अमर उजाला काव्य डेस्क, नई दिल्ली
किसे ख़बर थी कि ये वाक़िआ भी होना था
कि खेल खेल में इक हादसा भी होना था
- अज्ञात
कुछ ख़बर है तुझे ओ चैन से सोने वाले
रात भर कौन तिरी याद में बेदार रहा
- हिज्र नाज़िम अली ख़ान
कौन कहता है कि मौत आई तो मर जाऊँगा
मैं तो दरिया हूँ समुंदर में उतर जाऊँगा
- अहमद नदीम क़ासमी
शाम को आओगे तुम अच्छा अभी होती है शाम
गेसुओं को खोल दो सूरज छुपाने के लिए
- क़मर जलालवी
Urdu Poetry: परेशानी अगर है तो परेशानी का हल भी है