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Bihar Vidhansabha Speaker: BJP's Dr. Prem Kumar becomes Assembly Speaker, wins 9 times in a row.
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Bihar Vidhansabha Speaker: BJP के डॉ. प्रेम कुमार बने विधानसभा अध्यक्ष, 9 बार लगातार जीते।
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: अभिलाषा पाठक Updated Tue, 02 Dec 2025 03:13 PM IST
भारतीय जनता पार्टी के सबसे अनुभवी विधायकों की श्रेणी में रहे डॉ. प्रेम कुमार को बिहार विधानसभा का अध्यक्ष बनाया गया है। आइए जानते हैं कि कौन हैं डॉ.प्रेम कुमार? बिहार में कहां के रहने वाले हैं , कहां रहते हैं, किस जाति के हैं, परिवार में कौन-कौन है? तो आपको बता दें कि वह गया टाउन, यानी गयाजी शहरी क्षेत्र के मतदाताओं के प्रतिनिधि चुनकर 9वीं बार भी विधानसभा पहुंचे हैं। 202 सीटों की बड़ी जीत के साथ ही उनका नाम चल निकला था। इंतजार हो रहा था कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लें और मंत्रिपरिषद् के बाकी सदस्यों का भी शपथ ग्रहण हो जाए। यह हुआ और तय हो गया कि डॉ. प्रेम कुमार के सामने इस कुर्सी के लिए किसी की ओर से कोई विकल्प नहीं है। डॉ. प्रेम कुमार ही होंगे। सोमवार को वही हुआ। नामांकन भरा और इकलौता। 35 विधायकों वाला महागठबंधन सामने किसी को इस पद के लिए खड़ा करने तक की हिम्मत नहीं जुटा सका। यानी, निर्विरोध चयन की घोषणा ही बाकी है।गयाजी शहर के अंदर गया इलाके की नई सड़क पर आवास है। कहार जाति से हैं, जो चंद्रवंशी समुदाय से है। परिवार में पत्नी के अलावा एक बेटा-बेटी हैं। दोनों शादीशुदा हैं। बेटे भारतीय जनता युवा मोर्चा के पदाधिकारी हैं।
आम तौर पर सहज उपलब्ध रहना डॉ. प्रेम कुमार की खूबी है, जिसके कारण वह लगातार 35 साल से चुनाव जीत रहे हैं। कांग्रेस की सीट रही गया टाउन में डॉ. प्रेम कुमार ने 1990 में पहली बार ताल ठोकी तो शुरू से अब तक कभी नहीं हारे।1980-85 तक बाकी जगहों की तरह गया टाउन विधानसभा सीट भी कांग्रेस के वर्चस्व वाली रही थी। 1990 में इस वर्चस्व को डॉ. प्रेम कुमार ने तोड़ा। यह वह दौर था, जब भारतीय जनता पार्टी बिहार में अस्तिस्त बनाने की कोशिश कर रही थी। तब गया टाउन क्षेत्र एक बार भाजपा का हुआ तो डॉ. प्रेम कुमार और उनकी पार्टी एक-दूसरे का पर्याय ही बन गई। कभी न तो पार्टी ने वहां प्रत्याशी बदला और न जनता ने अपना विधायक।सामने पहले सीपीआई के शकील अहमद खान, फिर मसूद मंजर रहे। जब यह लोग हर दांव खेलकर लौट गए, तो कांग्रेस ने संजय सहाय को उतारा। उनकी और बड़ी हार हुई। फिर यहां सीपीआई ने दम दिखाया, लेकिन 28417 मतों से करारी हार मिली। आगे, यानी 2015 से लगातार कांग्रेस इसपर ्रप्रत्याशी दे रही है, लेकिन डॉ. प्रेम कुमार को सिर्फ जीत के अंतर का प्रभाव दिखता है, बाकी अविजीत हैं। प्रेम कुमार बिहार भाजपा के सबसे वरिष्ठ एवं प्रभावशाली नेताओं में गिने जाते हैं। वह गया शहर से लगातार नौ बार विधायक चुने गए हैं। उनकी वरिष्ठता, अनुभव और संसदीय प्रक्रियाओं पर पकड़ को देखते हुए एनडीए ने उन पर भरोसा जताया है।
70 वर्षीय प्रेम कुमार सबसे सीनियर विधायक हैं। प्रेम कुमार वर्ष 1990 में पहली बार विधायक चुने गए थे और तब से निरंतर जीत दर्ज करते हुए अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) के वरिष्ठ नेताओं में अपनी पहचान बना चुके हैं। उन्हें मगध विश्वविद्यालय से पीएचडी उपाधि प्राप्त हैं। प्रेम कुमार विभिन्न कालखंडों में दस से अधिक विभागों के मंत्री रह चुके हैं। उन्होंने बताया कि 2005 में नीतीश कुमार की सरकार में वह पहली बार मंत्री बने। इसके बाद 2010, 2017–2020 और 2020–2024 के बीच भी मंत्री रहे। वर्ष 2015 में वह विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी भी निभा चुके हैं।प्रेम कुमार ने कहा कि इस बार 100 से अधिक नए सदस्य निर्वाचित होकर आए हैं और उन्हें सदन की कार्यप्रणाली से अवगत कराने के लिए एक विशेष कार्यशाला आयोजित की जाएगी। उन्होंने बताया कि हम प्रथम बार चुने गए विधायकों को प्रश्नकाल, शून्यकाल, तारांकित और अतारांकित प्रश्न, अल्पसूचना प्रश्न तथा अन्य संसदीय प्रक्रियाओं की जानकारी देने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेंगे।प्रेम कुमार ने इस बात पर बल दिया कि विधायकों को अपने-अपने क्षेत्रों, जिलों और राज्य से जुड़े प्रासंगिक प्रश्न पूछने की कला सीखनी होगी, ताकि सदन में सार्थक चर्चा हो सके और जनसमस्याओं का समाधान प्रभावी ढंग से उठाया जा सके। उन्होंने कहा कि वह सदन का संचालन ‘‘प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमावली’’ के अनुरूप करेंगे और सभी दलों को साथ लेकर चलेंगे।
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