अमर उजाला
Sun, 3 April 2022
फांसी वाले दिन कैदी को नहलाया जाता है और उसे नए कपड़े दिए जाते हैं
फांसी के वक्त जल्लाद के अलावा तीन अधिकारी मौजूद रहते हैं, ये तीन अफसर जेल सुप्रीटेंडेंट, मेडिकल ऑफिसर और मजिस्ट्रेट होते हैं
सुप्रीटेंडेंट फांसी से पहले मजिस्ट्रेट को बताते हैं कि कैदी की पहचान हो गई है और उसे डेथ वॉरंट पढ़कर सुना दिया गया है
डेथ वॉरंट पर कैदी के साइन कराए जाते हैं
फांसी देने से पहले कैदी से उसकी आखिरी इच्छा पूछी जाती है
फांसी देते वक्त सिर्फ जल्लाद ही दोषी के साथ होता है
फांसी से ठीक पहले जल्लाद मुजरिम के पास जाता है और उसके कान में कहता है कि "मुझे माफ कर देना, मैं तो एक सरकारी कर्मचारी हूं. कानून के हाथों मजबूर हूं."
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