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Shahjahanpur News: शिक्षिकाओं ने बदला पढ़ाई का अंदाज... स्कूल की काया बदल विभाग का बढ़ाया मान
संवाद न्यूज एजेंसी, शाहजहाँपुर
Updated Wed, 12 Nov 2025 11:25 PM IST
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माला सिंह। स्रोत: स्वयं
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0 बेसिक शिक्षा विभाग में कार्यरत शिक्षिकाओं ने अपने कार्यों से प्रदेश तक बनाई पहचान
संवाद न्यूज एजेंसी
शाहजहांपुर। जिले के परिषदीय स्कूलों में कार्यरत शिक्षिकाओं ने विभाग का मान जिले से लेकर प्रदेश तक बढ़ाया है। उन्होंने स्कूल की काया बदलने के साथ ही नवाचार भी किए हैं। शिक्षिकाओं ने पढ़ाने के साथ ही खेल-खेल में शिक्षा देकर शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार किया है। उनका उद्देश्य है कि प्रेरक विद्यालय बनाया जा सके। इसी चुनौती मानते हुए विद्यालय की तस्वीर ही बदलने का कार्य किया है।
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उत्कृष्ट शैक्षिक नवाचार के चलते मिला राज्य पुरस्कार
-पुवायां के पूर्व माध्यमिक विद्यालय जेवा की इंचार्ज प्रधानाध्यापक पल्लवी वर्मा को राज्य अध्यापक पुरस्कार मिल चुका है। पल्लवी ने अपने उत्कृष्ट शैक्षिक कार्यों और नवाचार पूर्ण शिक्षण के जरिये विभाग को नई पहचान दिलाई है। विद्यार्थियों में सीखने की रुचि बढ़ाने के लिए रचनात्मक शिक्षण मॉडल, गतिविधि-आधारित शिक्षण और डिजिटल नवाचारों को बढ़ावा दिया। उन्होंने बताया कि उनके प्रयासों से स्कूल का शैक्षणिक वातावरण सशक्त हुआ है। विभागीय स्तर पर भी प्रेरणा मिली है। सामाजिक गतिविधियों में अग्रणी रहने के चलते उन्हें जिला स्तर पर कई बार पुरस्कार मिल चुका है।
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रेशम कीट पालन का नवाचार बना पारुल की पहचान
कंपोजिट विद्यालय पुवायां प्रथम की सहायक अध्यापक पारुल मौर्या का रेशम कीट पालन नवाचार आसपास के जिलों में मशहूर है। उन्हें कई बार पुरस्कार भी मिल चुका है। वर्ष 2002 से विभाग में आने वालीं पारुल मौर्या ने वर्ष 2016 में विज्ञान प्रयोगशाला का निर्माण कबाड़ के उपकरणों से किया। उसी में विद्यालय स्तर पर रेशम कीट पालन प्रोजेक्ट चलाया। इसमें बच्चों को प्रशिक्षित किया। उन्हें राज्य और मंडल स्तर पर कई बार पुरस्कार मिल चुके हैं। पारुल के अनुसार, बच्चों को टीएलएम के माध्यम से शिक्षा भी देते हैं।
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कठिन विषय को आसानी से समझा रहीं इरम
-भावलखेड़ा ब्लॉक के कंपोजिट स्कूल बल्लिया की शिक्षिका डॉ.इरम विज्ञान जैसे कठिन विषय को बच्चों को आसानी से समझातीं हैं। उन्हें एनजीओ के माध्यम से विज्ञान के प्रोजेक्ट मिले थे। उसे कक्षाओं में लगाकर बच्चों को करके सीखने की प्रवृत्ति के जरिये शिक्षण कार्य कराया। इरम की मेहनत से बच्चों की विज्ञान विषय पर पकड़ बन गई है। गत वर्ष ब्लॉक स्तर पर स्कूल को ओवरऑल चैंपियन का पुरस्कार भी मिला था। इरम ने बताया कि कठिन विषय को आसानी से समझाने के लिए उपयोगी तरीके से वह पढ़ातीं हैं।
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प्रदेश स्तर तक सराहा गया माला का नवाचार
-ददरौल ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय अजीजपुर जिगनेरा की शिक्षिका माला सिंह के समावेशी शिक्षा को प्रदेश स्तर पर सराहा गया है। राज्य शैक्षिक अनुसंधान परिषद ने श्रेष्ठ नवाचारों की पुस्तक का विमोचन शिक्षक दिवस पर कराया था। मुख्यमंत्री ने उद्गम पोर्टल व पुस्तक का विमोचन किया। पुस्तक में हौसलों की उड़ान नाम से माला का नवाचार भी शामिल है। माला बतातीं हैं कि राज्य स्तर पर तकनीक संचार के उपयोग के लिए पुरस्कार मिला है। झांसी में उन्हें सर्वश्रेष्ठ शिक्षक का अवार्ड भी मिल चुका है।
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शाहजहांपुर। जिले के परिषदीय स्कूलों में कार्यरत शिक्षिकाओं ने विभाग का मान जिले से लेकर प्रदेश तक बढ़ाया है। उन्होंने स्कूल की काया बदलने के साथ ही नवाचार भी किए हैं। शिक्षिकाओं ने पढ़ाने के साथ ही खेल-खेल में शिक्षा देकर शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार किया है। उनका उद्देश्य है कि प्रेरक विद्यालय बनाया जा सके। इसी चुनौती मानते हुए विद्यालय की तस्वीर ही बदलने का कार्य किया है।
उत्कृष्ट शैक्षिक नवाचार के चलते मिला राज्य पुरस्कार
-पुवायां के पूर्व माध्यमिक विद्यालय जेवा की इंचार्ज प्रधानाध्यापक पल्लवी वर्मा को राज्य अध्यापक पुरस्कार मिल चुका है। पल्लवी ने अपने उत्कृष्ट शैक्षिक कार्यों और नवाचार पूर्ण शिक्षण के जरिये विभाग को नई पहचान दिलाई है। विद्यार्थियों में सीखने की रुचि बढ़ाने के लिए रचनात्मक शिक्षण मॉडल, गतिविधि-आधारित शिक्षण और डिजिटल नवाचारों को बढ़ावा दिया। उन्होंने बताया कि उनके प्रयासों से स्कूल का शैक्षणिक वातावरण सशक्त हुआ है। विभागीय स्तर पर भी प्रेरणा मिली है। सामाजिक गतिविधियों में अग्रणी रहने के चलते उन्हें जिला स्तर पर कई बार पुरस्कार मिल चुका है।
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रेशम कीट पालन का नवाचार बना पारुल की पहचान
कंपोजिट विद्यालय पुवायां प्रथम की सहायक अध्यापक पारुल मौर्या का रेशम कीट पालन नवाचार आसपास के जिलों में मशहूर है। उन्हें कई बार पुरस्कार भी मिल चुका है। वर्ष 2002 से विभाग में आने वालीं पारुल मौर्या ने वर्ष 2016 में विज्ञान प्रयोगशाला का निर्माण कबाड़ के उपकरणों से किया। उसी में विद्यालय स्तर पर रेशम कीट पालन प्रोजेक्ट चलाया। इसमें बच्चों को प्रशिक्षित किया। उन्हें राज्य और मंडल स्तर पर कई बार पुरस्कार मिल चुके हैं। पारुल के अनुसार, बच्चों को टीएलएम के माध्यम से शिक्षा भी देते हैं।
कठिन विषय को आसानी से समझा रहीं इरम
-भावलखेड़ा ब्लॉक के कंपोजिट स्कूल बल्लिया की शिक्षिका डॉ.इरम विज्ञान जैसे कठिन विषय को बच्चों को आसानी से समझातीं हैं। उन्हें एनजीओ के माध्यम से विज्ञान के प्रोजेक्ट मिले थे। उसे कक्षाओं में लगाकर बच्चों को करके सीखने की प्रवृत्ति के जरिये शिक्षण कार्य कराया। इरम की मेहनत से बच्चों की विज्ञान विषय पर पकड़ बन गई है। गत वर्ष ब्लॉक स्तर पर स्कूल को ओवरऑल चैंपियन का पुरस्कार भी मिला था। इरम ने बताया कि कठिन विषय को आसानी से समझाने के लिए उपयोगी तरीके से वह पढ़ातीं हैं।
प्रदेश स्तर तक सराहा गया माला का नवाचार
-ददरौल ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय अजीजपुर जिगनेरा की शिक्षिका माला सिंह के समावेशी शिक्षा को प्रदेश स्तर पर सराहा गया है। राज्य शैक्षिक अनुसंधान परिषद ने श्रेष्ठ नवाचारों की पुस्तक का विमोचन शिक्षक दिवस पर कराया था। मुख्यमंत्री ने उद्गम पोर्टल व पुस्तक का विमोचन किया। पुस्तक में हौसलों की उड़ान नाम से माला का नवाचार भी शामिल है। माला बतातीं हैं कि राज्य स्तर पर तकनीक संचार के उपयोग के लिए पुरस्कार मिला है। झांसी में उन्हें सर्वश्रेष्ठ शिक्षक का अवार्ड भी मिल चुका है।

माला सिंह। स्रोत: स्वयं

माला सिंह। स्रोत: स्वयं

माला सिंह। स्रोत: स्वयं