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Delhi Blast Update: Nepal-Turkey connection to the Delhi blast, ISI's plan in the name of charity! | IB
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Delhi Blast Update: दिल्ली धमाके का नेपाल-तुर्किए कनेक्शन, चैरिटी के नाम पर ISI का ये प्लान! | IB
अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली Published by: तन्मय बरनवाल Updated Tue, 02 Dec 2025 04:04 PM IST
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दिल्ली धमाका याद है? अब इसपर नया खुलासा हुआ साथ ही अब विदेश कनेक्शन भी सामने आया है.नेपाल की खुली सीमा, आसान आवाजाही और चैरिटी के नाम पर मिलने वाली वैधानिक ढील इन तीनों ने मिलकर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के लिए एक नया रास्ता खोल दिया है। पिछले कुछ महीनों में नेपाल में चैरिटी, मेडिकल कैंप, सेमिनार और रिसर्च के नाम पर पाकिस्तानी नागरिकों की बढ़ती मौजूदगी ने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। दिल्ली धमाके की कड़ियां जब तुर्किए से होते हुए नेपाल पहुंचीं, तो यह सिर्फ एक चेतावनी नहीं बल्कि एक बड़े नेटवर्क का सच समाने आया। जांच के बाद जिन 5 डॉक्टरों पर कार्रवाई हुई, उनमें से एक संदिग्ध विदेश भाग गया यह पूरा प्लान बताता है कि मामला कितना गहरा और सुनियोजित रहा। सूत्रों के अनुसार, भारतीय सीमा से सटे नेपाल के इलाके लंबे समय से पाकिस्तान समर्थित नेटवर्क के लिए सहज भूमि रहे हैं। पर अब यह सक्रियता "चैरिटी" के नाम पर तेजी से बढ़ी है।चैरिटी के नाम पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने नेपाल में फिर सक्रियता बढ़ाई है। उद्देश्य भारत पर दोतरफा नजर रखने के साथ ही सीमावर्ती क्षेत्रों की खुफिया जानकारी जुटाना है। केंद्रीय गृह मंत्रालय को नवंबर में भेजी गई आईबी रिपोर्ट में साफ तौर पर बताया गया है कि नेपाल की ओर काम कर रहे कई संगठन मानव सेवा के नाम पर संदिग्ध गतिविधियों में शामिल हैं।
15 नवंबर को बहराइच से पकड़े गए दो संदिग्ध ब्रिटिश नागरिकों ने भी इसी चैरिटी कवर का इस्तेमाल किया था। इनमें से हस्सन अमान सलीम, जो पाकिस्तानी मूल का है, उसकी पत्नी बांग्लादेशी नागरिक है और दोनों इससे पहले भी नेपाल की यात्रा कर चुके हैं। इन यात्राओं का मकसद अब सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर है। दरअसल, यह पैटर्न बिल्कुल नया नहीं है। पाकिस्तानी सेना का पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल हबीब भी पहले लंबिनी क्षेत्र में चैरिटी के नाम पर सक्रिय रह चुका है। ऐसे केस की संख्या बढ़ने से यह साफ है कि नेपाल ISI की “सॉफ्ट एंट्री” का नया ठिकाना बनता जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, इनमें सबसे संवेदनशील गोरखपुर और लखनऊ बताया जा रहा है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ पर भी नजर है। दिल्ली धमाके की कड़ियां तुर्किए और फिर नेपाल से जुड़ने के बाद सुरक्षा एजेंसियों की सख्ती से सीमावर्ती जिलों के पांच संदिग्ध डॉक्टरों पर कार्रवाई हुई है। अभी एक विदेश भाग गया है। इसके अलावा, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बहराइच, बलरामपुर, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर और महराजगंज से सटे नेपाली इलाकों में भी Pakistan-linked मूवमेंट बढ़ने की पुष्टि हुई है।
ऐसे में आपके मन में अब सवाल होगा की आखिर नेपाल ISI के लिए ‘सेफ कॉरिडोर’ क्यों है?
इसके पीछे कई वजहें हैं:
1. खुली सीमा (Open Border)
तो बता दे की भारत-नेपाल सीमा 1,751 किमी लंबी है और बिना वीज़ा लोगों की आवाजाही बेहद आसान है।
2. ढीला वीज़ा नियम
पाकिस्तानियों के लिए नेपाल में एंट्री आसान है। वहां से भारत में प्रवेश की कोशिशें भी शॉर्टकट के तौर पर की जाती हैं।
3. चैरिटी मॉडल का फायदा
चैरिटी, NGO, मेडिकल मिशन—इनकी आड़ में संदिग्ध व्यक्ति बिना शक के घूम-फिर सकते हैं।
4. स्थानीय नेटवर्क बनाने की सुविधा
नेपाल में कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं और विदेशी नागरिक पहले से सक्रिय हैं, जिससे "कवर" मिल जाता है।
5. भारत की सीमावर्ती आबादी से संपर्क
सीमा के दोनों ओर सांस्कृतिक, सामाजिक और कारोबारी रिश्ते चलते हैं, जिनमें मेलजोल स्वाभाविक है। इसी का दुरुपयोग आसान हो जाता है।
फिलहाल मामला सामने आने के बाद दिल्ली धमाके की जांच ने इस पूरे चैरिटी नेटवर्क की परतें खोल दीं। इसके बाद: कई संदिग्ध गतिविधियों पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार हुई नेपाल से लौटे संदिग्ध भारतीय नागरिकों की मूवमेंट ट्रैकिंग की जा रही है।
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