वाराणसी। एपीडा की तर्ज पर अब कृषि उत्पादों के निर्यात के लिए किसानों को एक और विकल्प मिलेगा। प्रदेश सरकार भी किसानों के उत्पाद बाहर बेचने में करेगी मदद करेगी। यूपी कृषि निर्यात नीति के तहत कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार विभाग किसानों के कृषि उत्पादों को विदेश भेजने में मदद के साथ पांच साल तक अनुदान भी देगा।
जिले के सभी विकास खंडों में किसानों का समूह बनाएगा। 50 हेक्टेयर भूमि पर समूह से जुड़े किसान मिलकर खेती करेंगे और उत्पाद को बाहर बेचकर मुनाफा कमाएंगे। इस बारे में 29 जनवरी को मंडलायुक्त की अध्यक्षता में बैठक होगी। इसमें निर्यात को लेकर कार्ययोजना तैयार की जाएगी। इसके साथ ही किसानों को समूह से जोड़ने की कवायद शुरू होगी। सहायक विपणन अधिकारी डॉ. अमित यादव ने बताया कि यूपी कृषि निर्यात नीति के तहत पहले वाराणसी में 20-20 हेक्टेयर का कलस्टर तैयार कर निर्यात की नीति लागू करना था जो संभव नहीं हो पाया। इसमें संशोधन के लिए वर्ष 2019 में एक प्रस्ताव भेजा गया था। शासन ने संशोधन कर नई अधिसूचना जारी कर दी है। इसके तहत जिले के सभी विकास खंडों में 50 हेक्टेयर में विदेशों में मांग के अनुसार फल, सब्जी और अनाज का उत्पादन कर किसान निर्यात कर सकेंगे। इसके लिए किसानों को पांच साल तक कुल परिवहन खर्च का 25 प्रतिशत तक अनुदान भी दिया जाएगा।
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इन कृषि उत्पादों के तैयार होंगे कलस्टर
कृषि उत्पादों के निर्यात के लिए आम, सब्जियां, दूध, पनीर, घी, अचार, जैम जेली और जैविक उत्पादों के उत्पादन के लिए कलस्टर तैयार किए जाएंगे। कलस्टर से जुड़े किसानों के उत्पादों को प्रदेश सरकार बाहर भेजने में मदद करेगी। इससे किसानों को उत्पादों का अच्छा मूल्य मिलेगा।
बीत दो साल में निर्यातक हब बनकर उभरा बनारस
वर्ष 2019 में जिले में एपीडा के क्षेत्रीय कार्यालय खुलने के बाद के काशी विश्वनाथ, नवचेतना, नमामिगंगे, प्रोकाशी जया सीड्स जैसे कई किसान उत्पादन संगठन (एफपीओ) के माध्यम से कृषि उत्पादों के निर्यातक का हब बनकर उभरा है। बीते दो डेढ़ साल में वाराणसी से फल, सब्जियों का निर्यात किया गया है। दिसंबर 2019 में एपीडा द्वारा 14 मीट्रिक टन हरी मिर्च का निर्यात दुबई की गई थी। पहली बार, एपीडा के हस्तक्षेप के बाद वाराणसी से तीन टन सब्जियां लंदन को, तीन टन आम दुबई को, 1.2 टन आम लंदन को, 520 मीट्रिक टन चावल कतर को और 80 मीट्रिक टन चावल 2020 में ऑस्ट्रेलिया को निर्यात किया गया था।
वाराणसी। एपीडा की तर्ज पर अब कृषि उत्पादों के निर्यात के लिए किसानों को एक और विकल्प मिलेगा। प्रदेश सरकार भी किसानों के उत्पाद बाहर बेचने में करेगी मदद करेगी। यूपी कृषि निर्यात नीति के तहत कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार विभाग किसानों के कृषि उत्पादों को विदेश भेजने में मदद के साथ पांच साल तक अनुदान भी देगा।
जिले के सभी विकास खंडों में किसानों का समूह बनाएगा। 50 हेक्टेयर भूमि पर समूह से जुड़े किसान मिलकर खेती करेंगे और उत्पाद को बाहर बेचकर मुनाफा कमाएंगे। इस बारे में 29 जनवरी को मंडलायुक्त की अध्यक्षता में बैठक होगी। इसमें निर्यात को लेकर कार्ययोजना तैयार की जाएगी। इसके साथ ही किसानों को समूह से जोड़ने की कवायद शुरू होगी। सहायक विपणन अधिकारी डॉ. अमित यादव ने बताया कि यूपी कृषि निर्यात नीति के तहत पहले वाराणसी में 20-20 हेक्टेयर का कलस्टर तैयार कर निर्यात की नीति लागू करना था जो संभव नहीं हो पाया। इसमें संशोधन के लिए वर्ष 2019 में एक प्रस्ताव भेजा गया था। शासन ने संशोधन कर नई अधिसूचना जारी कर दी है। इसके तहत जिले के सभी विकास खंडों में 50 हेक्टेयर में विदेशों में मांग के अनुसार फल, सब्जी और अनाज का उत्पादन कर किसान निर्यात कर सकेंगे। इसके लिए किसानों को पांच साल तक कुल परिवहन खर्च का 25 प्रतिशत तक अनुदान भी दिया जाएगा।
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इन कृषि उत्पादों के तैयार होंगे कलस्टर
कृषि उत्पादों के निर्यात के लिए आम, सब्जियां, दूध, पनीर, घी, अचार, जैम जेली और जैविक उत्पादों के उत्पादन के लिए कलस्टर तैयार किए जाएंगे। कलस्टर से जुड़े किसानों के उत्पादों को प्रदेश सरकार बाहर भेजने में मदद करेगी। इससे किसानों को उत्पादों का अच्छा मूल्य मिलेगा।
बीत दो साल में निर्यातक हब बनकर उभरा बनारस
वर्ष 2019 में जिले में एपीडा के क्षेत्रीय कार्यालय खुलने के बाद के काशी विश्वनाथ, नवचेतना, नमामिगंगे, प्रोकाशी जया सीड्स जैसे कई किसान उत्पादन संगठन (एफपीओ) के माध्यम से कृषि उत्पादों के निर्यातक का हब बनकर उभरा है। बीते दो डेढ़ साल में वाराणसी से फल, सब्जियों का निर्यात किया गया है। दिसंबर 2019 में एपीडा द्वारा 14 मीट्रिक टन हरी मिर्च का निर्यात दुबई की गई थी। पहली बार, एपीडा के हस्तक्षेप के बाद वाराणसी से तीन टन सब्जियां लंदन को, तीन टन आम दुबई को, 1.2 टन आम लंदन को, 520 मीट्रिक टन चावल कतर को और 80 मीट्रिक टन चावल 2020 में ऑस्ट्रेलिया को निर्यात किया गया था।