Dagh Dehalvi Shayari: मोहब्बतों के शायर दाग़ देहलवी के अशआर

अमर उजाला

Mon, 12 May 2025

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मिलाते हो उसी को ख़ाक में जो दिल से मिलता है 
मिरी जाँ चाहने वाला बड़ी मुश्किल से मिलता है 

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उर्दू अदब

दिल दे तो इस मिज़ाज का परवरदिगार दे 
जो रंज की घड़ी भी ख़ुशी से गुज़ार दे 
 

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आशिक़ी से मिलेगा ऐ ज़ाहिद 
बंदगी से ख़ुदा नहीं मिलता 

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ख़ूब पर्दा है कि चिलमन से लगे बैठे हैं 
साफ़ छुपते भी नहीं सामने आते भी नहीं 
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ये तो नहीं कि तुम सा जहाँ में हसीं नहीं 
इस दिल को क्या करूँ ये बहलता कहीं नहीं 
 

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कहने देती नहीं कुछ मुँह से मोहब्बत मेरी 
लब पे रह जाती है आ आ के शिकायत मेरी
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फ़लक देता है जिन को ऐश उन को ग़म भी होते हैं 
जहाँ बजते हैं नक़्क़ारे वहाँ मातम भी होता है
 

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Urdu Poetry: दिल की बस्ती पुरानी दिल्ली है

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