अमर उजाला
Wed, 3 August 2022
भारतीय वायु सेना का मिग-21 लड़ाकू विमान राजस्थान के बाड़मेर में गुरुवार यानी 28 जलाई को हादसे का शिकार हो गया था।
घटना ने एक बार फिर मिग-21 विमानों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हालांकि, यह पहला मामला नहीं है, जहां मिग-21 विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ है।
लगातार हो रहे हादसों और देश के बहादुर जवानों की मौत की वजह से मिग-21 विमानों को 'फ्लाइंग कॉफिन' यानी उड़ता हुआ ताबूत के नाम से भी जाना जाने लगा है।
मिग-21 को मिकोयान गुरेविच भी कहते हैं। यह सोवियत काल के उन्नत लड़ाकू विमानों में से एक है। सोवियत यूनियन (वर्तमान में रूस) की मिकोयान कंपनी इसका निर्माण करती थी।
मिग-21 विमान को भारतीय वायु सेना में साल 1963 में शामिल किया गया था। उस वक्त के सबसे उन्नत किस्म के विमानों में से एक होने की वजह से भारत ने कुल 874 मिग-21 विमानों को अपने बेड़े में शामिल किया था।
साल 2021 में करीब पांच मिग-21 विमान हादसे का शिकार हुए थे। इससे पहले 2013 में दो, 2014 में तीन, 2015 में दो, 2016 में तीन, 2018 में दो और 2019 में तीन मिग-21 क्रैश हुए।
इससे पहले साल 2012 में तत्कालीन रक्षामंत्री एके एंटनी ने अपने आधिकारिक बयान में बताया था कि वायु सेना में शामिल होने के बाद से लेकर साल 2012 तक 482 मिग-21 विमान हादसे के शिकार हो चुके थे।
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