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बिरसा मुंडा आदिवासी समाज के लोकनायक थे : दयाशंकर
संवाद न्यूज एजेंसी, सिद्धार्थनगर
Updated Wed, 12 Nov 2025 11:39 PM IST
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सिद्धार्थनगर। आंबेडकर सभागार में बुधवार को आदिवासी समाज के महानायक, स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की जयंती भाजपा जिलाध्यक्ष कन्हैया पासवान की अध्यक्षता में मनाई गई। इस दौरान आयोजित गोष्ठी में मुख्य अतिथि आयुष खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन राज्यमंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु रहे।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार सरदार बल्लभ भाई पटेल एवं बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर पूरे प्रदेश में एकता दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। बिरसा मुंडा एक भारतीय आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी और मुंडा जनजाति के लोक नायक थे। उन्होंने ब्रिटिश राज के दौरान 19वीं शताब्दी के अंत में बंगाल प्रेसिडेंसी (अब झारखंड) में हुए एक आदिवासी धार्मिक सहस्राब्दी आंदोलन का नेतृत्व किया, जिससे वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बन गए। भारत के आदिवासी उन्हें भगवान मानते हैं। अंग्रेजों ने कुटिल नीति अपनाकर आदिवासियों को लगातार जल-जंगल-जमीन और उनके प्राकृतिक संसाधनों से बेदखल करने लगे। उसका आदिवासी विद्रोह करते थे, लेकिन संख्या बल में कम होने एवं आधुनिक हथियारों की अनुपलब्धता के कारण उनके विद्रोह को कुछ ही दिनों में दबा दिया जाता था। यह सब देखकर बिरसा मुंडा विचलित हो गए और आखिर में 1895 में अंग्रेजों की लागू की गई जमींदारी प्रथा और राजस्व-व्यवस्था के खिलाफ जंगल-जमीन की लड़ाई छेड़ दी। पिछले सभी विद्रोह से सीखते हुए, बिरसा मुंडा ने पहले सभी आदिवासियों को संगठित किया फिर अंग्रेजों के खिलाफ महाविद्रोह छेड़ दिया। प्रधानमंत्री द्वारा महापुरूषों, नायकों के बलिदानों को याद किया जा रहा है।
क्षेत्रीय अध्यक्ष अनुसूचित जनजाति मोर्चा सुखराम गौड़ ने कहा कि भारतीय इतिहास में बिरसा मुंडा एक ऐसे नायक थे, जिन्होंने भारत के झारखंड में अपने क्रांतिकारी चिंतन से 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में आदिवासी समाज की दशा और दिशा बदलकर नवीन सामाजिक और राजनीतिक युग का सूत्रपात किया। जिलाध्यक्ष कन्हैया पासवान ने कहा कि 10 नवंबर 2021 को आयोजित बैठक में आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को याद करने के लिए बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में घोषित किया है। इस दिन को भारत के एक वीर स्वतंत्रता सेनानी को याद किया जाता है। इस अवसर पर प्रदेश कोषाध्यक्ष अनुसूचित जनजाति हीरालाल गौड़, जिला उपाध्यक्ष विनीत कमलापुरी, जिला महामंत्री विपिन सिंह और विजयकांत चतुर्वेदी, जिला मंत्री अजय उपाध्याय, फतेह बहादुर सिंह आदि मौजूद रहे।
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उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार सरदार बल्लभ भाई पटेल एवं बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर पूरे प्रदेश में एकता दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। बिरसा मुंडा एक भारतीय आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी और मुंडा जनजाति के लोक नायक थे। उन्होंने ब्रिटिश राज के दौरान 19वीं शताब्दी के अंत में बंगाल प्रेसिडेंसी (अब झारखंड) में हुए एक आदिवासी धार्मिक सहस्राब्दी आंदोलन का नेतृत्व किया, जिससे वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बन गए। भारत के आदिवासी उन्हें भगवान मानते हैं। अंग्रेजों ने कुटिल नीति अपनाकर आदिवासियों को लगातार जल-जंगल-जमीन और उनके प्राकृतिक संसाधनों से बेदखल करने लगे। उसका आदिवासी विद्रोह करते थे, लेकिन संख्या बल में कम होने एवं आधुनिक हथियारों की अनुपलब्धता के कारण उनके विद्रोह को कुछ ही दिनों में दबा दिया जाता था। यह सब देखकर बिरसा मुंडा विचलित हो गए और आखिर में 1895 में अंग्रेजों की लागू की गई जमींदारी प्रथा और राजस्व-व्यवस्था के खिलाफ जंगल-जमीन की लड़ाई छेड़ दी। पिछले सभी विद्रोह से सीखते हुए, बिरसा मुंडा ने पहले सभी आदिवासियों को संगठित किया फिर अंग्रेजों के खिलाफ महाविद्रोह छेड़ दिया। प्रधानमंत्री द्वारा महापुरूषों, नायकों के बलिदानों को याद किया जा रहा है।
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क्षेत्रीय अध्यक्ष अनुसूचित जनजाति मोर्चा सुखराम गौड़ ने कहा कि भारतीय इतिहास में बिरसा मुंडा एक ऐसे नायक थे, जिन्होंने भारत के झारखंड में अपने क्रांतिकारी चिंतन से 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में आदिवासी समाज की दशा और दिशा बदलकर नवीन सामाजिक और राजनीतिक युग का सूत्रपात किया। जिलाध्यक्ष कन्हैया पासवान ने कहा कि 10 नवंबर 2021 को आयोजित बैठक में आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को याद करने के लिए बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में घोषित किया है। इस दिन को भारत के एक वीर स्वतंत्रता सेनानी को याद किया जाता है। इस अवसर पर प्रदेश कोषाध्यक्ष अनुसूचित जनजाति हीरालाल गौड़, जिला उपाध्यक्ष विनीत कमलापुरी, जिला महामंत्री विपिन सिंह और विजयकांत चतुर्वेदी, जिला मंत्री अजय उपाध्याय, फतेह बहादुर सिंह आदि मौजूद रहे।