{"_id":"69147bc0635f7a5e7406877d","slug":"tehri-dam-displaced-people-have-not-received-land-ownership-rights-in-pathri-even-after-45-years-tehri-news-c-50-1-sdrn1018-115687-2025-11-12","type":"story","status":"publish","title_hn":"Tehri News: टिहरी बांध विस्थापितों को पथरी में 45 साल बाद भी नहीं मिला भूमिधरी अधिकार","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Tehri News: टिहरी बांध विस्थापितों को पथरी में 45 साल बाद भी नहीं मिला भूमिधरी अधिकार
संवाद न्यूज एजेंसी, टिहरी
Updated Wed, 12 Nov 2025 05:51 PM IST
विज्ञापन
विज्ञापन
विस्थापितों ने आवंटित आरक्षित वन भूमि को अनारक्षित करने की मांग उठाई
नई टिहरी। हरिद्वार जिले के पथरी भाग-एक में आरक्षित वन भूमि में विस्थापित किए गए टिहरी बांध प्रभावितों ने अनारक्षित भूमि घोषित करने की मांग की है। प्रभावितों ने डीएम व पुनर्वास निदेशक को दिए ज्ञापन में बताया कि पुनर्वास निदेशालय की लापरवाही के कारण 1980 में विस्थापित किए गए बांध प्रभावित अभी तक भूस्वामी नहीं बन पाए हैं जिससे उन्हें सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित रहना पड़ रहा है।
टिहरी बांध प्रभावितों को पथरी भाग-एक में 912 एकड़ आरक्षित वन भूमि में विस्थापित किया गया था लेकिन 45 साल बाद भी आरक्षित वन भूमि की जमीन अनारक्षित नहीं हो पाई है जिससे टिहरी बांध प्रभावितों को पुनर्वास निदेशालय की ओर से आवंटित उस जमीन पर अभी तक भूस्वामी का अधिकार नहीं मिल पाया है।
टिहरी बांध विस्थापित 438 से अधिक परिवारों को सरकार की ओर से भूस्वामियों को दी जाने वाली योजनाओं से वंचित रहना पड़ रहा है। पथरी से नई टिहरी पहुंचे विस्थापितों ने डीएम नितिका खंडेलवाल को दिए ज्ञापन में बताया कि लंबे समय बाद पुनर्वास निदेशालय ने सचिव (वन) उत्तराखंड शासन को पत्र भेजा लेकिन प्रमुख वन संरक्षक की ओर से सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि आरक्षित वनों को अनारक्षित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की अनुमति प्राप्त करना भी जरूरी होगा।
इस प्रस्ताव को तैयार कर परिवेश पोर्टल के माध्यम से पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय केंद्र सरकार को भेजा जाए। उन्होंने कहा कि यह कार्यवाही जमीन आवंटन के दौरान की जानी चाहिए थी लेकिन विस्थापितों की दो-तीन पीढि़यां गुजरने के बाद उन्हें फिर से लंबा इंतजार करना पड़ेगा। उन्होंने विस्थापितों की समस्या देखते हुए न्याय दिलाने की गुहार लगाई है। डीएम ने सकारात्मक कार्यवाही का भरोसा दिया है।
ज्ञापन देने वालों में टिहरी बांध प्रभावित भूमिधरी संघर्ष समिति के अध्यक्ष हुकम सिंह रावत, बालम सिंह नेगी, सोबन सिंह चौहान, शूरवीर सिंह राणा, महावीर सिंह खरोला, त्रेपन सिंह, प्रधान डोब खुशी दास, प्रधान आदर्श टिहरी नगर मनजीत खरोला, पूरण सिंह नेगी और प्रमोद नौटियाल आदि शामिल थे।
Trending Videos
नई टिहरी। हरिद्वार जिले के पथरी भाग-एक में आरक्षित वन भूमि में विस्थापित किए गए टिहरी बांध प्रभावितों ने अनारक्षित भूमि घोषित करने की मांग की है। प्रभावितों ने डीएम व पुनर्वास निदेशक को दिए ज्ञापन में बताया कि पुनर्वास निदेशालय की लापरवाही के कारण 1980 में विस्थापित किए गए बांध प्रभावित अभी तक भूस्वामी नहीं बन पाए हैं जिससे उन्हें सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित रहना पड़ रहा है।
टिहरी बांध प्रभावितों को पथरी भाग-एक में 912 एकड़ आरक्षित वन भूमि में विस्थापित किया गया था लेकिन 45 साल बाद भी आरक्षित वन भूमि की जमीन अनारक्षित नहीं हो पाई है जिससे टिहरी बांध प्रभावितों को पुनर्वास निदेशालय की ओर से आवंटित उस जमीन पर अभी तक भूस्वामी का अधिकार नहीं मिल पाया है।
विज्ञापन
विज्ञापन
टिहरी बांध विस्थापित 438 से अधिक परिवारों को सरकार की ओर से भूस्वामियों को दी जाने वाली योजनाओं से वंचित रहना पड़ रहा है। पथरी से नई टिहरी पहुंचे विस्थापितों ने डीएम नितिका खंडेलवाल को दिए ज्ञापन में बताया कि लंबे समय बाद पुनर्वास निदेशालय ने सचिव (वन) उत्तराखंड शासन को पत्र भेजा लेकिन प्रमुख वन संरक्षक की ओर से सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि आरक्षित वनों को अनारक्षित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की अनुमति प्राप्त करना भी जरूरी होगा।
इस प्रस्ताव को तैयार कर परिवेश पोर्टल के माध्यम से पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय केंद्र सरकार को भेजा जाए। उन्होंने कहा कि यह कार्यवाही जमीन आवंटन के दौरान की जानी चाहिए थी लेकिन विस्थापितों की दो-तीन पीढि़यां गुजरने के बाद उन्हें फिर से लंबा इंतजार करना पड़ेगा। उन्होंने विस्थापितों की समस्या देखते हुए न्याय दिलाने की गुहार लगाई है। डीएम ने सकारात्मक कार्यवाही का भरोसा दिया है।
ज्ञापन देने वालों में टिहरी बांध प्रभावित भूमिधरी संघर्ष समिति के अध्यक्ष हुकम सिंह रावत, बालम सिंह नेगी, सोबन सिंह चौहान, शूरवीर सिंह राणा, महावीर सिंह खरोला, त्रेपन सिंह, प्रधान डोब खुशी दास, प्रधान आदर्श टिहरी नगर मनजीत खरोला, पूरण सिंह नेगी और प्रमोद नौटियाल आदि शामिल थे।