सोनभद्र जिले के रॉबर्ट्सगंज के अपना दल (एस) सांसद पकौड़ी लाल कोल ने बिजली घरों में कोयला संकट के लिए रेल प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि कोल इंडिया कॉरिडोर में रेलवे की दोहरीकरण परियोजनाओं के निर्माण में निरंतर देरी के कारण कोयले का स्टॉक होने के बावजूद परिवहन नहीं हो पा रहा है।
एनसीएल से जुड़ी रेल परियोजना सिंगरौली-चोपन, शक्तिनगर-करेला रोड, सिंगरौली-कटनी, चोपन-रेणुकूट, दुद्धी-रमना रेल लाइनों के दोहरीकरण के कार्य को 2012 में स्वीकृति मिली थी। 2014 में धनराशि भी जारी कर दी गई थी लेकिन दोहरीकरण परियोजनाएं आज तक पूरी नहीं हो पाई हैं।
सबसे महत्वपूर्ण 103 किमी लंबी चोपन-चुनार एकल रेल लाइन स्थापना काल से ही उपेक्षित पड़ी थी। निरंतर प्रयास से गाड़ियों की गति सीमा 100 किमी प्रति घंटे बढ़ाने के लिए इंजीनियरिंग कार्य, इंटरलॉकिंग स्वचालित सिग्नल प्रणाली, हॉल्ट स्टेशन निर्माण आदि कार्यों की स्वीकृति मिली। रेल विद्युतीकरण का कार्य भी पूरा हो गया है।
इससे पहले जहां दो से चार कोयला लदी मालगाड़ियां इस रेल खंड से गुजरती थीं, वहीं आज 22 से 24 मालगाड़ियां एक दिन में इस रेलखंड से गुजरने का रिकॉर्ड बना है। यदि इस रेलखंड पर स्वीकृत सभी कार्य जल्द पूरे करा दिए जाएं और चोपन-चुनार दोहरीकरण का कार्य पूर्ण करा दें तो सैकड़ों मालगाड़ियां रोजाना कोयला ढुलाई कर सकेंगी।
सोनभद्र जिले के रॉबर्ट्सगंज के अपना दल (एस) सांसद पकौड़ी लाल कोल ने बिजली घरों में कोयला संकट के लिए रेल प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि कोल इंडिया कॉरिडोर में रेलवे की दोहरीकरण परियोजनाओं के निर्माण में निरंतर देरी के कारण कोयले का स्टॉक होने के बावजूद परिवहन नहीं हो पा रहा है।
एनसीएल से जुड़ी रेल परियोजना सिंगरौली-चोपन, शक्तिनगर-करेला रोड, सिंगरौली-कटनी, चोपन-रेणुकूट, दुद्धी-रमना रेल लाइनों के दोहरीकरण के कार्य को 2012 में स्वीकृति मिली थी। 2014 में धनराशि भी जारी कर दी गई थी लेकिन दोहरीकरण परियोजनाएं आज तक पूरी नहीं हो पाई हैं।
सबसे महत्वपूर्ण 103 किमी लंबी चोपन-चुनार एकल रेल लाइन स्थापना काल से ही उपेक्षित पड़ी थी। निरंतर प्रयास से गाड़ियों की गति सीमा 100 किमी प्रति घंटे बढ़ाने के लिए इंजीनियरिंग कार्य, इंटरलॉकिंग स्वचालित सिग्नल प्रणाली, हॉल्ट स्टेशन निर्माण आदि कार्यों की स्वीकृति मिली। रेल विद्युतीकरण का कार्य भी पूरा हो गया है।