सीतापुर। वायरल बुखार का प्रकोप जारी है। बुखार बच्चों को भी चपेट में ले रहा है। मंगलवार को बुखार की चपेट में आए छह बच्चे जिला अस्पताल के चिल्ड्रेन वार्ड में भर्ती कराए गए है। इलाज के बाद इनकी हालत में सुधार हो रहा है। बच्चों की बढ़ती संख्या के कारण चिल्ड्रेन वार्ड के बेड फुल हो गए है।
जिले में इस समय वायरल बुखार का प्रकोप है। रोजाना इसकी चपेट में आकर बच्चे गंभीर हो रहे हैं। जिससे उनको जिला अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ रही है। मछरेहटा इलाके के अंशू (7), कोतवाली देहात इलाके के ईशू (2), गौरियाकलां निवासी साक्षी (9), पिसावां इलाके के कुलदीप (12) व अनय (2) को तेज बुखार आने पर परिजनों ने पहले प्राइवेट चिकित्सालयों में दिखाया।
जब इनको वहां पर कोई फायदा नहीं हुआ तो इन्हें जिला अस्पताल लेकर दौड़े। वहां पर चिकित्सकों ने उन्हें देखते हुए भर्ती कर लिया है। मलेरिया सहित अन्य जांचे कराने की बात कही है। इलाज के बाद बच्चों की सेहत में सुधार हो रहा है।
सीएमएस जिला अस्पताल डॉ. अनिल अग्रवाल का कहना है कि बच्चों की संख्या में वृद्धि जरूर हुई है। लेकिन बच्चों के इलाज के लिए पर्याप्त संख्या में बेड व संसाधन मौजूद है। भर्ती बच्चों का इलाज के बाद उनकी हालत में सुधार हो रहा है।
सीतापुर। वायरल बुखार का प्रकोप जारी है। बुखार बच्चों को भी चपेट में ले रहा है। मंगलवार को बुखार की चपेट में आए छह बच्चे जिला अस्पताल के चिल्ड्रेन वार्ड में भर्ती कराए गए है। इलाज के बाद इनकी हालत में सुधार हो रहा है। बच्चों की बढ़ती संख्या के कारण चिल्ड्रेन वार्ड के बेड फुल हो गए है।
जिले में इस समय वायरल बुखार का प्रकोप है। रोजाना इसकी चपेट में आकर बच्चे गंभीर हो रहे हैं। जिससे उनको जिला अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ रही है। मछरेहटा इलाके के अंशू (7), कोतवाली देहात इलाके के ईशू (2), गौरियाकलां निवासी साक्षी (9), पिसावां इलाके के कुलदीप (12) व अनय (2) को तेज बुखार आने पर परिजनों ने पहले प्राइवेट चिकित्सालयों में दिखाया।
जब इनको वहां पर कोई फायदा नहीं हुआ तो इन्हें जिला अस्पताल लेकर दौड़े। वहां पर चिकित्सकों ने उन्हें देखते हुए भर्ती कर लिया है। मलेरिया सहित अन्य जांचे कराने की बात कही है। इलाज के बाद बच्चों की सेहत में सुधार हो रहा है।
सीएमएस जिला अस्पताल डॉ. अनिल अग्रवाल का कहना है कि बच्चों की संख्या में वृद्धि जरूर हुई है। लेकिन बच्चों के इलाज के लिए पर्याप्त संख्या में बेड व संसाधन मौजूद है। भर्ती बच्चों का इलाज के बाद उनकी हालत में सुधार हो रहा है।