लैंसडौन वन प्रभाग के कोटद्वार रेंज के पनियाली बीट में बनी नक्षत्र वाटिका देखरेख व बजट के अभाव में बदहाल है। एक ओर जहां नक्षत्र वाटिका की सुरक्षा के लिए लगाई गई ग्रिल जगह-जगह क्षतिग्रस्त हैं, वहीं असामाजिक तत्वों ने शिलापट्ट व चबूतरे भी क्षतिग्रस्त कर दिए हैं। इससे लोगों में नाराजगी है। वहीं विभाग का कहना है कि धन के अभाव में वाटिका की देखरेख नहीं हो पा रही है।
वर्ष 2009-10 में राज्य सरकार ने हरित विकास योजना के तहत लैंसडौन वन प्रभाग के कोटद्वार रेंज में करीब एक करोड़ की लागत से नक्षत्र वाटिका व हर्बल गार्डन का निर्माण हुआ। निर्माण के बाद के दो वर्षों में दोनों वाटिकाओं ने आकार भी ले लिया। वन विभाग की ओर से नक्षत्र वाटिका और नवग्रह वाटिका में पौधे लगाए गए। नक्षत्र वाटिका के निर्माण का उद्देश्य था कि क्षेत्रवासी यहां आकर न सिर्फ स्वयं को तरोताजा महसूस करें, बल्कि पूजा आदि कार्यों के लिए उन्हें आसानी से नक्षत्र अथवा नवग्रह से संबंधित वृक्षों की लकड़ी भी मिल सके।
बीते पांच साल में नक्षत्र वाटिका खस्ताहाल हो चुकी है। इसकी मुख्य वजह लंबे समय से इसके रखरखाव के लिए धनराशि अवमुक्त न होना है। देखरेख के अभाव में असामाजिक तत्वों ने नक्षत्र वाटिका की सुरक्षा के लिए लगाई गई ग्रिल भी क्षतिग्रस्त कर दी है। इससे लावारिस पशु वाटिका में घुसकर लगातार वाटिका को नुकसान पहुंचा रहे हैं। असामाजिक तत्वों ने शिलापट्ट और चबूतरे भी तोड़ डाले हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि दिन ढलते ही नक्षत्र वाटिका असामाजिक तत्वों का अड्डा बन जाती है, जिसके कारण लोग वहां जाने से कतराते हैं।
धन अवमुक्त न होने के कारण नक्षत्र वाटिका की देखरेख में दिक्कतें आ रही हैं। विभाग में कार्यरत दैनिक श्रमिकों को लगाकर नक्षत्र वाटिका में उगी झाड़ियों की सफाई करवाई जा रही है। - अमरेश कुमार, डीएफओ लैंसडौन वन प्रभाग स्थित कोटद्वार।
लैंसडौन वन प्रभाग के कोटद्वार रेंज के पनियाली बीट में बनी नक्षत्र वाटिका देखरेख व बजट के अभाव में बदहाल है। एक ओर जहां नक्षत्र वाटिका की सुरक्षा के लिए लगाई गई ग्रिल जगह-जगह क्षतिग्रस्त हैं, वहीं असामाजिक तत्वों ने शिलापट्ट व चबूतरे भी क्षतिग्रस्त कर दिए हैं। इससे लोगों में नाराजगी है। वहीं विभाग का कहना है कि धन के अभाव में वाटिका की देखरेख नहीं हो पा रही है।
वर्ष 2009-10 में राज्य सरकार ने हरित विकास योजना के तहत लैंसडौन वन प्रभाग के कोटद्वार रेंज में करीब एक करोड़ की लागत से नक्षत्र वाटिका व हर्बल गार्डन का निर्माण हुआ। निर्माण के बाद के दो वर्षों में दोनों वाटिकाओं ने आकार भी ले लिया। वन विभाग की ओर से नक्षत्र वाटिका और नवग्रह वाटिका में पौधे लगाए गए। नक्षत्र वाटिका के निर्माण का उद्देश्य था कि क्षेत्रवासी यहां आकर न सिर्फ स्वयं को तरोताजा महसूस करें, बल्कि पूजा आदि कार्यों के लिए उन्हें आसानी से नक्षत्र अथवा नवग्रह से संबंधित वृक्षों की लकड़ी भी मिल सके।
बीते पांच साल में नक्षत्र वाटिका खस्ताहाल हो चुकी है। इसकी मुख्य वजह लंबे समय से इसके रखरखाव के लिए धनराशि अवमुक्त न होना है। देखरेख के अभाव में असामाजिक तत्वों ने नक्षत्र वाटिका की सुरक्षा के लिए लगाई गई ग्रिल भी क्षतिग्रस्त कर दी है। इससे लावारिस पशु वाटिका में घुसकर लगातार वाटिका को नुकसान पहुंचा रहे हैं। असामाजिक तत्वों ने शिलापट्ट और चबूतरे भी तोड़ डाले हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि दिन ढलते ही नक्षत्र वाटिका असामाजिक तत्वों का अड्डा बन जाती है, जिसके कारण लोग वहां जाने से कतराते हैं।
धन अवमुक्त न होने के कारण नक्षत्र वाटिका की देखरेख में दिक्कतें आ रही हैं। विभाग में कार्यरत दैनिक श्रमिकों को लगाकर नक्षत्र वाटिका में उगी झाड़ियों की सफाई करवाई जा रही है। - अमरेश कुमार, डीएफओ लैंसडौन वन प्रभाग स्थित कोटद्वार।