बिहार विधानसभा चुनाव में सियासी नब्ज और जनता के मूल मुद्दों को समझने के लिए अमर उजाला का चुनावी रथ ‘सत्ता का संग्राम’ सारण की धरती पर पहुंच चुका है। आज, 13 अक्तूबर की सुबह, टीम ने सुबह चाय पर चर्चा के दौरान मतदाताओं से खुलकर बातचीत की। वहीं अब दोपहर में युवाओं से मिलकर चुनावी मुद्दों और वोटिंग रुझानों को समझा गया। युवाओं ने बिहार की मौजूदा स्थिति पर अपनी बेबाक राय रखी। इस दौरान एक युवक ने कहा कि सारण की भूमि से जुड़े होने पर हम सभी को गर्व है, क्योंकि यह लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी की धरती है। यहां की मिट्टी की गूंज देश ही नहीं, विदेशों तक है। उन्होंने कहा कि जयप्रकाश नारायण के आंदोलन की चर्चा यहां के हर बच्चे को पता है। आज भी प्रदेश में जो कुछ विकास हुआ है, वह उनके नाम और आंदोलन की विरासत की वजह से है। युवक ने कहा कि युवाओं में राजनीति की अलख सबसे पहले जयप्रकाश जी ने जगाई थी। वे आज भी बिहार के युवाओं के प्रेरणास्रोत हैं। हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि बिहार की राजनीति में युवाओं की भागीदारी कुछ हद तक बढ़ी जरूर है, लेकिन अभी यह बदलाव पर्याप्त नहीं है। वर्तमान समय में राज्य के सामने सबसे बड़ा मुद्दा पलायन का है। इस पर नेताओं को गंभीरता से विचार करना चाहिए और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। वहीं अमित यादव नाम के एक अन्य युवक ने कहा कि आज बिहार के युवाओं के सामने सबसे बड़ी समस्याएं पलायन, बेरोजगारी और शिक्षा व्यवस्था की खामियां हैं। उन्होंने कहा कि रोजगार के मुद्दे पर राजनीतिक दल गंभीर नहीं हैं। राज्य में रोजगार के अवसर लगभग खत्म हो चुके हैं, जिस कारण अधिकांश युवा दूसरे राज्यों में पलायन करने को मजबूर हैं। अमित ने माना कि सड़कों की स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने युवाओं के भविष्य के लिए कोई ठोस पहल नहीं की है।