शाहजहांपुर/परौर। भीषण गर्मी में सामान्य से अधिक तापमान तरबूज, खरबूजा, ककड़ी, खीरा आदि पालेज की फसलों के लिए नुकसानदेह साबित हो रहा है। परौर क्षेत्र में रामगंगा के किनारे अलग-अलग स्थानों पर किसानों ने करीब दो सौ बीघा जमीन पर इन फसलों की बुआई की है। लतावर्गीय पालेज की इन फसलों में बेल निकलने पर उन्हें झुलसने से बचाने के लिए किसानों ने बुआई वाली लाइनों के करीब फूस की बाड़ भी लगाई है। सुबह-शाम सिंचाई करने के बावजूद दोपहर में तापमान अधिक होने पर बेलें तपती रेत में झुलसकर मुरझा रही हैं और इससे क्षेत्र के किसान खासे परेशान हैं।
परौर से लेकर हैदलपुर, दहेलिया, कुंडलिया आदि गांवों तक रामगंगा की तलहटी में किसानों ने जायद फसली सीजन लतावर्गीय फसलों की बुआई की है। गत एक सप्ताह से हो रही भीषण गर्मी के कारण अधिकतर काश्तकारों की जायद की फसलें खराब हो गई हैं। फसल खराब होने का मुख्य कारण यही रहा कि ऊपर से अधिक गर्मी होने के कारण रेत की ऊपरी परत भी सामान्य से अधिक गर्म हो रही है। इस कारण पालेज पौध की जड़ें भी गर्म होकर सूख रही हैं।
किसानों का कहना है कि उन्होंने साहूकारों से रकम उधार लेने के साथ ही गेहूं और सरसों बेचकर सारी रकम जायद की फसल में लगा दी है, लेकिन अब यह फसल भी नष्ट होने से नुकसान की भरपाई करना कठिन हो गई है। किसान राजू गुर्जर ने बताया कि उन्होंने सरसों, गेहूं से हुई कमाई के अलावा ढाई लाख रुपये साहूकारों से उधार लेकर लगाए, लेकिन 50 फीसदी से ज्यादा फसल नष्ट हो चुकी है। यही हाल, वीरपाल सिंह, शेरपाल सिंह, जसवीर सिंह, नन्हे सिंह आदि किसानों की फसलों का है।
अधिकांश पौधे सूखे
नदी के किनारे वाले खेत में करीब एक हजार गड्ढे बनाकर तरबूज के बीज डाले थे। शुरुआत में बेल निकलीं, लेकिन हाल में पड़ी भीषण गर्मी के कारण अधिकांश पौधे सूख गए, जिसमें काफी नुकसान हुआ है। -जसवीर सिंह गुर्जर, मंझा (परौर)
अब कर्ज चुकाना मुश्किल
हमने साहूकार से दो लाख रुपये कर्ज लेकर करीब 30 बीघा जायद की फसल की, लेकिन जरूरत से ज्यादा गर्मी के कारण आधे से ज्यादा फसल सूखकर नष्ट हो गई। अब तो कर्जा चुकाना भी कठिन हो जाएगा। -नन्हे लाल, परौर
ढाई लाख रुपये आई लागत
करीब ढाई लाख रुपये खाद, बीज और सिंचाई पर खर्च करके तरबूज, खरबूजा, लौकी, तोरई, करेला की फसल की, लेकिन ऊपर से भीषण गर्मी में रेतीली जमीन गर्म होने से आधी से ज्यादा फसलें सूख कर नष्ट हो गईं। -सोनपाल सिंह, परौर
नदियों के किनारे बलुई मिट्टी की ऊपरी परत में पानी बहुत कम ठहरता है और वह छनकर शीघ्रता से नीचे चला जाता है। यही नहीं, बलुई और रेतीली मिट्टी गर्म होने पर उसमें वाष्पोत्सर्जन भी शीघ्रता से होता है। चूंकि, इन दिनों गर्मी के कारण तापमान बहुत अधिक है। इसलिए जिन किसानों ने नदियों के किनारे लतावर्गीय फसलों वाली पालेज की खेती की है, वह उनकी सिंचाई पर पूरा ध्यान दें। शाम को पानी लगाने के बाद सुबह भी हल्की सिंचाई करते रहें। इससे जड़ों तक लगातार नमी बनी रहने से फसलें सुरक्षित बनी रहेंगी। अंकुरण के समय फूस की बाड़ कारगर रहती है, लेकिन अब पालेज फसलों की लताएं फैल चुकी हैं। इसलिए फूस की बाड़ लगाने का तरीका कारगर नहीं होगा। -शिवशंकर गौतम, जिला कृषि रक्षा अधिकारी
शाहजहांपुर/परौर। भीषण गर्मी में सामान्य से अधिक तापमान तरबूज, खरबूजा, ककड़ी, खीरा आदि पालेज की फसलों के लिए नुकसानदेह साबित हो रहा है। परौर क्षेत्र में रामगंगा के किनारे अलग-अलग स्थानों पर किसानों ने करीब दो सौ बीघा जमीन पर इन फसलों की बुआई की है। लतावर्गीय पालेज की इन फसलों में बेल निकलने पर उन्हें झुलसने से बचाने के लिए किसानों ने बुआई वाली लाइनों के करीब फूस की बाड़ भी लगाई है। सुबह-शाम सिंचाई करने के बावजूद दोपहर में तापमान अधिक होने पर बेलें तपती रेत में झुलसकर मुरझा रही हैं और इससे क्षेत्र के किसान खासे परेशान हैं।
परौर से लेकर हैदलपुर, दहेलिया, कुंडलिया आदि गांवों तक रामगंगा की तलहटी में किसानों ने जायद फसली सीजन लतावर्गीय फसलों की बुआई की है। गत एक सप्ताह से हो रही भीषण गर्मी के कारण अधिकतर काश्तकारों की जायद की फसलें खराब हो गई हैं। फसल खराब होने का मुख्य कारण यही रहा कि ऊपर से अधिक गर्मी होने के कारण रेत की ऊपरी परत भी सामान्य से अधिक गर्म हो रही है। इस कारण पालेज पौध की जड़ें भी गर्म होकर सूख रही हैं।
किसानों का कहना है कि उन्होंने साहूकारों से रकम उधार लेने के साथ ही गेहूं और सरसों बेचकर सारी रकम जायद की फसल में लगा दी है, लेकिन अब यह फसल भी नष्ट होने से नुकसान की भरपाई करना कठिन हो गई है। किसान राजू गुर्जर ने बताया कि उन्होंने सरसों, गेहूं से हुई कमाई के अलावा ढाई लाख रुपये साहूकारों से उधार लेकर लगाए, लेकिन 50 फीसदी से ज्यादा फसल नष्ट हो चुकी है। यही हाल, वीरपाल सिंह, शेरपाल सिंह, जसवीर सिंह, नन्हे सिंह आदि किसानों की फसलों का है।
अधिकांश पौधे सूखे
नदी के किनारे वाले खेत में करीब एक हजार गड्ढे बनाकर तरबूज के बीज डाले थे। शुरुआत में बेल निकलीं, लेकिन हाल में पड़ी भीषण गर्मी के कारण अधिकांश पौधे सूख गए, जिसमें काफी नुकसान हुआ है। -जसवीर सिंह गुर्जर, मंझा (परौर)
अब कर्ज चुकाना मुश्किल
हमने साहूकार से दो लाख रुपये कर्ज लेकर करीब 30 बीघा जायद की फसल की, लेकिन जरूरत से ज्यादा गर्मी के कारण आधे से ज्यादा फसल सूखकर नष्ट हो गई। अब तो कर्जा चुकाना भी कठिन हो जाएगा। -नन्हे लाल, परौर
ढाई लाख रुपये आई लागत
करीब ढाई लाख रुपये खाद, बीज और सिंचाई पर खर्च करके तरबूज, खरबूजा, लौकी, तोरई, करेला की फसल की, लेकिन ऊपर से भीषण गर्मी में रेतीली जमीन गर्म होने से आधी से ज्यादा फसलें सूख कर नष्ट हो गईं। -सोनपाल सिंह, परौर
नदियों के किनारे बलुई मिट्टी की ऊपरी परत में पानी बहुत कम ठहरता है और वह छनकर शीघ्रता से नीचे चला जाता है। यही नहीं, बलुई और रेतीली मिट्टी गर्म होने पर उसमें वाष्पोत्सर्जन भी शीघ्रता से होता है। चूंकि, इन दिनों गर्मी के कारण तापमान बहुत अधिक है। इसलिए जिन किसानों ने नदियों के किनारे लतावर्गीय फसलों वाली पालेज की खेती की है, वह उनकी सिंचाई पर पूरा ध्यान दें। शाम को पानी लगाने के बाद सुबह भी हल्की सिंचाई करते रहें। इससे जड़ों तक लगातार नमी बनी रहने से फसलें सुरक्षित बनी रहेंगी। अंकुरण के समय फूस की बाड़ कारगर रहती है, लेकिन अब पालेज फसलों की लताएं फैल चुकी हैं। इसलिए फूस की बाड़ लगाने का तरीका कारगर नहीं होगा। -शिवशंकर गौतम, जिला कृषि रक्षा अधिकारी