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Sambhal News: बंदरों में बीमारी का पता नहीं लगा सका विभाग, एक और के मरने का इंतजार
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चंदौसी के गांव आटा में प्लाट में बीमार बंदर। संवाद
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चंदौसी। गांव आटा में पिछले 20 दिन से दो दर्जन से अधिक बंदरों की मौत हो चुकी है। पशु चिकित्सा विभाग की टीम गांव का दौरा करने के बाद भी बंदरों में होने वाली बीमारी का पता नहीं लगा सकी है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि रविवार को टीम ने मौके पर पहुंच कर जानकारी ली थी। ग्रामीणों ने पोस्टमार्टम से पहले मरे हुए बंदरों को दफना दिया था। पोस्टमार्टम होने के बाद ही मौत की वजह स्पष्ट हो सकेगी।
ग्रामीणों के अनुसार करीब 20-25 दिन पहले रात के समय एक वाहन से गांव के पास सैकड़ों की संख्या में बंदर छोड़ दिए गए थे। उसके बाद से ही बंदरों की मौत का सिलसिला शुरू हो गया। गांव में छोड़े गए बंदर कमजोर हैं और अर्धबेहोशी जैसी अवस्था में नजर आ रहे हैं। तब ही से गांव में दो दर्जन से अधिक बंदरों की मौत हो चुकी है। रविवार को नरौली के पशु चिकित्सा विभाग की टीम ने मौके पर पहुंच कर जानकारी की। लेकिन उन्हें कोई मरा हुआ बंदर नहीं मिला। इसके बाद टीम बीमार बंदरों का उपचार कर लौट गई।
टीम यह नहीं बता सकी कि बंदरों की मौत किस बीमारी से हो रही है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी शैलेंद्र सिंह ने बताया कि बंदरों के शव को ग्रामीणों ने दफना दिया था। उन्हें गांव में कोई मरा हुआ बंदर नहीं मिला। नजर रखी जा रही है। यदि कोई बंदर की मौत होती है तो उसका पोस्टमार्टम कराया जाएगा। ताकि मौत की वजह स्पष्ट हो सके। प्रतीत होता है कि गांव में जो बंदर बाहर से लाकर छोड़े गए थे। उन्हें पकड़ने के लिए नशीला पदार्थ खाने में दिया गया हो। फिलहाल मंगलवार को भी टीम गांव पहुंचेगी।
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ग्रामीणों के अनुसार करीब 20-25 दिन पहले रात के समय एक वाहन से गांव के पास सैकड़ों की संख्या में बंदर छोड़ दिए गए थे। उसके बाद से ही बंदरों की मौत का सिलसिला शुरू हो गया। गांव में छोड़े गए बंदर कमजोर हैं और अर्धबेहोशी जैसी अवस्था में नजर आ रहे हैं। तब ही से गांव में दो दर्जन से अधिक बंदरों की मौत हो चुकी है। रविवार को नरौली के पशु चिकित्सा विभाग की टीम ने मौके पर पहुंच कर जानकारी की। लेकिन उन्हें कोई मरा हुआ बंदर नहीं मिला। इसके बाद टीम बीमार बंदरों का उपचार कर लौट गई।
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टीम यह नहीं बता सकी कि बंदरों की मौत किस बीमारी से हो रही है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी शैलेंद्र सिंह ने बताया कि बंदरों के शव को ग्रामीणों ने दफना दिया था। उन्हें गांव में कोई मरा हुआ बंदर नहीं मिला। नजर रखी जा रही है। यदि कोई बंदर की मौत होती है तो उसका पोस्टमार्टम कराया जाएगा। ताकि मौत की वजह स्पष्ट हो सके। प्रतीत होता है कि गांव में जो बंदर बाहर से लाकर छोड़े गए थे। उन्हें पकड़ने के लिए नशीला पदार्थ खाने में दिया गया हो। फिलहाल मंगलवार को भी टीम गांव पहुंचेगी।