उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जनपद में अब विश्व की सबसे महंगी मशरूम में से एक कीड़ाजड़ी का उत्पादन भी शुरू होगा। इसके लिए जिले में पहली बार लैब स्थापित की गई है। दिसंबर माह में कीड़ाजड़ी मशरूम की पहली खेप तैयार होने की उम्मीद है। कीड़ाजड़ी मशरूम का बाजार में भाव पांच से आठ लाख रुपये प्रति किलोग्राम है। बढ़िया भाव के चलते कीड़ाजड़ी उत्पादकों के लिए वरदान साबित हो सकती है।
गांव बहेड़ी गुर्जर के निवासी टिशू कल्चर में पीएचडी एवं भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली में रिसर्च साइंटिस्ट रहे डॉक्टर विपिन परमार और उनकी एमबीए पत्नी ममता परमार ने हाल ही में लैब की स्थापना की है। परमार दंपती ने नौकरी छोड़ कीड़ाजड़ी उत्पादन की राह पकड़ ली है।
उनका कहना है कि यदि यह प्रयोग सफल रहा तो वो टिशू कल्चर से पौधे तैयार करने के साथ ही कीड़ाजड़ी की लैब का विस्तार करेंगे। मशरूम की कीड़ाजड़ी किस्म विश्व की सबसे महंगी मशरूम की किस्मों में से एक है। उन्होंने इसके लिए 60 वर्ग मीटर में एक लैब तैयार की है। जिस पर 10 से 12 लाख रुपये की लागत आई है।
यह भी पढ़ें: बागपत में बोले खेल मंत्री अनुराग ठाकुर : अखिलेश तुम दंगा, हम दंगल कराते हैं, कहा-जिनके पेट में आग वही ला रहे मेडल
कीड़ाजड़ी करीब 45 से 50 दिनों में तैयार हो जाती है। इससे उत्पादक इसका वर्ष में छह बार कीड़ाजड़ी को तैयार कर सकते हैं। उनकी लैब में एक बार में दो से तीन किलो तक कीड़ाजड़ी का उत्पादन हो सकता है। इस प्रकार एक वर्ष में उन्हें इससे प्रतिवर्ष 40 से 45 लाख रुपये तक की आमदनी होने की संभावना है।
ऐसे होता है लैब में कीड़ाजड़ी का उत्पादन
कीड़ाजड़ी मशरूम तैयार करने के लिए कांच के जार, ब्राउन राइस आदि को 122 डिग्री तापमान पर बैक्टीरिया मुक्त किया जाता है। फिर ब्राउन राइस एवं लिक्विड कल्चर डाला जाता है। जिसे लैब में 15 दिनों तक अंधेरे में रखा जाता है। इस दौरान लैब में तापमान 18 से 22 डिग्री और आर्र्दता 75 प्रतिशत तक रहनी चाहिए। कीड़ाजड़ी के तैयार होने के बाद इसे डिहाड्रेटर में सुखाया जाता है।
खाड़ी देशों में निर्यात करने की योजना
डॉक्टर परमार का कहना है कि देश के बाजार में कीड़ाजड़ी का भाव आमतौर पर पांच से आठ लाख रुपये प्रति किलो तक रहता है। विश्व बाजार में इसका भाव 15 लाख रुपये से अधिक रहता है। इसलिए उनकी योजना अरब देशों में कीड़ाजड़ी का निर्यात करने की है। कीड़ाजड़ी में प्रोटीन, अमीनो एसिड, विटामिन बी-1, बी-2 और बी-12 जैसे पोषक तत्व होने के चलते दुनिया भर में इसे पसंद किया जाता है।
जनपद में पहली बार कीड़ाजड़ी मशरूम के उत्पादन के लिए लैब स्थापित की गई है। हालांकि जिला मशरूम के उत्पादन के हब के तौर पर अपनी पहचान बना चुका है। बाजार में अधिक मांग और बढ़िया भाव के चलते जल्द ही इसके उत्पादन के लिए युवाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा। - डॉक्टर आईके कुशवाहा, प्रभारी कृषि विज्ञान केंद्र।
विस्तार
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जनपद में अब विश्व की सबसे महंगी मशरूम में से एक कीड़ाजड़ी का उत्पादन भी शुरू होगा। इसके लिए जिले में पहली बार लैब स्थापित की गई है। दिसंबर माह में कीड़ाजड़ी मशरूम की पहली खेप तैयार होने की उम्मीद है। कीड़ाजड़ी मशरूम का बाजार में भाव पांच से आठ लाख रुपये प्रति किलोग्राम है। बढ़िया भाव के चलते कीड़ाजड़ी उत्पादकों के लिए वरदान साबित हो सकती है।
गांव बहेड़ी गुर्जर के निवासी टिशू कल्चर में पीएचडी एवं भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली में रिसर्च साइंटिस्ट रहे डॉक्टर विपिन परमार और उनकी एमबीए पत्नी ममता परमार ने हाल ही में लैब की स्थापना की है। परमार दंपती ने नौकरी छोड़ कीड़ाजड़ी उत्पादन की राह पकड़ ली है।
उनका कहना है कि यदि यह प्रयोग सफल रहा तो वो टिशू कल्चर से पौधे तैयार करने के साथ ही कीड़ाजड़ी की लैब का विस्तार करेंगे। मशरूम की कीड़ाजड़ी किस्म विश्व की सबसे महंगी मशरूम की किस्मों में से एक है। उन्होंने इसके लिए 60 वर्ग मीटर में एक लैब तैयार की है। जिस पर 10 से 12 लाख रुपये की लागत आई है।
यह भी पढ़ें: बागपत में बोले खेल मंत्री अनुराग ठाकुर : अखिलेश तुम दंगा, हम दंगल कराते हैं, कहा-जिनके पेट में आग वही ला रहे मेडल