देश में महंगाई आसमान छू रही है। जहां एक ओर खुदरा महंगाई आठ साल के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई है, जबकि थोक महंगाई सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए नए शिखर पर पहुंच चुकी है।
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महंगाई को काबू में करने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी लगातार कदम उठा रहे हैं, लेकिन उनकी इस राह में टमाटर रोड़ा बन सकता है। टमाटर के लगातार बढ़ते भाव सरकार के लिए चिंता का सबब बनते जा रहे हैं।
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खाद्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार भारत में टमाटर का औसत खुदरा मूल्य एक महीने पहले 70 फीसदी और एक साल पहले की तुलना में 168 फीसदी तक बढ़कर मंगलवार तक 53.75 रुपये (69 फीसदी) प्रति किलोग्राम हो गया।
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भारत में खाना पकाने के तेल से लेकर गेहूं के आटे तक हर चीज की कीमतें चढ़ गई हैं, जिससे अप्रैल में मुद्रास्फीति आठ साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई और घरेलू बजट बुरी तरह बिगड़ गया है।
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मुंबई के एक सब्जी विक्रेता का कहना कि टमाटर की कमी है। पुरानी फसल से आपूर्ति कम हो रही है और एक नई फसल लगभग तीन महीने में आ पाएगी। इसीलिए टमाटर 80 रुपये प्रति किलोग्राम पर बिक रहा है।
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बीते दिनों टमाटर के दाम बढ़ने के संबंध में जारी एक रिपोर्ट में कहा गया था कि देश के कई राज्यों में टमाटर के दाम 120 रुपये प्रति किलोग्राम के पर पहुंच गए हैं।
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वेजिटेबल ग्रोअर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेजिडेंट श्रीराम गढवे का कहना है कि टमाटर की कीमतों में फिलहाल कमी आने की उम्मीद कम ही है। इसके दाम जुलाई में कम होने की संभापना है, जब नई फसल आएगी।
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टमाटर ऐसी सब्जी है, जो कि रोज आम आदमी की रसोई में इस्तेमाल होती है। इसके दाम में बेतहाशा वृद्धि केंद्र के लिए भी परेशानी की वजह है, जो लगातार बढ़ती महंगाई पर काबू पाने का प्रयास कर रही है।