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अमर उजाला
Thu, 18 September 2025
भीगी मिट्टी की महक प्यास बढ़ा देती है
दर्द बरसात की बूँदों में बसा करता है
~ मरग़ूब अली
उस ने बारिश में भी खिड़की खोल के देखा नहीं
भीगने वालों को कल क्या क्या परेशानी हुई
~ जमाल एहसानी
कच्चे मकान जितने थे बारिश में बह गए
वर्ना जो मेरा दुख था वो दुख उम्र भर का था
~ अख़्तर होशियारपुरी
Urdu Poetry: क्या कहा इश्क़ जावेदानी है! आख़िरी बार मिल रही हो क्या