शाहजहांपुर। बरसात के मौसम में बुखार, खांसी, जुखाम के साथ ही स्किन (चर्म) से जुड़े रोगों में इजाफा हुआ है। जिला अस्पताल के साथ ही निजी चिकित्सालय में रोगी पहुंच रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में समस्या सबसे ज्यादा है। रोजाना राजकीय मेडिकल कॉलेज में तीन सौ-चार सौ मरीज चर्म रोगों के पहुंच रहे हैं। विशेषज्ञ वर्तमान में वातावरण में नमी बढ़ने को इसका प्रमुख कारण मान रहे हैं।
गांव से लेकर शहर तक बुखार के रोगी घर-घर मिल रहे हैं। बुखार के अलावा सबसे ज्यादा रोगी चर्म रोगों के इलाज के लिए निजी और सरकारी चिकित्सालयों में पहुंच रहे हैं। गांव-गांव पहुंच रहीं स्वास्थ्य टीमों को फफूंदीजनक रोगों के मरीज मिल रहे हैं। जांघ, कमर के साथ ही नाक, कान, गले में फंगल इंफेक्शन के चलते दाद-खुजली की समस्या लोगों में बढ़ी है। केवल राजकीय मेडिकल कॉलेज में ही रोजाना तीन सौ से चार सौ मरीज चर्म रोगों के पहुंच रहे हैं। वहीं फंफूदीजनक रोग होने पर घरेलू उपचार या बगैर चिकित्सक के दवा खाने से स्थिति और बिगड़ रही है।
वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. रवि मोहन ने बताया कि हाल के दिनों में फफूंदीजनक रोगों के मरीज बढ़े हैं। नाक-कान-गले में भी लोगों को फंगल इंफेक्शन हो रहा है। स्किन की प्रतिरोधक क्षमता कम होने से भी लोग इसका शिकार हो रहे हैं। इंफेक्शन बालों तक पहुंचने से बाल झड़ने की दिक्कत पैदा हो रही है। होम्योपैथी में फंगल इंफेक्शन का कारगर इलाज है।
राजकीय मेडिकल कॉलेज के त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. श्रीपाल सिंह ने बताया कि गर्मी में फंगल इंफेक्शन के मरीजों में बढ़ा इजाफा हुआ है। पसीना आने के बाद खुजली होने से शरीर पर किसी भी जगह पर दाद की समस्या हो जाती है। खुजलाने से उसमें से निकलने वाला पानी शरीर के अन्य हिस्सों पर लगने से दाद फैल जाता है। डायबिटीज के मरीजों में फंगल इंफेेक्शन बढ़नेे के ज्यादा आसार होते हैं।
शाहजहांपुर। बरसात के मौसम में बुखार, खांसी, जुखाम के साथ ही स्किन (चर्म) से जुड़े रोगों में इजाफा हुआ है। जिला अस्पताल के साथ ही निजी चिकित्सालय में रोगी पहुंच रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में समस्या सबसे ज्यादा है। रोजाना राजकीय मेडिकल कॉलेज में तीन सौ-चार सौ मरीज चर्म रोगों के पहुंच रहे हैं। विशेषज्ञ वर्तमान में वातावरण में नमी बढ़ने को इसका प्रमुख कारण मान रहे हैं।
गांव से लेकर शहर तक बुखार के रोगी घर-घर मिल रहे हैं। बुखार के अलावा सबसे ज्यादा रोगी चर्म रोगों के इलाज के लिए निजी और सरकारी चिकित्सालयों में पहुंच रहे हैं। गांव-गांव पहुंच रहीं स्वास्थ्य टीमों को फफूंदीजनक रोगों के मरीज मिल रहे हैं। जांघ, कमर के साथ ही नाक, कान, गले में फंगल इंफेक्शन के चलते दाद-खुजली की समस्या लोगों में बढ़ी है। केवल राजकीय मेडिकल कॉलेज में ही रोजाना तीन सौ से चार सौ मरीज चर्म रोगों के पहुंच रहे हैं। वहीं फंफूदीजनक रोग होने पर घरेलू उपचार या बगैर चिकित्सक के दवा खाने से स्थिति और बिगड़ रही है।
वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. रवि मोहन ने बताया कि हाल के दिनों में फफूंदीजनक रोगों के मरीज बढ़े हैं। नाक-कान-गले में भी लोगों को फंगल इंफेक्शन हो रहा है। स्किन की प्रतिरोधक क्षमता कम होने से भी लोग इसका शिकार हो रहे हैं। इंफेक्शन बालों तक पहुंचने से बाल झड़ने की दिक्कत पैदा हो रही है। होम्योपैथी में फंगल इंफेक्शन का कारगर इलाज है।
राजकीय मेडिकल कॉलेज के त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. श्रीपाल सिंह ने बताया कि गर्मी में फंगल इंफेक्शन के मरीजों में बढ़ा इजाफा हुआ है। पसीना आने के बाद खुजली होने से शरीर पर किसी भी जगह पर दाद की समस्या हो जाती है। खुजलाने से उसमें से निकलने वाला पानी शरीर के अन्य हिस्सों पर लगने से दाद फैल जाता है। डायबिटीज के मरीजों में फंगल इंफेेक्शन बढ़नेे के ज्यादा आसार होते हैं।