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Raebareli News: एनआईए के हस्तक्षेप के बाद खुली फर्जीवाड़े की पोल
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रायबरेली। सलोन ब्लॉक के गांवों में फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाने का नेटवर्क सक्रिय रहा, लेकिन स्थानीय स्तर पर किसी को इसकी जानकारी नहीं हो सकी। बंगलूरू में जब बांग्लादेशी घुसपैठी का फर्जी जन्म प्रमाणपत्र पकड़ा गया, तो 18 जुलाई 2024 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की टीम रायबरेली पहुंची। इसके बाद फर्जी प्रमाणपत्र की परत दर परत खुलनी शुरू हो गई।
एनआईए के हस्तक्षेप के बाद तत्कालीन सीडीओ ने सलोन के बीडीओ से रिपोर्ट मांगी तो फर्जीवाड़े का बड़ा खुलासा हुआ। पता चला कि एक-दो नहीं, पूरे 52, 607 फर्जी प्रमाणपत्र बनाए गए हैं। इसके बाद आरोपी ग्राम विकास अधिकारी (वीडीओ) विजय सिंह यादव व मास्टरमाइंड जीशान समेत प्रदेश भर में 26 जालसाजों को गिरफ्तार किया गया।
मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ने के कारण एंटी टेररिस्ट स्क्वायड (एटीएस) को जांच सौंप दी गई। 18 जुलाई 2024 को एटीएस के आईजी नीलाब्जा चौधरी, लखनऊ रेंज के अमरेंद्र सेंगर, अपर पुलिस अधीक्षक आलोक सिंह की टीम ने सलोन पहुंचकर आरोपियों से पूछताछ की। इससे पहले ही सलोन के एडीओ पंचायत जितेंद्र सिंह ने आरोपी वीडीओ विजय सिंह यादव, जनसुविधा केंद्र संचालक मो. जीशान समेत चार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया।
पूछताछ के बाद एटीएस ने आरोपी वीडीओ और सेंटर संचालक को गिरफ्तार कर लिया। इसी के बाद जाली प्रमाणपत्र बनाने के गिरोह का राज सामने आने लगा और सलोन ब्लॉक की 12 ग्राम पंचायतों में 52,607 फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाए जाने की पुष्टि हुई।
नुरुद्दीनपुर गांव की आबादी 7500, बना दिए थे 10, 151 प्रमाणपत्र
सलोन ब्लॉक के नुरुद्दीनपुर गांव में जालसाजों ने आबादी से ज्यादा जन्म प्रमाणपत्र बना दिए थे। यहां की आबादी 7500 है। जालसाजों ने 10, 151 प्रमाणपत्र बना दिए। केरल में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के एक संदिग्ध सदस्य का प्रमाणपत्र भी सलोन का बना मिला था। कर्नाटक में भी एक संदिग्ध का जन्म प्रमाणपत्र यहीं से बनाया गया था। दोनों प्रदेशों की पुलिस जांच के लिए रायबरेली आ चुकी है।
11 माह से चल रहा था प्रमाणपत्रों को निरस्त कराने का प्रयास
फर्जी प्रमाणपत्रों को निरस्त करने का आदेश मिलने के बाद काम शुरू किया गया। इसके लिए करीब 11 महीने से प्रयास चल रहा था। जाली प्रमाणपत्रों के निरस्त होने के बाद इनका दुरुपयोग नहीं हो सकेगा। पूर्व में कई जिलों में इनका दुरुपयोग करने का प्रयास किया जा चुका है। आधार बनवाने में भी जन्म प्रमाणपत्रों का प्रयोग किया गया।
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एनआईए के हस्तक्षेप के बाद तत्कालीन सीडीओ ने सलोन के बीडीओ से रिपोर्ट मांगी तो फर्जीवाड़े का बड़ा खुलासा हुआ। पता चला कि एक-दो नहीं, पूरे 52, 607 फर्जी प्रमाणपत्र बनाए गए हैं। इसके बाद आरोपी ग्राम विकास अधिकारी (वीडीओ) विजय सिंह यादव व मास्टरमाइंड जीशान समेत प्रदेश भर में 26 जालसाजों को गिरफ्तार किया गया।
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मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ने के कारण एंटी टेररिस्ट स्क्वायड (एटीएस) को जांच सौंप दी गई। 18 जुलाई 2024 को एटीएस के आईजी नीलाब्जा चौधरी, लखनऊ रेंज के अमरेंद्र सेंगर, अपर पुलिस अधीक्षक आलोक सिंह की टीम ने सलोन पहुंचकर आरोपियों से पूछताछ की। इससे पहले ही सलोन के एडीओ पंचायत जितेंद्र सिंह ने आरोपी वीडीओ विजय सिंह यादव, जनसुविधा केंद्र संचालक मो. जीशान समेत चार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया।
पूछताछ के बाद एटीएस ने आरोपी वीडीओ और सेंटर संचालक को गिरफ्तार कर लिया। इसी के बाद जाली प्रमाणपत्र बनाने के गिरोह का राज सामने आने लगा और सलोन ब्लॉक की 12 ग्राम पंचायतों में 52,607 फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाए जाने की पुष्टि हुई।
नुरुद्दीनपुर गांव की आबादी 7500, बना दिए थे 10, 151 प्रमाणपत्र
सलोन ब्लॉक के नुरुद्दीनपुर गांव में जालसाजों ने आबादी से ज्यादा जन्म प्रमाणपत्र बना दिए थे। यहां की आबादी 7500 है। जालसाजों ने 10, 151 प्रमाणपत्र बना दिए। केरल में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के एक संदिग्ध सदस्य का प्रमाणपत्र भी सलोन का बना मिला था। कर्नाटक में भी एक संदिग्ध का जन्म प्रमाणपत्र यहीं से बनाया गया था। दोनों प्रदेशों की पुलिस जांच के लिए रायबरेली आ चुकी है।
11 माह से चल रहा था प्रमाणपत्रों को निरस्त कराने का प्रयास
फर्जी प्रमाणपत्रों को निरस्त करने का आदेश मिलने के बाद काम शुरू किया गया। इसके लिए करीब 11 महीने से प्रयास चल रहा था। जाली प्रमाणपत्रों के निरस्त होने के बाद इनका दुरुपयोग नहीं हो सकेगा। पूर्व में कई जिलों में इनका दुरुपयोग करने का प्रयास किया जा चुका है। आधार बनवाने में भी जन्म प्रमाणपत्रों का प्रयोग किया गया।