पीलीभीत। पिछले कुछ वर्षों से धान की फसल में फफूंद जनक बीमारियां तेजी से बढ़ी हैं। पिछले साल धान की बाली काली निकलने की समस्या के चलते किसानों को बड़ा नुकसान भी हुआ। समस्या को देखते हुए कृषि विभाग किसानों के लिए सीओ-51 धान का फाउंडेशन बीज तैयार कर रहा है। इसमें इस तरह की फफूंद जनक बीमारियां आसानी से हमला नहीं कर सकेंगी। 59 हेक्टेयर क्षेत्रफल में यह बीज तैयार किया जाएगा जो अगले साल किसानों के लिए उपलब्ध होगा।
सीओ-51 बीज तैयार करने के लिए जिले में शाहगढ़ और टांडा स्थित राजकीय कृषि बीज संवर्धन प्रक्षेत्र में फार्म हैं। शाहगढ़ में 36 हेक्टेयर और टांडा में 23 हेक्टेयर का राजकीय फार्म है। इन दोनों फार्म पर इस सीजन सीओ-51 का फाउंडेशन बीज तैयार किया जाएगा। ये मोटा धान है। इसकी बीज की खास बात है कि इसकी बाली काली नहीं होगी। शीथ ब्लाइट, झुलसा रोग, जड़ और तना में सड़न जैसी कई बीमारियां इस प्रजाति के धान को नुकसान नहीं पहुंचा पाएंगी। इसके अलावा अन्य प्रजाति के मुकाबले लागत भी कम लगेगी। कम लागत 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से ज्यादा इसका उत्पादन प्राप्त हो सकता है। फाउंडेशन बीज तैयार होने के बाद अगले साल से किसानों को ब्लॉक स्थित राजकीय बीज भंडार केंद्र से इसका वितरण कराया जाएगा।
बता दें कि पिछले साल जिले में धान का रकबा एक लाख 39 हजार 356 हेक्टयर था। इस बार क्षेत्रफल कितना इसके लिए रहेगा सभी ब्लॉक से रिपोर्ट मांगी गई है।
इस बार किसानों को नरेंद्र-2061 दिया जाएगा
इस बार किसानों को विभाग की तरफ से नरेंद्र 2061 बीज उपलब्ध कराया जाएगा। ये भी मोटा धान है। वैज्ञानिक तरीके से तैयार इस बीज में भी अपेक्षाकृत कम बीमारियां लगती हैं। प्रति हेक्टेयर उत्पादन भी 43 क्विंटल के करीब है। राजकीय बीज भंडार से इसका वितरण कराया जाएगा।
इस बार सीओ-51 का फाउंडेशन बीज तैयार कराया जा रहा है। ये बीज अगले वर्ष किसानों के लिए उपलब्ध होगा। यह बीज वैज्ञानिक तरीके से तैयार किया गया है। अन्य प्रजाति के मुकाबले इसमें बीमारियों से लड़ने की क्षमता ज्यादा है। पिछले साल धान की बाली काली होने की समस्या ज्यादा देखने को मिली थी। इस तरह की फफूंद जनक बीमारी इसमें आसानी से नहीं लगेंगी।
-विनोद कुमार यादव, जिला कृषि अधिकारी
पीलीभीत। पिछले कुछ वर्षों से धान की फसल में फफूंद जनक बीमारियां तेजी से बढ़ी हैं। पिछले साल धान की बाली काली निकलने की समस्या के चलते किसानों को बड़ा नुकसान भी हुआ। समस्या को देखते हुए कृषि विभाग किसानों के लिए सीओ-51 धान का फाउंडेशन बीज तैयार कर रहा है। इसमें इस तरह की फफूंद जनक बीमारियां आसानी से हमला नहीं कर सकेंगी। 59 हेक्टेयर क्षेत्रफल में यह बीज तैयार किया जाएगा जो अगले साल किसानों के लिए उपलब्ध होगा।
सीओ-51 बीज तैयार करने के लिए जिले में शाहगढ़ और टांडा स्थित राजकीय कृषि बीज संवर्धन प्रक्षेत्र में फार्म हैं। शाहगढ़ में 36 हेक्टेयर और टांडा में 23 हेक्टेयर का राजकीय फार्म है। इन दोनों फार्म पर इस सीजन सीओ-51 का फाउंडेशन बीज तैयार किया जाएगा। ये मोटा धान है। इसकी बीज की खास बात है कि इसकी बाली काली नहीं होगी। शीथ ब्लाइट, झुलसा रोग, जड़ और तना में सड़न जैसी कई बीमारियां इस प्रजाति के धान को नुकसान नहीं पहुंचा पाएंगी। इसके अलावा अन्य प्रजाति के मुकाबले लागत भी कम लगेगी। कम लागत 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से ज्यादा इसका उत्पादन प्राप्त हो सकता है। फाउंडेशन बीज तैयार होने के बाद अगले साल से किसानों को ब्लॉक स्थित राजकीय बीज भंडार केंद्र से इसका वितरण कराया जाएगा।
बता दें कि पिछले साल जिले में धान का रकबा एक लाख 39 हजार 356 हेक्टयर था। इस बार क्षेत्रफल कितना इसके लिए रहेगा सभी ब्लॉक से रिपोर्ट मांगी गई है।
इस बार किसानों को नरेंद्र-2061 दिया जाएगा
इस बार किसानों को विभाग की तरफ से नरेंद्र 2061 बीज उपलब्ध कराया जाएगा। ये भी मोटा धान है। वैज्ञानिक तरीके से तैयार इस बीज में भी अपेक्षाकृत कम बीमारियां लगती हैं। प्रति हेक्टेयर उत्पादन भी 43 क्विंटल के करीब है। राजकीय बीज भंडार से इसका वितरण कराया जाएगा।
इस बार सीओ-51 का फाउंडेशन बीज तैयार कराया जा रहा है। ये बीज अगले वर्ष किसानों के लिए उपलब्ध होगा। यह बीज वैज्ञानिक तरीके से तैयार किया गया है। अन्य प्रजाति के मुकाबले इसमें बीमारियों से लड़ने की क्षमता ज्यादा है। पिछले साल धान की बाली काली होने की समस्या ज्यादा देखने को मिली थी। इस तरह की फफूंद जनक बीमारी इसमें आसानी से नहीं लगेंगी।
-विनोद कुमार यादव, जिला कृषि अधिकारी