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अमर उजाला
Mon, 22 December 2025
भीगी मिट्टी की महक प्यास बढ़ा देती है
दर्द बरसात की बूँदों में बसा करता है
~ मरग़ूब अली
उस ने बारिश में भी खिड़की खोल के देखा नहीं
भीगने वालों को कल क्या क्या परेशानी हुई
~ जमाल एहसानी
कच्चे मकान जितने थे बारिश में बह गए
वर्ना जो मेरा दुख था वो दुख उम्र भर का था
~ अख़्तर होशियारपुरी
Urdu Poetry: मुझे ख़बर नहीं ग़म क्या है और ख़ुशी क्या है