अमर उजाला
Mon, 8 September 2025
सच बात मान लीजिए चेहरे पे धूल है
इल्ज़ाम आइनों पे लगाना फ़ुज़ूल है
~अंजुम रहबर
वो चाँदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है
बहुत अज़ीज़ हमें है मगर पराया है
~बशीर बद्र
मेरे जैसे बन जाओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जाएगा
दीवारों से सर टकराओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जाएगा
~सईद राही
वो एक रात की गर्दिश में इतना हार गया
लिबास पहने रहा और बदन उतार गया
~हसीब सोज़
Urdu Poetry: वाक़िफ़ कहाँ ज़माना हमारी उड़ान से