देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी के दशाश्वमेध घाट से शनिवार की शाम भारत-जापान की दोस्ती अध्यात्म की रोशनी में आगे बढ़ी। एक तरफ फूलों,कंदीलों और दीपामालाओं से सजे घाट पर गंगा आरती शुरू हुई तो दूसरी ओर उन ऐतिहासिक क्षणों के बीच प्रसन्न मुद्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के पीएम शिंजो अबे के बीच गुफ्तगू का दौर शुरू हुआ।
संगीतमय आरती के दौरान मोदी -शिंजो कई बार लय में नजर आए। दोनों राजनीतिक हस्तियों ने तालियां भी बजाईं। भाव आने पर उंगलियों से ताल भी मिलाए। दोनों हस्तियों के मिलन के दौरान घाट के दोनों तरफ उमड़ी उत्साहित भीड़ हर हर महादेव के उद्घोष से उन क्षणों को उत्साह और खुशियों के रंग से गाढ़ा बना रही थी।
आरती के बाद काशी के अर्चकों ने मोदी-शिंजो को गंगा निर्मलीकरण का संकल्प भी दिलाया।आरती के दौरान घाट पर लघु भारत की झलक दिखी।काशी में उत्तरवाहिनी गंगा के तट पर दुल्हन की तरह सजाए गए खुशियों के अबतक से सबसे बड़े नजारे के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापानी पीएम शिंजे शाम छह बजे जब दशाश्वमेध घाट पहुंचे तब भीड़ ने हर हर महादेव के उद्घोष से उनका पारंपरिक स्वागत किया।
मोदी-शिंजे हाथ हिलाकर अभिवादन करते हुए सीढ़ियां उतरे। घाट पर स्वागत के बाद वह सीधे गंगा पूजा के लिए सीढ़ियां उतर गए। बीएचयू के धर्म विज्ञान संकाय के प्रो. चंद्रमौलि उपाध्याय ने नौ पुरोहितों के साथ विश्व शांति और कल्याण की कामना से वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा कराई।
मोदी-शिंजो ने गंगा का दुग्धाभिषेक भी किया। इसके बाद दशाश्वमेध घाट की दक्षिणी मढ़ी, जिस पर देव दीपावली के दौरान इंडिया गेट की रिप्लिका बनाई जाती है, उसी पर गेंदा के फूलों से बने मंच पर लगी दो कुर्सियों पर दोनों देशों के प्रधानमंत्री विराजमान हुए। मोदी के दाहिने शिंजो बैठे। इसी के साथ अच्युतम केशवम राम नारायणम्...के बोल के साथ आरती शुरू हो गई।
प्रधानमंत्री मोदी संगीतमय भजन की लय पर ताली बजाने लगे तो शिंजो से भी नहीं रहा गया और वह लय में आ गए। दोनों नेता कभी ताली बजाकर आरती के भावों को आत्मसात करते रहे तो कभी गुफ्तगू होती रही। काले रंग के सूट में नारंगी कलर की जैकेट पहने शिंजो से आरती के दौरान दुर्लभ क्षणों को देख रहा नहीं गया तो उन्होंने अपना मोबाइल निकाल कर उन दृश्यों को कैद करना शुरू कर दिया।
उस दौरान मोदी उन्हें काशी की संस्कृति, परंपरा और अध्यात्म से भी परिचित कराते रहे। कपूर आरती के दौरान मोदी-शिंजो खड़े होकर बात करने लगे। उसी मढ़ी से चारों तरफ घूमकर मोदी ने शिंजो को काशी का दर्शन भी कराया। उत्साहित भीड़ के शोर ने भी दोनों नेताओं का ध्यान खींचा।
7.08 मिनट पर आरती खत्म हुई। इसी दौरान गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्र, सचिव हनुमान यादव ने मोदी-शिंजो को रुद्राक्ष की माला, अंगवस्त्रम के अलावा स्मृति चिह्न भेंट किया। गंगा घाट, बाबा विश्वनाथ के स्वरूप वाले स्मृति चिह्न पर मोदी-शिंजो के चित्र भी थे।
शिंजो को सारनाथ से लेकर बाबा कालभैरव और बीएचयू तक की 21 दुर्लभ तसवीरों का उपहार भी भेंट किया गया, ताकि वह काशी के आध्यात्मिक दर्शन को अपने साथ ले जा सकें। आरती के दौरान लघु भारत घाट के हर कोने से झलक रहा था। राजस्थानी पगड़ी भी थी, तो पंजाब, गुजरात, प. बंगाल भी अपनी छाप छोड़ रहा था।
दक्षिण भारतीय महिलाएं पारंपरिक परिधानों में थीं, तो मराठी और गुजराती भी अपनी संस्कृति के साथ मौजूद थे। उन क्षणों के साक्षी बने सूबे के राज्यपाल रामनाईक, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, केंद्रीय लघु, सुक्ष्म, मध्यम मंत्री कलराज मिश्र के अलावा जापानी प्रतिनिधि मंडल के सदस्य।
देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी के दशाश्वमेध घाट से शनिवार की शाम भारत-जापान की दोस्ती अध्यात्म की रोशनी में आगे बढ़ी। एक तरफ फूलों,कंदीलों और दीपामालाओं से सजे घाट पर गंगा आरती शुरू हुई तो दूसरी ओर उन ऐतिहासिक क्षणों के बीच प्रसन्न मुद्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के पीएम शिंजो अबे के बीच गुफ्तगू का दौर शुरू हुआ।
संगीतमय आरती के दौरान मोदी -शिंजो कई बार लय में नजर आए। दोनों राजनीतिक हस्तियों ने तालियां भी बजाईं। भाव आने पर उंगलियों से ताल भी मिलाए। दोनों हस्तियों के मिलन के दौरान घाट के दोनों तरफ उमड़ी उत्साहित भीड़ हर हर महादेव के उद्घोष से उन क्षणों को उत्साह और खुशियों के रंग से गाढ़ा बना रही थी।
आरती के बाद काशी के अर्चकों ने मोदी-शिंजो को गंगा निर्मलीकरण का संकल्प भी दिलाया।आरती के दौरान घाट पर लघु भारत की झलक दिखी।काशी में उत्तरवाहिनी गंगा के तट पर दुल्हन की तरह सजाए गए खुशियों के अबतक से सबसे बड़े नजारे के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापानी पीएम शिंजे शाम छह बजे जब दशाश्वमेध घाट पहुंचे तब भीड़ ने हर हर महादेव के उद्घोष से उनका पारंपरिक स्वागत किया।
मोदी-शिंजे हाथ हिलाकर अभिवादन करते हुए सीढ़ियां उतरे। घाट पर स्वागत के बाद वह सीधे गंगा पूजा के लिए सीढ़ियां उतर गए। बीएचयू के धर्म विज्ञान संकाय के प्रो. चंद्रमौलि उपाध्याय ने नौ पुरोहितों के साथ विश्व शांति और कल्याण की कामना से वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा कराई।
मोदी-शिंजो ने गंगा का दुग्धाभिषेक भी किया। इसके बाद दशाश्वमेध घाट की दक्षिणी मढ़ी, जिस पर देव दीपावली के दौरान इंडिया गेट की रिप्लिका बनाई जाती है, उसी पर गेंदा के फूलों से बने मंच पर लगी दो कुर्सियों पर दोनों देशों के प्रधानमंत्री विराजमान हुए। मोदी के दाहिने शिंजो बैठे। इसी के साथ अच्युतम केशवम राम नारायणम्...के बोल के साथ आरती शुरू हो गई।
प्रधानमंत्री मोदी संगीतमय भजन की लय पर ताली बजाने लगे तो शिंजो से भी नहीं रहा गया और वह लय में आ गए। दोनों नेता कभी ताली बजाकर आरती के भावों को आत्मसात करते रहे तो कभी गुफ्तगू होती रही। काले रंग के सूट में नारंगी कलर की जैकेट पहने शिंजो से आरती के दौरान दुर्लभ क्षणों को देख रहा नहीं गया तो उन्होंने अपना मोबाइल निकाल कर उन दृश्यों को कैद करना शुरू कर दिया।
उस दौरान मोदी उन्हें काशी की संस्कृति, परंपरा और अध्यात्म से भी परिचित कराते रहे। कपूर आरती के दौरान मोदी-शिंजो खड़े होकर बात करने लगे। उसी मढ़ी से चारों तरफ घूमकर मोदी ने शिंजो को काशी का दर्शन भी कराया। उत्साहित भीड़ के शोर ने भी दोनों नेताओं का ध्यान खींचा।
7.08 मिनट पर आरती खत्म हुई। इसी दौरान गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्र, सचिव हनुमान यादव ने मोदी-शिंजो को रुद्राक्ष की माला, अंगवस्त्रम के अलावा स्मृति चिह्न भेंट किया। गंगा घाट, बाबा विश्वनाथ के स्वरूप वाले स्मृति चिह्न पर मोदी-शिंजो के चित्र भी थे।
शिंजो को सारनाथ से लेकर बाबा कालभैरव और बीएचयू तक की 21 दुर्लभ तसवीरों का उपहार भी भेंट किया गया, ताकि वह काशी के आध्यात्मिक दर्शन को अपने साथ ले जा सकें। आरती के दौरान लघु भारत घाट के हर कोने से झलक रहा था। राजस्थानी पगड़ी भी थी, तो पंजाब, गुजरात, प. बंगाल भी अपनी छाप छोड़ रहा था।
दक्षिण भारतीय महिलाएं पारंपरिक परिधानों में थीं, तो मराठी और गुजराती भी अपनी संस्कृति के साथ मौजूद थे। उन क्षणों के साक्षी बने सूबे के राज्यपाल रामनाईक, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, केंद्रीय लघु, सुक्ष्म, मध्यम मंत्री कलराज मिश्र के अलावा जापानी प्रतिनिधि मंडल के सदस्य।