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Sonebhadra News: सही लोकेशन छिपाकर कराई जा रही रजिस्ट्री, सात माह में पकड़े गए 256 मामले
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बैनामे के समय जमीन से जुड़ी लोकेशन की सही जानकारी छिपाकर रजिस्ट्री कराई जा रही है। पिछले सात माह में ऐसे 256 मामले सामने आए हैं। यानि हर महीने 30 से अधिक रजिस्ट्री ऐसी हुई है।
इनमें कुल 3.54 करोड़ की स्टांप चोरी अफसरों ने जांच में पकड़ी है। मामला सामने आने के बाद संबंधितों पर बड़ी पेनाल्टी भी लगाई है। सात महीने के दौरान 271 (15 पुराने भी) स्टांप वादों का निस्तारण करते हुए 11 करोड़ पेनाल्टी (स्टांप कमी सहित) लगी है।
प्रति माह डीएम, एडीएम, एआईजी स्टांप और सब रजिस्ट्रार की तरफ से किसी न किसी बैनामे से जुड़े स्थल का निरीक्षण कर वास्तविक स्थिति जांची जाती है। इसके लिए महंगी सर्किल वाली एरिया के बैनामों को विशेष तौर पर चिह्नित किया जाता है।
आंकड़े बताते हैं कि चालू वित्तीय वर्ष में जहां डीएम बीएन सिंह की तरफ से सात माह में 30 बैनामों की भौतिक स्थिति जांची गई। इसमें 10 प्रकरण ऐेसे मिले जिसमें 23 लाख 14 हजार की स्टांप कमी पाई गई। एडीएम की तरफ से 168 बैनामों की जांच की गई।
44 मामलों में 42.37 लाख की स्टांप चोरी पकड़ी गई। एआईजी स्टांप ने 330 मामलों का परीक्षण किया। 62 मामलों में स्टांप की कमी मिली। मूल्यांकन करने पर कुल 77.27 लाख की स्टांप चोरी सामने आई।
जिले के चारों सब रजिस्ट्रार की तरफ से कुल 544 मामले जांचे गए। इसमें 140 प्रकरण स्टांप कमी के मिले। इसमें कुल दो करोड़ दो लाख 85 हजार के राजस्व की चोरी सामने आई।
महज 22 मामलों में 10 करोड़ की पेनाल्टी लगाई
बैनामे की भौतिक स्थिति जांचने के साथ ही सात माह के भीतर स्टाप कमी से जुड़े 271 मामले निस्तारित किए गए। डीएम ने महज 22 मामलों में 10 करोड़ चार लाख 669 रुपये की पेनाल्टी लगाई। एडीएम ने 80 मामलों में 53 लाख 24 हजार 172 और एआईजी स्टांप ने 169 मामलों में 43 लाख 88 हजार 24 रुपये जमा करने का आदेश दिया।
ऐसे पकड़ी जाती है स्टांप की चोरी
स्टांप ड्यूटी बचाने के लिए अधिकांश लोग जमीन पर मौजूद मकान, पेड़ आदि का विवरण छिपा लेते हैं। बैनामे में जमीन मुख्य मार्ग से सटी है या सामान्य मार्ग से, खड़ंजा है या कच्ची सड़क है...इन सारी चीजों का भी सही विवरण नहीं दिया जाता। जमीन के पास सड़क न दिखाए जाने, व्यवसायिक उपयोग वाली जगह पर जमीन को सामान्य कृषिक क्षेत्र न दिखाए जाने पर स्टांप काफी कम अदा करना पड़ता है। इसके चलते भी तमाम लोग सही तथ्य छिपा जाते हैं। अधिकारियों के निरीक्षण में जब तथ्य छिपाए जाने की बात पकड़ में आ जाती है तब कई बार चार गुना तक जुर्माना अदा करना पड़ता है।
हर माह औचक निरीक्षण कर बैनामे की स्थिति जांची जाती है। जहां कहीं स्टांप की कमी मिलती है, वहां उसको लेकर वाद दर्ज किया जाता है। सुनवाई के दौरान स्टांप चोरी पकड़े जाने पर खरीदार को जुर्माना अदा करना पड़ता है। बेहतर होगा कि लोग जमीन खरीदते वक्त किसी तरह का तथ्य न छिपाएं ताकि उनके सामने जुर्माना अदा करने की नौबत न आने पाए।
-वागीश कुमार शुक्ल, एडीएम सोनभद्र।
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इनमें कुल 3.54 करोड़ की स्टांप चोरी अफसरों ने जांच में पकड़ी है। मामला सामने आने के बाद संबंधितों पर बड़ी पेनाल्टी भी लगाई है। सात महीने के दौरान 271 (15 पुराने भी) स्टांप वादों का निस्तारण करते हुए 11 करोड़ पेनाल्टी (स्टांप कमी सहित) लगी है।
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प्रति माह डीएम, एडीएम, एआईजी स्टांप और सब रजिस्ट्रार की तरफ से किसी न किसी बैनामे से जुड़े स्थल का निरीक्षण कर वास्तविक स्थिति जांची जाती है। इसके लिए महंगी सर्किल वाली एरिया के बैनामों को विशेष तौर पर चिह्नित किया जाता है।
आंकड़े बताते हैं कि चालू वित्तीय वर्ष में जहां डीएम बीएन सिंह की तरफ से सात माह में 30 बैनामों की भौतिक स्थिति जांची गई। इसमें 10 प्रकरण ऐेसे मिले जिसमें 23 लाख 14 हजार की स्टांप कमी पाई गई। एडीएम की तरफ से 168 बैनामों की जांच की गई।
44 मामलों में 42.37 लाख की स्टांप चोरी पकड़ी गई। एआईजी स्टांप ने 330 मामलों का परीक्षण किया। 62 मामलों में स्टांप की कमी मिली। मूल्यांकन करने पर कुल 77.27 लाख की स्टांप चोरी सामने आई।
जिले के चारों सब रजिस्ट्रार की तरफ से कुल 544 मामले जांचे गए। इसमें 140 प्रकरण स्टांप कमी के मिले। इसमें कुल दो करोड़ दो लाख 85 हजार के राजस्व की चोरी सामने आई।
महज 22 मामलों में 10 करोड़ की पेनाल्टी लगाई
बैनामे की भौतिक स्थिति जांचने के साथ ही सात माह के भीतर स्टाप कमी से जुड़े 271 मामले निस्तारित किए गए। डीएम ने महज 22 मामलों में 10 करोड़ चार लाख 669 रुपये की पेनाल्टी लगाई। एडीएम ने 80 मामलों में 53 लाख 24 हजार 172 और एआईजी स्टांप ने 169 मामलों में 43 लाख 88 हजार 24 रुपये जमा करने का आदेश दिया।
ऐसे पकड़ी जाती है स्टांप की चोरी
स्टांप ड्यूटी बचाने के लिए अधिकांश लोग जमीन पर मौजूद मकान, पेड़ आदि का विवरण छिपा लेते हैं। बैनामे में जमीन मुख्य मार्ग से सटी है या सामान्य मार्ग से, खड़ंजा है या कच्ची सड़क है...इन सारी चीजों का भी सही विवरण नहीं दिया जाता। जमीन के पास सड़क न दिखाए जाने, व्यवसायिक उपयोग वाली जगह पर जमीन को सामान्य कृषिक क्षेत्र न दिखाए जाने पर स्टांप काफी कम अदा करना पड़ता है। इसके चलते भी तमाम लोग सही तथ्य छिपा जाते हैं। अधिकारियों के निरीक्षण में जब तथ्य छिपाए जाने की बात पकड़ में आ जाती है तब कई बार चार गुना तक जुर्माना अदा करना पड़ता है।
हर माह औचक निरीक्षण कर बैनामे की स्थिति जांची जाती है। जहां कहीं स्टांप की कमी मिलती है, वहां उसको लेकर वाद दर्ज किया जाता है। सुनवाई के दौरान स्टांप चोरी पकड़े जाने पर खरीदार को जुर्माना अदा करना पड़ता है। बेहतर होगा कि लोग जमीन खरीदते वक्त किसी तरह का तथ्य न छिपाएं ताकि उनके सामने जुर्माना अदा करने की नौबत न आने पाए।
-वागीश कुमार शुक्ल, एडीएम सोनभद्र।