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स्वास्थ्य: सर्दी में बढ़े खर्राटे बन रहे बड़ा खतरा, दिल-दिमाग पर बढ़ रहा दबाव, रोज 100 मरीज अस्पताल पहुंच रहे

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मेरठ Published by: डिंपल सिरोही Updated Tue, 09 Dec 2025 11:13 AM IST
सार

सर्दियों में बढ़ते खर्राटे सिर्फ असुविधा नहीं बल्कि हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ा रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक प्रदूषण, सूजन और ऑक्सीजन की कमी से यह समस्या गंभीर हो जाती है। मेरठ में रोज 100 से ज्यादा मरीज इसी परेशानी के साथ पहुंच रहे हैं। 

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Winter Snoring Crisis: Rising Risk for Heart and Brain, Over 100 Patients Visiting Hospitals Daily
स्लीप एप्निया खर्राटे लेना - फोटो : Adobe Stock
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विस्तार
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ठंड बढ़ते ही लोगों की नींद में खलल डालने वाली एक आम समस्या खर्राटे फिर बढ़ने लगे हैं। इससे सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि यह सिर्फ असुविधा नहीं बल्कि दिल और दिमाग के लिए खतरे की घंटी भी है। 

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विशेषज्ञों का कहना है कि जब खर्राटे रोज आने लगें और आवाज बहुत तेज हो तो यह हार्ट अटैक और ब्रेन अटैक का जोखिम बढ़ा देता है। खर्राटों को कभी नजरअंदाज न करें। ये न सिर्फ नींद की गुणवत्ता बिगाड़ते हैं बल्कि धीरे-धीरे दिल की धड़कन, रक्तचाप और ऑक्सीजन स्तर को भी प्रभावित करते हैं।
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ठंड के मौसम में हवा में मौजूद प्रदूषक तत्व नाक और गले की नलियों में सूजन पैदा करते हैं। इससे ऑक्सीजन का स्तर घटता है और सांस लेने में दिक्कत होती है। इस कारण खर्राटे तेज होते हैं और शरीर पर तनाव बढ़ता है। मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में हर रोज करीब 100  मरीज इसी परेशानी के साथ पहुंच रहे हैं। 

विशेषज्ञ बताते हैं कि खर्राटों की आवाज 40 से लेकर 120 डेसीबल तक हो सकती है जो नींद ही नहीं स्वास्थ्य पर भी भारी पड़ती है। जिला अस्पताल के सीनियर ईएनटी डॉ. बीपी कौशिक का कहना है कि महिलाओं में यह बीमारी अलग तरह से सामने आती है। सुबह उठते ही सिर में भारीपन या दर्द महसूस हो तो यह भी खर्राटों की बीमारी का संकेत हो सकता है।
 

महिलाओं में हार्मोनल और जेनेटिक कारणों से यह लक्षण अक्सर माइग्रेन समझकर नजरअंदाज कर दिए जाते हैं। बच्चों में मुख्य वजह नाक की एडिनॉयड ग्रंथि या पॉलिप का बढ़ना माना जाता है। 

वरिष्ठ ईएनटी डॉ. सुमित उपाध्याय का कहना है कि मौसम बदलने के समय और ठंड बढ़ने पर यह समस्या चरम पर होती है जबकि गर्मी में स्वाभाविक रूप से कम हो जाती है। रोजाना योग, हल्का व्यायाम और प्रोटीनयुक्त भोजन लेने से स्थिति में सुधार आता है।

इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज
-खर्राटों की इतनी तेज आवाज कि दूसरे की नींद खुल जाए
-नींद में सांस रुकने या घुटने की आवाज 
-अचानक झटके से शरीर का हिलना, बेचैनी और करवटें बदलना
-सुबह के समय सिर भारी रहना और मुंह सूखना चिड़चिड़ापन या याददाश्त कमजोर होना

इसलिए आते हैं खर्राटे 
खर्राटे तब आते हैं जब नींद में गले के ऊतक ढीले होकर वायुमार्ग संकरा कर देते हैं। इससे हवा का प्रवाह कंपन पैदा करता है और वही आवाज़ बन जाती है। मोटापा, धूम्रपान, शराब और नींद की कमी इस स्थिति को और बिगाड़ते हैं। 

कैसे होता है इलाज
डॉक्टर पहले नाक, गले और नींद से संबंधित जांच कर कारण की पहचान करते हैं। अगर नाक के परदे का तिरछापन, टॉन्सिल या एडिनॉयड की सूजन कारण हो तो ऑपरेशन की सलाह दी जाती है। मोटापे वाले मरीजों को पैप थेरेपी दी जाती है जो नींद के दौरान सांस की नली खुली रखती है। वजन कम करना, धूम्रपान से दूरी और पर्याप्त नींद से स्थिति में काफी सुधार होता है।

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