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Sitapur News: माइनर व रजबहा सूखे, किसान कैसे करें पलेवा

संवाद न्यूज एजेंसी, सीतापुर Updated Thu, 13 Nov 2025 12:03 AM IST
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Minor and Rajbaha dry up, how should farmers cultivate
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सीतापुर। रबी फसलों की बोआई के लिए किसानों को खेतों का पलेवा करना है। लेकिन नहरों व माइनरों में पानी नहीं होने से किसान परेशान हैं। मछरेहटा इलाके में माइनर, रजबहा व लिफ्ट कैनाल का हाल बेहद खराब है। जिम्मेदारों की उदासीनता से इन पर जगह-जगह लोगों ने अवैध कब्जा कर रखा है। एक जगह तो माइनर के भीतर बड़े-बड़े पेड़ लगे हैं। इससे माइनर व रजबहा के अस्तित्व पर ही संकट मंडराने लगा है।
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माइनर व रजबहा में पानी न होने से किसान गेहूं, जौं, सरसों, गन्ना, चना, मटर, मसूर, आलू, टमाटर आदि फसलों व सब्जियों की बोआई के लिए खेतों को पलेवा नहीं कर पा रहे हैं। मछरेहटा इलाके की माइनर, रजबहा व कैनाल में कई वर्षों से पानी नहीं आया है। इनमें घास फूस व झाड़ियां तक उग गई हैं। किन्हौटी के पास से निकली माइनर परसदा, गोपलापुर, महमूदपुर, मोहकमपुर, सकरारा, कालूपुर, गौरिया, काशीपुर, उमरापुर, गुरैनी, गुलाबपुर, गुजरा, जमलापुर, मिरचौड़ी व भिठौरा के आगे तक जाती है।
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मिरचौड़ी के ग्रामीणों ने बताया कि पानी आना तो दूर इस माइनर की कभी सफाई तक नहीं हुई है। करीब 40 वर्ष से माइनर सूखी पड़ी है। यही हाल उमरापुर के पास से निकली लिफ्ट कैनाल का है। शंभूपुरवा, सेनपुर, कैमा, कुम्हारनपुरवा, दलेलनगर, सूरजपुर चौराहा, बेनीगंज, फत्तेपुर, कुसौली होते हुए कुंदरौली तक जाती है। सोहन ने बताया कि सूरजपुर के पास नहर कैनाल के बीचों बीच बड़े-बड़े पेड़ खड़े हैं। यह पेड़ और झाड़ियां खुद गवाही दे रहे हैं कि इसकी कई वर्षों से सिल्ट सफाई तक नहीं की गई है, पानी आना तो दूर की बात है। इसके अलावा मछरेहटा रजबहा पकरिया, निघुवामऊ, लोहारनपुरवा, बैसुई, शाहपुर, मछरेहटा, भारासैनी पुलिया, बरचंदपुर, कुनेहटा लच्छीरामपुर, फतेहनगर, बिठहरा होते हुए गुजरती है। यह रजबहा झाड़ियों में गुम हो जाने के कारण नजर ही नहीं आता है।
पलेवा करने में प्रति एकड़ 1400 रुपये का खर्च
किसान दयाराम, विनोद, व वीरेंद्र सिंह ने बताया कि सूखे पड़े माइनर, कैनाल व रजबहा मुंह चिढ़ाते प्रतीत होते हैं। निजी ट्यूबवेल से पलेवा करने में फसल की लागत बढ़ जाती है। एक एकड़ में करीब 1400 रुपये का खर्च आता है। रामचंद्र, रामविलास, रामस्वरूप, कमलेश ने बताया कि खेती ट्यूबवेल व समर सेबिल पर निर्भर है। इससे कृषि लागत अधिक आती है। छोटे किसानों के लिए खेती करना मुश्किल होता जा रहा है।
हटेगा अतिक्रमण, टेल तक पहुंचेगा पानी
बनबसा बांध से पानी नहीं छोड़ा गया है। पांच या छह दिसंबर तक नहरों में पानी आ जाएगा। जहां भी नहर व माइनर में झाड़ियां उगी हैं अथवा अतिक्रमण है, वहां साफ-सफाई के साथ अतिक्रमण हटवाने का अभियान भी जल्द शुरु किया जाएगा।
- विशाल पोरवाल, अधिशासी अभियंता सिंचाई विभाग
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