माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल द्वारा मंगलवार को हायर सेकेंडरी और हाईस्कूल परीक्षा परिणाम घोषित किया गया। हाईस्कूल में राघौगढ़ क्षेत्र के डोंगर निवासी शैलेंद्र धाकड़ ने 98.6 प्रतिशत अंक प्राप्त कर जिले में पहला और प्रदेश में आठवां स्थान प्राप्त किया है। शैलेंद्र एक श्रमिक के बेटे हैं। उनकी उपलब्धि पर राघौगढ़ विधायक जयवर्धन सिंह और गुना कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल ने बधाई दी। सफलता को लेकर हर कोई शैलेंद्र की प्रशंसा कर रहा है।
ये भी पढ़ें:
मध्य प्रदेश में आज भी जारी रहेगा बारिश का दौर, 40 जिलों में अलर्ट,10 तक एक्टिव रहेगा सिस्टम
बता दें कि शैलेंद्र धाकड़, डोंगर निवासी मनोज धाकड़ के बेटे हैं। मनोज धाकड़ पेशे से श्रमिक हैं। उनके बेटे ने बोर्ड परीक्षा में असाधारण सफलता प्राप्त कर न केवल धाकड़ परिवार को गौरवान्वित किया है, बल्कि संपूर्ण राघौगढ़ और गुना जिले की ख्याति में भी इजाफा किया है। राघौगढ़ विधायक जयवर्धन सिंह ने शैलेंद्र की सफलता की खबर मिलते ही उनसे मोबाइल पर बात की, उनकी प्रशंसा की और पूछा कि वे भविष्य में क्या बनना चाहते हैं। शैलेंद्र ने जयवर्धन को बताया कि वे 11वीं कक्षा में गणित विषय लेकर पढ़ाई करना चाहते हैं और 12वीं कक्षा में भी इसी तरह सफलता प्राप्त कर गुना व राघौगढ़ का नाम रोशन करना चाहते हैं। जयवर्धन ने शैलेंद्र को आश्वासन दिया है कि वे जहां भी पढ़ाई करना चाहेंगे, उनकी पूरी मदद की जाएगी।
ये भी पढ़ें:
सुशील की पत्नी ने कहा, आतंकियों के आकाओं को भी मारे भारत, उनके चेहरे पर भी खौफ दिखना चाहिए
अपनी सफलता पर चर्चा करते हुए शैलेंद्र धाकड़ ने बताया कि वे पढ़ाई को लेकर अधिक तनाव नहीं लेते थे। विषयों से संबंधित अधिकांश जानकारियां स्कूल और शिक्षकों से प्राप्त करते थे। इसके बाद आवश्यकता पड़ने पर यूट्यूब की मदद भी लेते थे। शैलेंद्र की बड़ी बहन और शिक्षक उनके मार्गदर्शक रहे हैं।
ये भी पढ़ें:
लव जिहाद के मुख्य आरोपी को शॉर्ट एनकाउंटर में गोली लगी, पुलिस गिरफ्त से भागने का कर रहा था प्रयास
हाईस्कूल के गुना टॉपर शैलेंद्र, दिनचर्या के लिहाज से भी उन छात्रों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं, जो अधिकांश समय मोबाइल पर व्यस्त रहते हैं और देर रात तक जागकर अपनी सेहत व अध्ययन क्षमता दोनों को प्रभावित करते हैं। शैलेंद्र नियमित रूप से रात 10 बजे तक सो जाते थे और सुबह जल्दी उठकर पढ़ाई करते थे। वे अपने आपको तरोताजा रखने के लिए खेल संबंधी गतिविधियों में भी सक्रिय रहते थे और पढ़ाई का तनाव कम करने के लिए समय-समय पर ब्रेक लेकर ऊर्जा प्राप्त करते थे। शैलेंद्र अपनी सफलता से प्रसन्न और अभिभूत हैं, लेकिन उन्होंने अपने लिए भविष्य में बड़े सपने देखे हैं, जिन्हें पूरा करने के लिए उन्होंने अभी से तैयारी शुरू कर दी है।