भोलेनाथ के इस मंदिर की गुफा में शिवलिंग पर आज भी रहस्मयी तरीके से टपकता है पानी

अमर उजाला

Fri, 7 July 2023

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सावन के महीने में जानते हैं भगवान शिव के उस मंदिर के बारे में इसमें आज भी रहस्मयी तरीके से पानी खुद टपकता रहता है। हम बात कर रहे हैं देहरादून के टपकेश्वर महादेव मंदिर के बारे में। 

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टपकेश्वर मंदिर का इतिहास साढ़े छह हजार साल पुराना है। मुख्य शहर से महज सात किमी दूर गढ़ी कैंट क्षेत्र में बने इस मंदिर में बड़ी संख्या में शिवभक्त दर्शन करने आते हैं। खासकर सावन में यहां जलाभिषेक करने का महत्व है। 
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मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ आदिकाल में यहां देवताओं की प्रार्थना से प्रसन्न होकर देवेश्वर के रूप में उन्हें न सिर्फ दर्शन देते थे, बल्कि उनकी हर मनोकामना पूर्ण करते थे।

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इस तपस्थली को ऋषि-मुनियों ने अपना वास बनाया और भोले शंकर के लिए तप किया। जिसके बाद भोलेनाथ उनकी मनोकामना पूरी कर टपकेश्वर की गुफा में शिवलिंग के रूप में विस्थापित हो गए। 
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शिवलिंग के ऊपर दूध की धाराएं गिरती थीं। गुफा में आज भी स्वाभाविक रूप से पानी टपकता रहता है। भगवान शिव का चमत्कार देखने आज भी दुनियाभर से लोग यहां पहुंचते हैं।

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देहरादून में स्थित एक मंदिर महाभारत काल से भी जुड़ा है। द्रोणपुत्र अश्वत्थामा की जन्मस्थली और तपस्थली भी यही मंदिर है। जहां आचार्य द्रोण और  उनकी पत्नी कृपि की पूजा अर्चना से खुश होकर शिव ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का  वरदान दिया था। इसके बाद उनके यहां अश्वत्थामा का जन्म हुआ। 
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मान्यता है कि अश्वत्थामा की दूध पीने की इच्छा हुई तो उनकी माता ने घोर तप किया। तब भगवान भोलेनाथ ने उन्हें वरदान के रूप में गुफा से दुग्ध की धारा बहा दी।
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तब से यूं ही दूध की धारा गुफा से शिवलिंग पर टपकती रही और कलियुग में इसने जल का रूप ले लिया। इसलिए यहां भगवान भोलेनाथ को टपकेश्वर कहा जाता है। 

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