स्ट्रीट का दर्जा मिलेगा। हालांकि इसके बाद भी व्यापारियों को नई आवास नीति और बाजार स्ट्रीट नियमों के अनुसार दुकानों और कॉम्पलेक्स का नक्शा पास कराना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने 17 दिसबर 2024 का सेंट्रल मार्केट स्थित आवासीय भूखंड संख्या 661/6 पर भू उपयोग परिवर्तन कर बनाए कॉम्पलेक्स को ध्वस्त करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए इस जैसे बाकी अवैध निर्माणों को भी ध्वस्त करने के आदेश दिए थे। इसमें शास्त्रीनगर और जागृति विहार में चिह्नित 1468 अवैध निर्माणों पर कार्रवाई की तलवार लटकी है।
आवास एवं विकास परिषद ने 25 अक्तूबर 2025 को कॉम्पलेक्स संख्या 661/6 को ध्वस्त कर दिया। व्यापारियों के विरोध के बाद तत्कालीन मंडलायुक्त हृषिकेश भास्कर यशोद ने 27 अक्तूबर को दिए अपने आदेश में बाकी अवैध निर्माणों को नहीं तोड़े जाने और सेंट्रल मार्केट को बाजार स्ट्रीट क्षेत्र घोषित करने का प्रस्ताव तैयार करने को कहा था।
संयुक्त व्यापार संघ अध्यक्ष नवीन गुप्ता ने कहा कि शास्त्रीनगर, जागृति विहार, माधवपुरम के व्यापारियों की दुकान तोड़ने का आदेश आया है। ऐसे में शहर का कोई भी व्यापारी शांत नहीं रहेगा। अब सरकार और कोर्ट से व्यापारियों को बचाने के लिए एकजुट होकर प्रयास करेंगे।
एक लाख परिवार प्रभावित होंगे
संयुक्त व्यापार संघ उपाध्यक्ष तरुण गुप्ता ने कहा कि एक व्यापारिक प्रतिष्ठान टूटने पर 10 परिवार प्रभावित होते हैं। 1500 प्रतिष्ठान टूटेंगे तो एक लाख परिवार सड़क पर आ जाएंगे। यह निर्णय शहर की अर्थव्यवस्था को खत्म कर देगा।
अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा असर
संगठन उपाध्यक्ष विजय आनंद अग्रवाल ने कहा कि आज जरूरत है कि नए अवैध निर्माण को रोका जाए। पूरा शहर ही अव्यवस्थित है। अवैध निर्माण पर कार्रवाई सिर्फ अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगी।
केंद्र तक पहुंचाई जाएगी आवाज
संयुक्त व्यापार संघ अध्यक्ष अजय गुप्ता ने कहा कि कानून का पालन तो होगा ही लेकिन इस बार व्यापारियों के रोजी रोटी के साधन को छिनने नहीं दिया जाएगा। इसके लिए प्रशासन, शासन, प्रदेश और केंद्र स्तर तक पहुंचकर व्यापारियों के प्रतिष्ठानों को बचाया जाएगा।