पुवायां। पुवायां क्षेत्र जिले का सबसे धनी और खेती के मामले में प्रदेशभर में अग्रणी समझा जाता है, लेकिन रोजगार के मामले में शायद ही कोई क्षेत्र यहां से पिछड़ा हो। चुनाव चाहे विधानसभा का हो या लोकसभा। नेताओं ने विकास के मामले में विधानसभा क्षेत्र को प्रदेश भर में मॉडल बना देने, रोजगार के लिए कारखाने लगवाने, शिक्षा के लिए कॉलेज खुलवाने के वादे किए, लेकिन चुनाव जीतने के बाद शायद ही किसी नेता ने वायदे पूरे करने की ओर ध्यान दिया हो। अब एक बार फिर जनता की बारी है। विधानसभा क्षेत्र की समस्याओं पर एक नजर।
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पुवायां ब्लॉक क्षेत्र
पुवायां में रोजगार के लिए पूरे क्षेत्र में कोई कारखाना नहीं है। शिक्षित बेरोजगार यहां से दिल्ली, मुंबई, पंजाब, हरियाणा सहित बड़े शहरों को जाकर रोजी रोटी का जुगाड़ करते हैं। पुवायां में बड़े पैमाने पर आलू की खेती होती है, लेकिन किसानों को इसके बाद भी कोई खास लाभ नहीं होता है। गन्ना किसान डिग्री कॉलेज का हाल ऐसा है कि यहां वर्षों से स्थायी प्राचार्य तक की तैनाती नहीं हो सकी है। भैंसी नदी का पुल बसपा, सपा और भाजपा सरकार के समय भी मुद्दा रहा है लेकिन कोई भी पार्टी की सरकार रही हो पुल नहीं बन सका है।
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खुटार ब्लाक क्षेत्र
इस ब्लॉक में विकास के नाम पर नेताओं ने जो किया है वह किसी से छिपा नहीं है। मंडी समिति की मांग पर सभी पार्टियों के नेताओं ने भरोसा तो दिया लेकिन आज तक मंडी स्थल नहीं बन सका। लखीमपुर और पीलीभीत जिलों की सीमा से सटा खुटार क्षेत्र एक बस स्टैंड तक को तरस रहा है। यहां एक राजकीय डिग्री कॉलेज और सीएचसी तो बन गई है, लेकिन सीएचसी पर सुविधाएं पीएचसी से भी बदतर हैं। सीएचसी केवल रेफरल सेंटर और बुखार, जुकाम की दवाएं मिलने तक ही सीमित है।
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बंडा ब्लॉक क्षेत्र
विकास के मामले में बंडा की हालत भी बेहद खराब है। थाना, ब्लॉक, सीएचसी आदि के अलावा बड़ी मार्केट होने के बाद भी कस्बे को टाउन एरिया का दर्जा कुछ समय पहले ही मिल सका है, लेकिन बंडा कस्बे में ही कई रास्तों पर पानी भरा रहता है। रोजगार के नाम पर बजाज ग्रुप की चीनी मिल मकसूदापुर में लगी है। इसके अलावा मनरेगा और बड़े फार्मों पर मजदूरी ही रोजगार का विकल्प है। बंडा में बस स्टैंड की मांग को आज तक कोई भी नेता पूरा नहीं कर सका है।
पुवायां। पुवायां क्षेत्र जिले का सबसे धनी और खेती के मामले में प्रदेशभर में अग्रणी समझा जाता है, लेकिन रोजगार के मामले में शायद ही कोई क्षेत्र यहां से पिछड़ा हो। चुनाव चाहे विधानसभा का हो या लोकसभा। नेताओं ने विकास के मामले में विधानसभा क्षेत्र को प्रदेश भर में मॉडल बना देने, रोजगार के लिए कारखाने लगवाने, शिक्षा के लिए कॉलेज खुलवाने के वादे किए, लेकिन चुनाव जीतने के बाद शायद ही किसी नेता ने वायदे पूरे करने की ओर ध्यान दिया हो। अब एक बार फिर जनता की बारी है। विधानसभा क्षेत्र की समस्याओं पर एक नजर।
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पुवायां ब्लॉक क्षेत्र
पुवायां में रोजगार के लिए पूरे क्षेत्र में कोई कारखाना नहीं है। शिक्षित बेरोजगार यहां से दिल्ली, मुंबई, पंजाब, हरियाणा सहित बड़े शहरों को जाकर रोजी रोटी का जुगाड़ करते हैं। पुवायां में बड़े पैमाने पर आलू की खेती होती है, लेकिन किसानों को इसके बाद भी कोई खास लाभ नहीं होता है। गन्ना किसान डिग्री कॉलेज का हाल ऐसा है कि यहां वर्षों से स्थायी प्राचार्य तक की तैनाती नहीं हो सकी है। भैंसी नदी का पुल बसपा, सपा और भाजपा सरकार के समय भी मुद्दा रहा है लेकिन कोई भी पार्टी की सरकार रही हो पुल नहीं बन सका है।
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खुटार ब्लाक क्षेत्र
इस ब्लॉक में विकास के नाम पर नेताओं ने जो किया है वह किसी से छिपा नहीं है। मंडी समिति की मांग पर सभी पार्टियों के नेताओं ने भरोसा तो दिया लेकिन आज तक मंडी स्थल नहीं बन सका। लखीमपुर और पीलीभीत जिलों की सीमा से सटा खुटार क्षेत्र एक बस स्टैंड तक को तरस रहा है। यहां एक राजकीय डिग्री कॉलेज और सीएचसी तो बन गई है, लेकिन सीएचसी पर सुविधाएं पीएचसी से भी बदतर हैं। सीएचसी केवल रेफरल सेंटर और बुखार, जुकाम की दवाएं मिलने तक ही सीमित है।
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बंडा ब्लॉक क्षेत्र
विकास के मामले में बंडा की हालत भी बेहद खराब है। थाना, ब्लॉक, सीएचसी आदि के अलावा बड़ी मार्केट होने के बाद भी कस्बे को टाउन एरिया का दर्जा कुछ समय पहले ही मिल सका है, लेकिन बंडा कस्बे में ही कई रास्तों पर पानी भरा रहता है। रोजगार के नाम पर बजाज ग्रुप की चीनी मिल मकसूदापुर में लगी है। इसके अलावा मनरेगा और बड़े फार्मों पर मजदूरी ही रोजगार का विकल्प है। बंडा में बस स्टैंड की मांग को आज तक कोई भी नेता पूरा नहीं कर सका है।