कारगिल विजय दिवस 26 जुलाई को, जानें कैप्टन विक्रम बत्रा की शौर्य गाथा
अमर उजाला
Fri, 21 July 2023
Image Credit : फाइल फोटो
भारत माता के वीर सपूत मेजर विक्रम बत्रा ने इस युद्ध में अद्वितीय शौर्य और रणकौशल का परिचय दिया था।
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मेजर विक्रम बत्रा के दोस्त व दुश्मन उन्हें 'शेरशाह' के नाम से पुकारते थे, बत्रा ने न केवल कई महत्वपूर्ण चोटियों पर कब्जा किया।
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विक्रम बत्रा के नेतृत्व में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों से प्वाइंट-5140 छीन लिया था।
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विज्ञान में स्नातक विक्रम बत्रा की सेना में ज्वॉइनिंग सीडीएस के जरिए हुई थी। प्रशिक्षण पूरा कर 6 दिसंबर 1997 को उन्हें लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्ति मिली।
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हम्प व राकी नाब जीतने पर बत्रा को पदोन्नति देकर कैप्टन बना दिया गया, इसके बाद सामरिक रूप से महत्त्वपूर्ण चोटी-5140 को पाक सेना से मुक्त करवाने की जिम्मेदारी उनकी टुकड़ी को मिली।
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बेहद दुर्गम क्षेत्र और प्रतिकूल परिस्थिति होने के बावजूद विक्रम ने अपने साथियों के साथ 20 जून 1999 की सुबह इस चोटी पर तिरंगा फहरा दिया।
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बत्रा ने इस चोटी से रेडियो के जरिए अपने कमांड को विजय उद्घोष ‘ये दिल मांगे मोर’ कहा। चोटी 5140 में भारतीय झंडे के साथ विक्रम और उनकी टीम की फोटो कारगिल युद्ध की पहचान बनी।
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